काकोरी कांड : यूपी का ये मंदिर इन देशभक्तों की कुर्बानी की निशानी है

उत्तर प्रदेश के काकोरी का नाम लेते ही आजादी की वो लड़ाई याद आ जाती है। काकोरी का एक गांव जिसका नाम बाजपुर है वो 9 अगस्त 1925 का साक्षात गवाह है। काकोरी का ये गांव इसलिए जाना जाता है क्योंकि देश की आजादी की लड़ाई में हथियार खरीदने के लिए यहां ट्रेन लूटा गया था।

Update:2019-08-11 19:12 IST
काकोरी कांड : यूपी का ये मंदिर इन देशभक्तों की कुर्बानी की निशानी है

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के काकोरी का नाम लेते ही आजादी की वो लड़ाई याद आ जाती है। काकोरी का एक गांव जिसका नाम बाजपुर है वो 9 अगस्त 1925 का साक्षात गवाह है। काकोरी का ये गांव इसलिए जाना जाता है क्योंकि देश की आजादी की लड़ाई में हथियार खरीदने के लिए यहां ट्रेन को लूटा गया था। तब से ही इतिहास की यह घटना काकोरी कांड के नाम से किताबो के पन्नों में दर्ज हो गई। भले ही आज इस घटना के गुजरे हुए चौरानवे साल बीत चुके हो, लेकिन उसकी यादें और निशान अभी भी मौजूद हैं।

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ये थी काकोरी की वो घटना

अब फिर वो काकोरी के बाजपुर गांव की रेलवे लाइन की जगह हो, जहां पर ट्रेन को लूटा गया, या फिर जहां पर ट्रेन से लूटे गए बक्से को तोड़कर निकाले गए पैसे, सब कुछ अभी भी याद है। अंग्रेजो ने देश की आजादी के लिए लड़ने वाले इन क्रांतिकारियों रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खां, रोशन सिंह, और राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी के दबंग जज्बों को बुझाने के लिए, उनके दिलों में लगी आग को मिटाने के लिए 19 दिसंबर 1927 को फांसी देकर उन्हें ठण्डा कर दिया।

काकोरी के बाजपुर गांव में देश के इन अमर नवजवानों के लिए उन्ही जगहों पर उनकी याद में स्मारक भी बनवाये गए। गांव मेें प्रतिवर्ष 19 दिसंबर को शहीद दिवस मनाया जाता है। काकोरी के पुजारी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि काकोरी कांड को यादगार बनाए रखने के लिए घटनास्थल को शहीद स्मारक काकोरी लिखकर संरक्षित किया गया है। रेलवे लाइन को देखने के लिए जाली भी बनाई गई है। हालांकि, इलेक्ट्रिक लाइन हो जाने की वजह से यह रेलवे लाइन अब पहले की तरह नहीं रही है।

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ककराहा बाबा स्थल का है नाम

इसके आगे राजकुमार मिश्रा बताते हैं कि जिस बक्से को लूटा गया था, उसे क्रांतिकारियों ने दो सौ मीटर दूर पर तोड़कर पैसे निकाले थे। अब इस जगह को ककराहा बाबा स्थल कहते हैं। काकोरी कांड को 20 क्रांतिकारियों ने अंजाम दिया था। जिनमें से राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खां, रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को फांसी दे दी गई थी। और कांड में शामिल रहे चंद्रशेखर आजाद ने बाद में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में खुद को गोली मार ली थी।

इन्होने बताया कि काकोरी शहीद मंदिर में रोज सफाई के साथ पूजा की जाती है। यहां शहीदों की आरती की जाती है। उनका मानना है कि इनकी वजह से ही आज हम स्वतंत्र भारत में रह रहे हैं। और आजाद के भागीदार बन पाए हैं। शहीद दिवस के मौके पर स्मारक की लिपाई-पुताई की जाती है।

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इसके साथ यहां पर स्टेज भी बनाया गया है, जहां पर मेला लगता है। प्रत्येक दिवस पर स्कूली बच्चे देशभक्ति गीत गाते हैं। और शहीदों की याद में तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

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