Jitin Prasada: देर लगी आने में लेकिन आ ही गए जितिन प्रसाद, बीजेपी को फायदा, कांग्रेस को नुकसान

Jitin Prasada: 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उन्हें बीजेपी में लाना चाहते थे।

Written By :  Raj Kumar Singh
Published By :  Dharmendra Singh
Update:2021-06-09 16:16 IST

बीजेपी दफ्तर में जितिन प्रसाद (फाोटो: सोशल मीडिया)

Jitin Prasada: देर लगी पर जितिन प्रसाद बीजेपी में आ ही गए। दो साल से कुछ अधिक समय से बीजेपी और जितिन प्रसाद के बीच बातचीत चल रही थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उन्हें बीजेपी में लाना चाहते थे। बात काफी आगे बढ़ भी गई थी, लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा ने निजी तौर पर जितिन प्रसाद से बातचीत कर उन्हें रोक लिया था। 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जितिन प्रसाद को लखनऊ से राजनाथ सिंह के मुकाबले खड़ा करना चाहती थी। जितिन इसके लिए तैयार नहीं हुए

यूपी के बड़े नेता हैं जितिन प्रसाद

शाहजहांपुर के रहने वाले जितिन प्रसाद यूपी के कद्दावर नेताओं में हैं। चौदहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा में शाहजहांपुर फिर लखीमपुर खीरी की धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। वे एक बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। बीते कुछ वर्षों से ब्राह्मण चेतना परिषद के जरिए ब्राह्मणों से जुड़े मुद्दे जोरशोर से उठाते रहे हैं। बीच बीच में उन्हें प्रदेश कांग्रेस की कमान दिए जाने की चर्चाएं भी चलीं परंतु बात आगे नहीं बढ़ी। कांग्रेस में जितिन प्रसाद प्रमुख युवा नेताओं में रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट के साथ ही उनका नाम राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के करीबियों में शामिल रहा है। जितिन प्रसाद ने प्रसिद्ध दून स्कूल और श्री राम कालेज ऑफ कामर्स, दिल्ली से पढ़ाई की है। उन्होंने एमबीए की डिग्री भी ली है।

जितिन प्रसाद और पीयूष गोयल (फोटो: सोशल मीडिया)
 बीजेपी को क्या फायदा
आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में जितिन प्रसाद बीजेपी की ओर से सबसे बड़ा ब्राह्मण चेहरा होंगे। दिग्गज नेता कलराज मिश्र के सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद यूपी बीजेपी में कोई सर्वमान्य ब्राह्मण नेता नहीं है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी हाशिए पर हैं। इसके अलावा सरकार में उपमुख्य मंत्री दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा और ब्रजेश पाठक जैसे नेता भी क्षेत्र विशेष में ही पकड़ रखते हैं। इसके साथ ही तराई और रुहेलखंड क्षेत्र में जितिन प्रसाद के प्रभाव और पकड़ का फायदा बीजेपी को मिलेगा। युवा नेता और केंद्र में पूर्व मंत्री होने के चलते बीजेपी पूरे प्रदेश में जितिन प्रसाद को अपने स्टार प्रचारक के तौर पर पेश करेगी।

जितिन को क्या मिलेगा

बीते कुछ चुनावों से जितिन प्रसाद बाजी हार रहे हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के अलावा वे 2017 का विधानसभा चुनाव भी बीजेपी से हार गए थे। जितिन प्रसाद का प्रभाव अपने क्षेत्र में है, लेकिन मोदी लहर के आगे उनकी नहीं चली। दूसरे पार्टी के रूप में कांग्रेस का जनाधार भी कुछ खास नहीं बचा था। ऐसे में बीजेपी से उनका राजनीतिक कैरियर आगे बढ़ेगा इसमें कोई संदेह नहीं। माना जा रहा है कि अब वे आसानी से अपना अगला चुनाव निकाल लेंगे। यूपी में यदि 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी सरकार बनती है तो वे प्रदेश सरकार में बड़ी भूमिका में होंगे। इसके अलावा केंद्र सरकार में भी उनकी बड़ी भूमिका हो सकती है।

एक रोड शो के दौरान जितिन प्रसाद और प्रियंका गांधी (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)
कांग्रेस को नुकसान
उत्तर प्रदेश में 1989 के बाद से कांग्रेस के दिन ठीक नहीं चल रहे हैं। 2009 के चुनाव में जरूर लोकसभा में कांग्रेस को भारी सफलता मिली थी, लेकिन वो इसे जारी नहीं रख सकी। राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा तक कांग्रेस को उबारने में नाकाम रहे। प्रशांत किशोर का प्रबंधन कौशल भी कांग्रेस को व्यवस्थित न कर सका। ऐसे में जितिन प्रसाद जैसे बड़े और चर्चित नेता का पार्टी से जाना कांग्रेस के लिए झटका है। अब भले ही पार्टी ये कहे कि वे लगातार हार रहे थे और उनके जाने का असर नहीं पड़ेगा। पर ये बातें दिल को समझाने के लिए ही हैं। असल में विधानसभा चुनाव से आठ-नौ महीने पहले किसी नेता का इस तरह छोड़कर जाना कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं है। कांग्रेस की नजर भी यूपी में ब्राह्मण वोटों पर है। अब देखना है कि कांग्रेस जितिन प्रसाद के विकल्प के रूप में किसे आगे करती है।

विधानसभा चुनाव की तैयारी में विपक्षी दलों से आगे निकली बीजेपी

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कमजोर पड़ते ही बिना एक भी दिन गंवाए बीजेपी ने यूपी विधानसभा की तैयारी शुरू कर दी है। जितिन प्रसाद को शामिल कराना इसी का हिस्सा है। पश्चिम बंगाल चुनाव और यूपी के पंचायत चुनाव में झटका खा चुकी बीजेपी अब यूपी को गंवाना नहीं चाहती। 2022 का विधानसभा चुनाव लोकसभा के 2024 के चुनाव के लिहाज से भी सबसे महत्ववपूर्ण है। वैसे भी वर्तमान बीजेपी हमेशा चुनाव के मूड में रहती है। यूपी में संगठन के कामकाज के लिहाज से बीजेपी समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस से आगे चल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से विधायकों और संगठन की नाराजगी की खबरों के बीच जितिन प्रसाद का आना पार्टी को राहत देने के लिए काफी है।


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