Jhansi News: नर्सिंग होमों में मेडिकल धंधा, हो रहा नियमों का उल्लंघन और मरीजों का शोषण

Jhansi News: नर्सिंग होम में ज्यादातर सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। ऐसे में इन नर्सिंग होम में मरीज को देखने की कोई फीस निर्धारित नहीं है, यानी जितना गंभीर मरीज उतनी ज्यादा फीस।

Report :  B.K Kushwaha
Update: 2024-03-26 05:55 GMT

प्रतीकात्मक इमेज source: social media  

Jhansi News: मेडिकल कॉलेज जहां चिकित्सा का कारोबार होता है। वहां नियम कानून और मांगों का किसी भी तरह का कोई पालन नहीं किया जाता है। मजे की बात तो यह है कई नर्सिंग होम्स भी ऐसे है जहां वार्डबॉय और नर्सिंग स्टाफ ठेके पर नर्सिंग होम चला रहे हैं। 50 से ज्यादा नर्सिंग होम पैथोलॉजी या डायग्नोस्टिक सेंटर ऐसे हैं जिनके बोर्ड हर बार बदलते रहते हैं।

इन नर्सिंग होम में ज्यादातर सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। ऐसे में इन नर्सिंग होम में मरीज को देखने की कोई फीस निर्धारित नहीं है, यानी जितना गंभीर मरीज उतनी ज्यादा फीस। इस क्षेत्र में किए गए सर्वे के अनुसार यहां डॉक्टर का मात्र नब्ज़ पर हाथ रखने या स्टेथोस्कोप लगाने की फीस 500 से 1000 रुपये तक है। इसके बाद डॉक्टर साहब हर विजिट का चार्ज करते हैं सो अलग।

जांचों व दवाओं का गोरखधंधा

इन नर्सिंग होम में मरीज़ की विभिन्न जांच है अपने निर्धारित पैथोलॉजी/ डायग्नोस्टिक सेंटर/ एक्स-रे/ अल्ट्रासाउंड सेंटर आदि से कराई जाती है, जिसका यहां मनमाना शुल्क वसूला जाता है, जिसमें डॉक्टर का 50 प्रतिशत तक कमीशन होता है।

जांचों व दवाओं का गोरखधंधा

इन नर्सिंग होम में मरीज की विभिन्न जांचें अपने निर्धारित पैथोलॉजी/ डायग्नोस्टिक सेंटर/ एक्स-रे/ अल्ट्रासाउंड सेंटर आदि से कराई जाती हैं। जिसका यहां पर मनमाना शुल्क वसूला जाता है। जिसमें डॉक्टर का 50 प्रतिशत तक कमीशन होता है। डॉक्टर द्वारा मरीज के पर्चे पर दवा लिखकर निर्धारित मेडिकल स्टोर या अपने मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने को कहा जाता है। दवाओं पर अंकित एमआरपी पर भी खेल होता है। चूंकि नर्सिंग होम में भर्ती मरीज की केस फाइल नर्सिंग होम स्टाफ के कब्जे में होती है तो ऐसे में यह पता करना बहुत मुशिकल होता है कि डॉक्टर उसका क्या इलाज कर रहा है।

लूटो और रेफर करो

झांसी मेडिकल कॉलेज के सामने बने नर्सिंग होम्स में आमतौर पर गंभीर मरीजों से इमरजेन्सी इलाज के नाम पर खूब मनमानी की जाती है। कुछ दिन इलाज करने के बाद मरीज को ग्वालियर या अन्य शहर के लिए रेफर कर दिया जाता है। अधिकांश नर्सिंग होम्स रेफर सेंटर के नाम पर कुख्यात हो चुके हैं।

रोजाना 2 से 4 करोड़ का धंधा

सूत्रों की मानें तो इस चिकित्सा मंडी में रोजाना 2 से 4 करोड़ रुपए का धंधा होता है। इसके अलावा ऐम्बुलेंस, टैम्पू-टैक्सी, होटल-ढाबे, रेस्टोरेंट, गेस्टहाउस, धर्मशाला, फल, दूध, जूस में भी जमकर लुटाई होती है।

दलालों का आतंक

मेडिकल कॉलेज के सामने नर्सिंग होम मंडी में दलालों का आतंक है। दलालों की मर्जी के बिना तीमारदार मरीज किसी दूसरे नर्सिंग होम, पैथोलॉजी या अन्य जांच केंद्र में नहीं जा सकते। दलाल एंबुलेंस से लेकर मेडिकल स्टोर, ब्लड बैंक या अन्य हर चीजों को तय करते हैं। उनकी अनुमति के बिना मरीज के तीमारदार कुछ भी नहीं कर पाते हैं।

Tags:    

Similar News