IAS Mohinder Singh: कौन हैं पूर्व IAS मोहिंदर सिंह, मायावती सरकार में किए कई भ्रष्टाचार, अब ED ने कसा शिकंजा

IAS Mohinder Singh: अपने कार्यकाल के दौरान मोहिंदर सिंह काफी चर्चा में रहे। मायावती सरकार में उनकी गिनती सबसे ताकतवर अधिकारियों में होती थी। हालांकि उनपर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं।

Newstrack :  Network
Update:2024-11-09 13:45 IST

IAS Mohinder Singh: हैसिंडा भूमि घोटाले को लेकर पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह चर्चा में हैं। बीते दिन ईडी ने उनसे करीब आठ घंटे पूछताछ की। मगर ईडी के सवालों का जवाब नहीं मिल सका। यूपी कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के घर ईडी ने छापा मारा था। इस दौरान 12 करोड़ रुपए का हीरा बरामद किया गया था। इसके अलावा लाखों रुपए कैश और सात करोड़ रुपए भी जब्त किया गया था। नोएडा प्राधिकरण भूमि घाटोले के मामले के बाद ईडी ने शिकंजा कसा था। इस घोटाले के साथ ही मोहिंदर सिंह का नाम 2007 में मायावती सरकार के बहुचर्चित स्मारक घोटाले में भी शामिल है।  

मायावती सरकार के सबसे ताकतवर अधिकारी

पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह 1978 बैच के अधिकारी हैं। 1977 में उन्होंने UPSC सिविल परीक्षा पास की थी। वह नोएडा प्राधिकरण के सीईओ भी रह चुके हैं। 31 जुलाई 2012 को वह रिटायर हुए। अपने कार्यकाल के दौरान मोहिंदर सिंह काफी चर्चा में रहे। मायावती सरकार में उनकी गिनती सबसे ताकतवर अधिकारियों में होती थी। हालांकि उनपर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। मायावती सरकार में हुए स्मारक घोटाले में भी इनका नाम शामिल है। मगर चर्चा में तब आए जब नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रहते हुए उनपर घोटाले का आरोप लगा। इसे लेकर उनपर ईडी ने शिकंजा कसा। 


नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रहते कई घोटाले

बसपा के शासनकाल के दौरान मोहिंदर सिंह को नोएडा अथॉरिटी की सीईओ बनाया गया। मायावती सरकार में वह इतने ताकतवार थे कि नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रहते हुए उन्होंने अन्य कई पद संभाले। इस दौराव वह नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन भी रहे। 2012 में रिटायर होने से पहले उन्होंने कथित तौर पर कई भ्रष्टाचार किए। हालांकि मायावती सरकार में मजबूत पकड़ होने के चलते उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सभी जांच को रोक दिया गया। 2017 में भाजपा की सरकार आने के बाद इस भ्रष्टाचार की पोल खुली। इसमें खुलासा हुआ कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार मोहिंदर सिंह के कार्यकाल में ही हुआ। 


जमीन आवंटन में जमकर घोटाला

मोहिंदर सिंह का नाम पहली बार सुपरटेक और आम्रपाली घोटाले के दौरान सामने आया था। आरोप है कि जब मोहिंदर सिंह नोएडा अथॉरिटी के सीईओ थे तब करोड़ों रुपये की जमीन बिल्डरों को कौड़ियों के भाव बेची गई थी। इसकी जांच नोएडा प्राधिकरण ने की थी। जांच में गलत तरीके से जमीन आवंटन का मामला सामने आया था। बताया गया कि अधिकारियों ने आम्रपाली समूह की वित्तीय स्थिति देखे बिना कई जमीन आवंटित कर दी। यहां तक कि नोएडा अथॉरिटी ने अपने वीटो का इस्तेमाल करके 30 फीसदी की जगह 10 फीसदी कमीशन पर जमीनें आवंटित कीं। इससे सबसे ज्यादा फायदा सुपरटेक और आम्रपाली ग्रुप को हुआ। 2012 में मोहिंदर सिंह के रिटायर होने के बाद ही इस मामले की जांच हो सकी।

हैसिंडा जमीन घोटाले में आया नाम

2010-11 में नोएडा अथॉरिटी के सीईओ मोहिंदर सिंह ने सेक्टर 107 में आवासिय प्रोजेक्ट के लिए जमीन आवंटन किया। आरोप है कि मोहिंदर सिंह ने आवंटन के नियमों को नजरअंदाज कर अपने करीबियों को जमीन आवंटन किया। करीब 67 हजार वर्ग मीटर जमीन हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (HPPL) को दी गई थी। फिर HPPL ने इसमें से 27 हजार वर्ग मीटर भूमि दूसरे बिल्डर को 236 करोड़ रुपये में बेच दी। साथ ही अथॉरिटी को इसका कोई भुगतान भी नहीं किया। 


एचपीपीएल ने लोटस 300 नाम की परियोजना के लिए निवेशकों से 426 करोड़ रुपये जुटाए। मगर आवासीय प्रोजेक्ट के बजाय इन रुपयों को फर्जी कंपनियों को डायवर्ट कर दिया गया। समय पर फ्लैट न मिलने पर निवेशकों ने केस दर्ज किया। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इसमें शुरुआती जांच की। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच ईडी को सौंप दी। इस मामले में अभी जांच चल रही है। ईडी ने एचपीपीएल और मोहिंदर सिंह के कई ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई भी की है। 

ट्वीन टावर में घोटाला

तमाम भ्रष्टाचार के साथ ही नोएडा में ट्वीन टावर के निर्माण में भी घोटाले हुआ था। नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था। इस प्रोजेक्ट के लिए सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित हुई। 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई। मगर पैमाइश में बड़ी लापरवाही सामने आई। पैमाइश के दौरान जमीन कभी बढ़ी तो कभी कम निकल आती। बाद में निर्माण को लेकर भी घोटाला सामने आया। RAW ने बिल्डर से नक्शा मांगा। मगर नक्शा नहीं दिखाया जा सका। बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने पुलिस को जांच के आदेश दिए। जांच में आरोप सही पाए गए। कोर्ट ने ट्वीन टावर को गिराने का आदेश दिया। 


स्मारक घोटाले में भी शामिल

मायावती सरकार में हुए स्मारक घोटाले में भी मोहिंदर सिंह का नाम शामिल है। लखनऊ व नोएडा में स्मारकों एवं उद्यानों के निर्माण व इससे जुड़े अन्य कार्यों में प्रयोग किए जाने वाले सैंडस्टोन की खरीद-फरोख्त में घोटाला किया गया। इसके लिए 42 अरब 76 करोड़ 83 लाख 43 हजार का बजट आवंटित हुआ था। 41 अरब 48 करोड़ 54 लाख 80 हजार की धनराशि खर्च हुई। बाद में लोकायुक्त ने जांच में पाया कि करीब 34 प्रतिशत धन यानी 14 अरब 10 करोड़ 50 लाख 63 हजार 200 रुपये नेताओं और अधिकारियों की जेब में गई। 2014 से इस मामले में जांच चल रही है। 

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