Jhansi News: बिना जांच के दौड़ रहे वाहन, छोड़ रहे जहरीला धुआं
Jhansi News: शहर सहित जिले भर की सड़कों पर पुराने मॉडल के चार पहिया, लोडिंग वाहन व दोपहिया वाहन दौड़ लगा रहे हैं। आरटीओ सामान्य दिनों में ध्वनि प्रदूषण की जांच नहीं होती है।
Jhansi News: शहर सहित देहात में सड़कों पर दौड़ रहे पुराने व कंडम वाहनों से निकलने वाले धुएं से हवा तेजी से जहरीली हो रही है। वहीं, दूसरी तरफ वाहनों में लगे प्रेशर हार्न ध्वनि प्रदूषण से लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। हालत यह है, कि इस ओर न तो जिला परिवहन विभाग ध्यान दे रहा है और न ही यातायात पुलिस। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि बीते तीन माह में यातायात पुलिस के द्वारा प्रदूषण के मामलों में महज 12 वाहनों पर कार्रवाई की गई। बता दें, कि वाहनों के धुएं से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी घातक गैस जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कण हवा में जहर घोलने का कार्य कर रहे हैं। गंभीर बात यह है कि हवा को विषाक्त बना रहे कंडम वाहनों पर रोक लगाने के लिए आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस गंभीर नहीं है।
शहर सहित जिले भर की सड़कों पर पुराने मॉडल के चार पहिया, लोडिंग वाहन व दोपहिया वाहन दौड़ लगा रहे हैं। आरटीओ सामान्य दिनों में ध्वनि प्रदूषण की जांच नहीं होती है। जिले में प्रदूषण बोर्ड का न कार्यालय है न अधिकारी। इसलिए इसकी कोई व्यवस्था भी नहीं है। इस ओर आम लोग भी सजग नहीं हैं। प्रेशन हॉर्न बजाते हुए ट्रक और बस गुजर जाते हैं। आम लोग थोड़ी देर के लिए मुंह बनाते हैं, फिर अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं।
बिना वाहनों की जांच किए ही जारी कर दिए सर्टिफिकेट
वाहन की बिना जांच किए ही फर्जी सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। शहर में आरटीओ कार्यालय में प्रदूषण जांच केंद्र संचालित हो रहा है। लेकिन यहां वाहनों की जांच किए बिना ही प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है। बता दें कि अगर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं होता है तो वाहन को स्वस्थता प्रमाण पत्र जारी नहीं हो सकता है, लेकिन अब पॉल्यूशन सेंटर परिवहन विभाग के नियम कानूनों को धुएं में उड़ा रहे हैं। धुएं का गुबार फेंकते वाहनों को भी पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं।
इनका कहना है
डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि वाहनों से कार्बन मोनॉक्साइड निकलती है, जिन वाहनों से काला धुआं निकलता है, वह बहुत ही खतरनाक होते हैं। इस धुएं का सीधा असर हमारे फेफड़ों पर पड़ता है। ऐसे में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती हैं।