जौनपुर : 2017 में जिले ने खोया अधिक है और पाया कम है। वर्तमान सरकार भी जनपद के प्रति उदासीन ही दिखी है जबकि जिले ने भाजपा को अपेक्षा से अधिक दिया है। पहले चर्चा ने जिले ने इस साल क्या खोया है। साल के अन्तिम माह में राष्ट्र की धरोहर व जिले के सपूत प्रख्यात वैज्ञानिक डा.लालजी सिंह का निधन हो गया।
जिले की पहचान डा.सिंह के नाम से भी होती रही है और इस लिहाज से यह जिले के लिए बड़ी क्षति है। पूर्व की सपा सरकार ने पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से जिले को एक मेडिकल कॉलेज दिया था। सूबे में योगी सरकार बनने के बाद मेडिकल कॉलेज का काम बंद हो गया। पता चला है कि वर्तमान सरकार ने बजट की धनराशि ही रोक ली है।
पैसा न मिलने से कई योजनाएं ठप
जौनपुर-मिर्जापुर मार्ग पर बनने वाले ओवरब्रिज को भी सरकार की ओर से पैसा नहीं मिला। इसके बनने से जहां आम जनता को यातायात की सुविधा होती वहीं एक बड़ी समस्या से निजात मिल सकती थी। इसके अलावा जिले में बन रहे रोडवेज बस अड्डे का काम भी रुक गया है। नतीजा यह है कि बरसात में लोगों को बारिश से जूझना पड़ता है वहीं ठंड के दिनों में लोगों को ठिठुरना पड़ता है।
2017 में जिले की सडक़ों को गड्ढे में तब्दील कर दिया गया। इस कारण लोगों को आवागमन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। सडक़ों पर उड़ रही धूल संक्रामक बीमारियों को बढ़ावा दे रही है। केबिल डालने और नाली बनाने के नाम पर सडक़ पर गड्ढा कर मिट्टी सडक़ पर फैला दी गयी है। इस कारण व्यापारियों व आम लोगों का जीवन नारकीय बन गया है। नोटबंदी के कारण जिले की आधा दर्जन से अधिक औद्योगिक इकाइयों में ताला लग गया जो आज तक नहीं खुल सका है।
पूरे साल जिले में अपराधिक घटनाओं की बाढ़ रही। चोरी, हत्या, लूट, बलात्कार व अपहरण आदि घटनाओं से पूरा जनपद दहशत के साये में रहा। पुलिस अपराधियों पर नियंत्रण पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई। पूरे साल का आंकड़ा देखें तो लगभग प्रतिदिन एक बलात्कार की घटना का औसत रहा।
जिले को एयरपोर्ट मिलने की संभावना
अब नजर डालते हैं कि इस वर्ष में जिले को क्या मिला? केन्द्र सरकार के उड्डयन विभाग की पहल पर एक अंतरराष्ट्रीय ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट मिलने की संभावना बनी है जिसके लिए जमीन मांगी गयी है। जिला प्रशासन ने जमीन का सर्वे करके रिपोर्ट शासन को भेज दी है। अब शासन यदि एयरपोर्ट बनाने की अनुमति देता है तो जिले के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।