Jhansi News: दिल्ली बताता है झांसी के मौसम का हाल, संसाधनों की कमियों से जूझ रहा मौसम विभाग

Jhansi News: मौसम की जानकारी या पूर्वानुमान किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। जानकारी मिलने पर किसान अपने कृषि कार्य उसी के अनुरूप करता है, जिससे वह क्षति से बच जाता है। लेकिन..

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-08-23 11:23 GMT

Symbolic Image (Pic: Social Media)

Jhansi News: किसानों को मौसम की जानकारी देने वाला स्थानीय मौसम विभाग पूरी तरह से दिल्ली के भारत मौसम विज्ञान विभाग पर निर्भर है। यानि दिल्ली के सेटेलाइट से जो सूचनाएं मिलेंगी उनमें से विभिन्न जिलों के मौसम वैज्ञानिक अपना क्षेत्र का डाटा संग्रह करके पूर्वानुमान जारी करते हैं। वहीं स्थानीय स्तर पर मौसम को देखते हुए मेनुअली गणना करके पूर्वानुमान जारी करना पड़ता है। यहां पुराने जमाने के हवा सूचक यंत्र, वर्षामापी, थर्मामीटर और वाष्पीकरण यंत्र हैं जो स्थानीय स्तर पर जानकारियां उपलब्ध कराते हैं।

मौसम की जानकारी या पूर्वानुमान किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। जानकारी मिलने पर किसान अपने कृषि कार्य उसी के अनुरूप करता है, जिससे वह क्षति से बच जाता है। पर स्थानीय मौसम विभाग की बात करें तो यहां पुराने जमाने के यंत्र हैं जिनसे वर्तमान दिन के तापमान, वर्षा, आर्द्रता की तो जानकारी मिल जाती है परंतु आने वाले दिनों में मौसम की क्या स्थिति रहेगी इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है। स्थानीय स्तर पर केवीके के मौसम विभाग की बात करें तो यहां बहुत सीमित संसाधन हैं। पूरे जिले को मौसम की जानकारी देने वाले विभाग के कार्यालय में सिर्फ दो कर्मचारी हैं। एक मौसम वैज्ञानिक और एक सहायक के जरिए विभाग संचालित होता है।

वहीं विभाग में रखा कंप्यूटर जिसमें सेटेलाइट द्वारा भेजी गईं सूचनाओं को देखा जा सकता है। परंतु उसके आधार पर भारत मौसम विज्ञान विभाग ही पूर्वानुमान जारी करता है। साथ ही स्थानीय स्तर पर किसानों को कृषि कार्य करने की सलाह देता है। मौसम वैज्ञानिक डॉ.आदित्य का कहना है कि स्थानीय स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान सेटेलाइट द्वारा भेजी गईं सूचनाओं के आधार पर जारी किया जाता है। इसके अलावा यदि स्थानीय स्तर पर मौसम में कुछ अलग दिखता है तो उसकी मेनुअली (बगैर कंप्यूटर या मशीन के) गणना करके जारी किया जाता है। चूंकि केवीके से स्थानीय किसान जुड़े हैं ऐसे में उन्हें एसएमएस के जरिए मैसेज भेजकर सूचना दी जाती है।

डॉ.आदित्य का कहना है कि उनसे झांसी जनपद के सात लाख किसान जुड़े हैं। मौसम को लेकर किसानों को जानकारी देने के लिए उनके पास ट्रेनिंग देने की भी कोई व्यवस्था नहीं है ताकि किसान मौसम की जानकारी लेकर कृषि कार्य में जागरूक हो सकें।

अक्सर गलत साबित होता है पूर्वानुमान

बुंदेलखंड के मौसम का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल सा है। इसकी वजह है कि जब भी मौसम विभाग अगले तीन दिनों तक भारी वर्षा का अलर्ट जारी करता है तो अगले तीन दिन तक यहां बारिश नहीं होती है। कई बार यह देखा गया कि पूरे देश या उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों के मौसम को झांसी का मौसम मान लिया जाता है। दरअसल, यह गड़बड़ी पूरे देश( उत्तर भारत) के मौसम को लेकर सेटेलाइट द्वारा भेजे गए मौसम के पूर्वानुमान के भेजे जाने वाले आंकड़ों को लेकर होती है। चूंकि झांसी में कृषि विज्ञान केंद्र भरारी द्वारा मौसम की जो जानकारी या पर्वानुमान जारी किया जाता है। ऐसे में इसमें वही जानकारी दी जाती है जो सेटेलाइट द्वारा भेजी जाती है। ऐसे में अधिकतर स्थानीय स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान गलत साबित हो जाता है।

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