हाथरस कांड: गांव सील, फोन जब्त, टॉयलेट तक पर पहरा, आखिर क्या छिपा रही पुलिस?

पीड़िता के गांव के एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हालत यह है कि पीड़िता के घर के शौचालयों के बाहर तक पुलिस कर्मियों ने डेरा डाल रखा है।

Update:2020-10-03 10:50 IST

अंशुमान तिवारी

लखनऊ। हाथरस में 19 साल की दलित युवती के साथ गैंगरेप और उसकी मौत के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है और जगह-जगह धरना-प्रदर्शन के जरिए लोग इस घटना पर अपना आक्रोश जता रहे हैं। इस मामले में अपनी कार्यप्रणाली के चलते यूपी पुलिस लगातार सवालों के घेरे में घिरती जा रही है। गांव की सीमा को पूरी तरह से सील कर दिया गया है और आने-जाने वाले लोगों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है।

यहां तक कि मीडिया वालों को भी पीड़ित परिवार तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा है। पुलिस पर पीड़िता के परिजनों के मोबाइल फोन्स भी ज़ब्त करने का आरोप लगाया गया है। यूपी पुलिस के इन कदमों से अब यह सवाल उठने लगा है कि आखिर पुलिस इस मामले में क्या छिपाना चाहती है।

राष्ट्रीय ब्लॉक, पगडंडियों तक पर पहरा

हाथरस कांड का मामला गरमाने के बाद पुलिस की ओर से गांव से दो किलोमीटर दूर मेन रोड पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। दुष्कर्म पीड़िता के गांव में जाने वाली सभी प्रमुख सड़कों को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया गया है।

यहां तक की खेतों की पगडंडियां भी पुलिस की निगरानी में है और इनके जरिए भी किसी को भीतर नहीं जाने दिया जा रहा है। शुक्रवार को कई मीडिया कर्मियों ने खेतों की पगडंडियों के जरिए पीड़िता के परिवार तक पहुंचने की कोशिश की मगर पुलिस ने मीडिया कर्मियों की इन कोशिशों को नाकाम कर दिया।

टॉयलेट के बाहर तक पुलिस का पहरा

पीड़िता के गांव के एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हालत यह है कि पीड़िता के घर के शौचालयों के बाहर तक पुलिस कर्मियों ने डेरा डाल रखा है। डॉक्टर को दिखाने के बहाने गांव से बाहर निकले इस व्यक्ति का कहना था कि पुलिसकर्मियों की तैनाती की वजह से घर की महिलाओं को शौचालय तक जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे समझा जा सकता है कि पीड़िता का परिवार किस हद तक पुलिस की पहरेदारी में है।

पीड़ित परिवार के मोबाइल फोन्स जब्त

घटना के बारे में जानकारी लेने के लिए बैरिकेडिंग के पास जुटे पत्रकारों के पास शुक्रवार को पहुंचे एक बच्चे ने पुलिस द्वारा पीड़ित परिवार के मोबाइल फोन्स जब्त कर लेने की जानकारी दी। खुद को पीड़िता का कजिन बताने वाले इस बच्चे का कहना था कि पुलिस ने पूरे परिवार को घर में लॉक कर रखा है और परिजनों को किसी से कोई बातचीत नहीं करने दी जा रही है।

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पुलिस मीडिया से नहीं मिलने दे रही

पीड़िता के घर की छत से लेकर टॉयलेट तक पर पुलिस की सख्त निगाह है। बच्चे का यह भी कहना था कि पीड़ित परिवार मीडिया से मिलना चाहता है मगर पुलिसकर्मी नहीं मिलने दे रहे हैं। बच्चे का यह भी कहना था कि उसके चाचा (पीड़िता के पिता) ने भी बाहर निकलने का प्रयास किया मगर पुलिस के सख्त पहरे के कारण वे विफल हो गए।

एसआईटी जांच के कारण रोक का बहाना

दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि धारा 144 लागू होने के कारण चार या उससे अधिक लोगों के जमावड़े पर रोक लगाई गई है। पुलिस का यह भी कहना है कि एसआईटी की जांच जारी होने के कारण मीडिया कर्मियों और बाहरी नेताओं को पीड़ित परिवार से मुलाकात से रोका जा रहा है।

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एसआईटी की जांच चलने तक गांव में मीडिया और नेताओं की एंट्री पर रोक जारी रहेगी। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ही यह कदम उठाया गया है।

हजम नहीं हो रहा पुलिस का बयान

हालांकि पुलिस का यह बयान लोगों के गले के नीचे नहीं उतर रहा है। शुक्रवार को पीड़ित परिवार पर लगाई गई पहरेदारी मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी रही। कई इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के पत्रकारों ने गांव में घुसने की कोशिश की मगर पुलिस के सख्त पहरे के चलते वे नाकाम रहे।

अब यह सवाल जोर-शोर से उठाया जाने लगा है कि आखिर हाथरस कांड में पुलिस पीड़ित परिवार से मीडिया को मिलने से क्यों रोक रही है। आखिर वह कौन सा सच है जिसे छिपाने में पुलिस जुटी हुई है।

उमा भारती ने भी उठाया रोक का मुद्दा

भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भी शुक्रवार को रेप पीड़िता के परिवार से मीडियाकर्मियों और अन्य राजनीतिक दलों के लोगों को मिलने से रोकने का मुद्दा उठाया। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया कि इसे तुरंत खत्म किया जाना चाहिए। कोरोना संक्रमण के कारण इस समय आराम कर रहीं उमा भारती ने कहा कि वह भी स्वस्थ होने के बाद हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात करेंगी।

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