HC: बेसहारा बच्चों की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर, अन्याय होने पर अधिकारी करें कार्रवाई

याचिका में सड़कों के किनारे व सार्वजनिक स्थानों पर रहने वाले त्यागे हुए शिशुओं और बच्चों के लिए यथोचित उपाय किए जाने के निर्देश राज्य सरकार को देने की मांग की गई थी। याचिका में ऐसे बच्चों के लिए गैर सरकारी संगठनों को शामिल करते हुए, योजना बनाए जाने की भी मांग की गई थी।

Update: 2017-04-13 17:05 GMT
21 और 22 फरवरी को अधिवक्ताओं की गैर मौजूदगी में नहीं होगा प्रतिकूल आदेश 

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि बेसहारा बच्चों के कल्याण के लिए यथोचित उपाय करना राज्य सरकार का दायित्व है। कोर्ट ने कहा कि जहां ऐसे बच्चों के साथ कुछ गलत हो रहा हो, वहां राज्य सरकार और इसके अधिकारी कार्रवाई करें।

सरकार संभाले बेसहारा बच्चे

इस सम्बंध में नीति बनाने व इसमें गैर सरकारी संगठनों को शामिल करने के प्रश्न पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह विषय राज्य सरकार है।

जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली ने यह आदेश सौरभ शर्मा की ओर से वर्ष 2015 में दाखिल एक जनहित याचिका पर दिए।

याचिका में सड़कों के किनारे व सार्वजनिक स्थानों पर रहने वाले त्यागे हुए शिशुओं और बच्चों के लिए यथोचित उपाय किए जाने के निर्देश राज्य सरकार को देने की मांग की गई थी।

याचिका में ऐसे बच्चों के लिए गैर सरकारी संगठनों को शामिल करते हुए, योजना बनाए जाने की भी मांग की गई थी।

अन्य मामला

एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने नगर पंचायत में टेंडर आमंत्रित करने के मामले में स्पष्ट किया है कि टेंडर प्रक्रिया को तब तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता, जब तक नगर पंचायत के उपयुक्त प्रस्ताव के द्वारा इसे अनुमोदित न किया गया हो।

न्यायमूर्ति एपी साही और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश नगर पंचायत अशरफपुर, किछौछा, अम्बेडकरनगर के सदस्य मोहम्मद रईस की एक याचिका पर दिया।

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