हॉस्पिटल अपग्रेडेशन फंड: पीआईएल पर राज्य सरकार को हाईकोर्ट का निर्देश
याची का आरेाप था कि 225 करोड़ रूपये में से केवल 73 करोड़ रुपये की धनराशि ही विभाग उच्चीकरण के नाम पर खर्च हुई। परंतु स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग ने हाई कोर्ट के एनआरएचएम घोटाले में आदेश के बाद 2012 से बंद पड़े पीएलए अकाउंट की जगह रकम हड़पने की नीयत से केजीएमयू के पीएलए अकाउंट में जमा कर दी।
लखनऊ: हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सूबे में सरकारी अस्पतालों में उच्चीकरण के नाम पर हर साल जारी होने वाले करोडों के फंड का घालमेल करने की सीबीआई जांच की मांग वाली पीआईएल पर राज्य सरकार को 2 हफ्ते में प्रतिशपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई अब 4 हफ्ते बाद होगी।
कहां जाता है पैसा
-यह आदेश चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहेब भोंसले और जस्टिस राजन राय की बेंच ने लोक अधिकार मंच के अनिल सिंह की ओर से दायर पीआईएल पर पारित किया।
-याची के वकील अनुराग नारायण श्रीवास्तव के मुताबिक राज्य सरकार ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग को अस्पतालों के उच्चीकरण के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में 225 करोड़ रूपये का बजट जारी किया था।
-कहा गया कि संबधित 17 शासनादेशों से स्पष्ट है कि यह बजट केवल हास्पिटल के अपग्रेडेशन पर ही इस्तेमाल किया जायेगा। वित्तीय वर्ष में फंड खर्च नहीं होने पर वापस ट्रेजरी में जमा कराने के आदेश हैं।
-यह धन किसी कीमत पर बैंक पोस्ट आफिस या पर्सनल लेजर अकाउंट में जमा नही किया जा सकता।
घोटाले की आशंका
-याची का आरेाप था कि 225 करोड़ रूपये में से केवल 73 करोड़ रुपये की धनराशि ही विभाग उच्चीकरण के नाम पर खर्च हुई। परंतु स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग ने हाई कोर्ट के एनआरएचएम घोटाले में आदेश के बाद 2012 से बंद पड़े पीएलए अकाउंट की जगह रकम हड़पने की नीयत से केजीएमयू के पीएलए अकाउंट में जमा कर दी।
-वित्तीय वर्ष 2016 में सरकार से 250 करोड रुपये का बजट फिर से जारी करा लिया। याची का आरेाप है कि पिछली रकम से काम कराया जा रहा है और इस वर्ष की पूरी रकम का अता पता नही है।
-याची के वकील ने कहा कि सरकारी अस्पतालों की दयनीय दशा किसी से छुपी नहीं है। पंरतु रकम कहां जाती है उसका कोई अता पता नही है। खराब बेड या का ऑक्शन भी पिछले कई सालों से नहीं हुआ।
-कहा गया कि यह मसला भी एनआरएचएम घोटाले की तरह है जिसकी जांच सीबीआई से कराने पर घोटाले की पर्तें सामने आ जाएंगी।
(फोटो साभार:न्यूजएक्स)