जजों की स्थायी नियुक्ति की याचिका पर सुनवाई 23 को
आपराधिक अपीलों की त्वरित सुनवाई एवं जजों की नियुक्ति की मांग में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी। पीयूसीएल की तरफ से दाखिल याचिका पर यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खण्डपीठ ने यह आदेश दिया है।
प्रयागराज: आपराधिक अपीलों की त्वरित सुनवाई एवं जजों की नियुक्ति की मांग में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी। पीयूसीएल की तरफ से दाखिल याचिका पर यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खण्डपीठ ने यह आदेश दिया है।
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रवि किरण जैन व दीबा सिद्दीकी तथा भारत सरकार के अधिवक्ता पी के चतुर्वेदी ने बहस की। याची अधिवक्ता का कहना है कि स्पीडी ट्रायल किया जाना अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मौलिक अधिकार है।
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हाईकोर्ट में 1981 में दाखिल आपराधिक अपीलों की सुनवाई हो रही है। संविधान 2 साल में अपील तय किये जाने का वायदा करता है। याची का कहना है कि यदि अपीलें नही तय हो पा रही है तो लंबे समय से सजा काट रहे आरोपियों को रिहा किया जाय।
याची का यह भी कहना है कि एस पी गुप्ता केस में सुप्रीम कोर्ट ने पद खाली होने से पहले चयन प्राक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है।साथ ही काम बढ़ने पर अपर न्यायाधीशों की नियुक्ति का संविधान में उपबन्ध है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 जजों के पद स्वीकृत
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन सोसायटी आफ लायर्स केस में कोलेजियम व्यवस्था लागू की। कहा गया कि इससे जजों की जल्दी नियुक्ति हो सकेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट में 160 जजों के पद स्वीकृत है।
काफी संख्या में पद खाली है और 40 साल पहले दाखिल आपराधिक अपीलें सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश हो रही है। यह स्थिति स्पीडी ट्रायल के अधिकार का उल्लंघन है।
याचिका में जजो के पद भरने व सुनवाई में देरी होने पर लंबे समय से जेलों में कैद आरोपियों की रिहाई किये जाने की मांग की गयी है।23 अक्टूबर को इस जनहित याचिका पर सुनवाई होगी।
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