बीएचयू : नवनियुक्त अध्यापकों को नोटिस नियुक्तियों पर विवाद, रिपोर्ट को चुनौती
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू में नवनियुक्त 26 सहायक एवं एसोसिएट प्रोफेसरों को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने डॉ. व्यंकटेश सिंह व पांच अन्य की याचिका पर दिया है।
प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू में नवनियुक्त 26 सहायक एवं एसोसिएट प्रोफेसरों को नोटिस जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने डॉ. व्यंकटेश सिंह व पांच अन्य की याचिका पर दिया है।
याचिका में सहायक एवं एसोसिएट प्रोफेसरों की नियुक्तियों को लेकर उत्पन्न विवाद की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी गई है।
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आरोप है कि इस कमेटी ने समस्त मामलों की लीपापोती करने का प्रयास किया, जिसे कुलपति ने स्वीकार कर लिया। इससे पहले बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी के कार्यकाल में हुई शिक्षकों की नियुक्तियों में व्यापक धांधली का आरोप लगाते हुए याचिका दाखिल हुई की थी। कहा गया था कि विभिन्न पदों पर नियुक्तियों योग्य अभ्यर्थियों की अनदेखी कर कम योग्यात वाले अभ्यथियों को चयनित कर लिया गया।
कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कुलपति को याचियों के प्रत्यावेदन पर विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
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अधिवक्ता मनीष गोयल के अनुसार कुलपति ने रिटायर जस्टिस कलीम उल्लाह व बीएचयू के प्रो. मल्लिकार्जुन जोशी की दो सदस्यीय कमेटी गठित की। कमेटी ने याचियों के 16 जुलाई 2018 के याचियों के प्रत्यावेदन की जांच के बाद कुलपति को विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में याचियों की आपत्तियां खारिज कर दी गईं।
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कमेटी ने रिपोर्ट में डॉ. प्रेमप्रकाश सोलंकी, डॉ. आंचल श्रीवास्तव, डॉ. संजय कुमार श्रीवास्तव, डॉ. राघव कुमार मिश्र व डॉ. ज्ञानेश्वर चौबे की नियुक्तियों पर संदेह व्यक्त करते हुए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने की संस्तुति की। अधिवक्ता का कहना है कि कमेटी ने याचियों के प्रत्यावेदन में उठाए गए वैधानिक मुद्दों का सही तरीके से निस्तारण नहीं किया। कमेटी की रिपोर्ट भ्रमित करने वाली है और तथ्यों पर कमेटी के निष्कर्ष भी सही नहीं है।
कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तारीख लगाई है।