अस्पतालों के चक्कर लगाती रही महिला, ऑक्सीजन के अभाव में तोड़ा दम
परिजन मरीज को प्राइवेट अस्पतालों में भी लेकर गये जहां पर ऑक्सीजन की कमी बतातें हुए उसे भर्ती नहीं किया गया।
जौनपुर: यूपी के जौनपुर में ऑक्सीजन की व्यवस्था न होने पाने के चलते एक महिला ने अपनी जान गवां दी। कोरोना संक्रमण से पीड़ित एक 35 वर्षीय महिला की मौत की इस घटना ने एक बार फिर जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार के दावों की पोल खोल कर रख दी है। महिला के परिजन लगभग चार से पांच घंटे तक सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन के लिए मरीज को लेकर भटकते रहे। जहां न तो किसी ने मरीज को भर्ती किया और न किसी भी स्तर से ऑक्सीजन की व्यवस्था कराई गई। जिसकी वजह से पांच घंटे तड़पने के बाद महिला ने दम तोड़ दिया। और परिजन रोते विलखते महिला का शव लेकर वापस घर को लौटने के लिए मजबूर हो गये।
यह पूरा मामला ग्राम उत्तरगावां का है। जहां प्रियंका यादव पुत्री उमा शंकर यादव कोरोना संक्रमित होने के कारण आज सुबह सांस लेने में भारी तकलीफ होने के बाद परिवार के लोग उसे लेकर पहले जिला अस्पताल गये। वहां सीधे मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया गया। जिसके बाद परिजन मरीज को जिला प्रशासन द्वारा नामित प्राइवेट अस्पतालों ईशा अस्पताल, सुनीता अस्पताल, और कमला अस्पताल लेकर गये वहां पर भी ऑक्सीजन की कमी बतातें हुए उसे भर्ती नहीं किया गया।
अस्पतालों में नहीं किया गया भर्ती
इसके बाद इस मरीज को लेकर जिला प्रशासन द्वारा नामित प्रभारी अधिकारी जनों से बात किया गया ताकि महिला का उपचार संभव हो सके। प्रभारी अधिकारी के कहने पर ट्रामा सेन्टर एल टू अस्पताल के प्रभारी कमलेश मौर्य से बात कर गुहार लगाया गया तो उन्होंने मरीज के उपचार हेतु भर्ती करने के बजाय नियम कानून बता दिया कि बगैर किसी सरकारी अस्पताल से रेफर कराये भर्ती नहीं किया जा सकता है। इसी बीच उपचार के अभाव में महिला की सांसे थम गयीं।
बता दें कि इसी बीच मुख्यमंत्री की ओर से अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल द्वारा जारी एक सूचना जो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें कहा गया है कि मरीज अस्पताल से वापस न किये जायें उपचार का खर्च सरकार देगी। उसमें मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री द्वारा कुछ फोन नंबर पर काल करके पीड़ित के परिजन उपचार में सहायता चाह रहे थे लेकिन जितने भी फोन नम्बर दिये गये थे किसी भी नम्बर से कोई रिस्पांस नहीं मिला।