आरक्षण लाभ न देने पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

संसद ने 103वें संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की है इसकी अधिसूचना 18 फरवरी 2019 को जारी हो चुकी है और कानून प्रभाव में आ चुका है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने टीईटी 2019 के लिए जारी विज्ञापन में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गयी है।

Update: 2019-11-12 15:16 GMT

प्रयागराज: शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2019 में आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं देने पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जानकारी तलब की है। इस विसंगति को लेकर विनय पाण्डेय और अन्य अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने प्रदेश सरकार को 14 नवम्बर को मामले की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

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याची के अधिवक्ता का कहना था कि संसद ने 103वें संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की है इसकी अधिसूचना 18 फरवरी 2019 को जारी हो चुकी है और कानून प्रभाव में आ चुका है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने टीईटी 2019 के लिए जारी विज्ञापन में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गयी है।

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जबकि एससी/एसटी, ओबीसी और विशेष आरक्षित वर्गों को न्यूनतम अंकों में पांच प्रतिशत की छूट दी गयी है। सरकार का यह कदम 18 फरवरी की अधिसूचना के विपरीत है। याची का कहना है कि टीईटी 2019 की आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और आवेदन की अंतिम तिथि 20 नवम्बर है।

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इसे देखते हुए कोर्ट ने प्रदेश सरकार के अधिवक्ता को 14 नवम्बर तक मामले की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। याचिका पर 14 नवम्बर को अगली सुनवाई होगी।

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