राम मंदिर फैसले पर बोले कल्याण सिंह कहा- मैं जरूर जाऊंगा अयोध्या

राम के साथ अयोध्या का विकास होना चाहिए। मैं अयोध्या जरुर जाऊंगा। मैं पहले दिन से ही राम भक्त हूं। मस्जिद को लेकर पांच एकड़ जमीन देने पर कल्याण सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने न्याय और कानून का पालन किया है, सुप्रीम कोर्ट ने समाज की एकता व अखंडता का भी ध्यान रखा है।

Update:2019-11-11 15:43 IST

लखनऊ: कल्याण सिंह ने कहा कि 9 नवंबर 2019 ऐतिहासिक दिन था, यह 500 साल पुराना विवाद खत्म हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि यह फैसला पूरी तरह से न्याय संगत है। निर्णय सर्व-समावेशी है। किसी ने भी इसके विरोध में आवाज नही उठाई। राम मंदिर की जो संकल्पना लोगों ने बनाई थी वो पूरी होने जा रही है। कल्याण सिंह ने राम मंदिर बनने के बारे में कहा कि राम की नगरी में अब भव्य मंदिर बनेगा।

अब अयोध्या में भी बड़े स्तर पर विकास होगा।

कल्याण सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि राम नगरी अयोध्या का विकास होना चाहिए। मैं अयोध्या जरुर जाऊंगा। मैं पहले दिन से ही राम भक्त हूं। मस्जिद को लेकर पांच एकड़ जमीन देने पर कल्याण सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने न्याय और कानून का पालन किया है, सुप्रीम कोर्ट ने समाज की एकता व अखंडता का भी ध्यान रखा है।

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कल्याण सिंह ने कहा कि 500 साल पुराना विवाद खत्म हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मित से फैसला दिया है, फैसले को किसी की हार व जीत के रूप में न देखा जाए।

अयोध्या के इतिहास के पन्नों से-

कल्याण सिंह के चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं लेकिन अधीर नहीं थे

दिन था रविवार तारीख थी छह दिसंबर, 1992 स्थान राजधानी लखनऊ स्थित पांच, कालिदास मार्ग, मुख्यमंत्री आवास तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अपने कक्ष में वरिष्ठ मंत्रियों लालजी टंडन और ओमप्रकाश सिंह के साथ लंच कर रहे थे और टीवी चालू था। सभी देख रहे थे कि कारसेवक विवादित ढांचे पर चढ़ चुके हैं। वे गुंबद गिराने को कुदालें चला रहे थे। कल्याण सिंह के चेहरे पर चिंता की लकीरें तो थीं, लेकिन वे अधीर कतई नहीं थे। तभी तत्कालीन पुलिस महानिदेशक एसएम त्रिपाठी लगभग भागते हुए मुख्यमंत्री आवास पहुंचे।

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डीजीपी ने कहा फायरिंग की अनुमति चाहिए

मुख्यमंत्री से तुरंत मिलने की इजाजत मांगी, लेकिन सिंह ने भोजन तक इंतजार करने को कहा। भोजन के बाद बुलाया तो डीजीपी बोले कि कारसेवक विवादित ढांचे को तोड़ रहे हैं। फायरिंग की अनुमति चाहिए। सिंह ने पूछा- फायरिंग में कितने लोग मरेंगे? डीजीपी बोले- कारसेवकों ने विवादित स्थल को घेर लिया है।

फायरिंग की अनुमति नहीं दूंगा

फायरिंग हुई तो बहुत लोग मारे जाएंगे। यह सुनते ही सिंह ने कह दिया कि आंसू गैस या लाठीचार्ज जैसे उपाय कर सकते हैं। लेकिन मैं फायरिंग की अनुमति नहीं दूंगा। लाइये, यह बात मैं कागज पर भी लिखकर दे दूं कि आपने गोली चलाने की अनुमति मांगी लेकिन मैंने नहीं दी।

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सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी योगेंद्र नारायण के कानों एक-एक शब्द आज भी गूंजते हैं

यह सुनकर डीजीपी लौट गए और सिंह टीवी पर देखते रहे थे कि कारसेवक ढांचे को ढहाते जा रहे थे। ...और आखिरी ईंट गिरते ही उन्होंने अपना मुख्यमंत्री वाला राइटिंग पैड मंगाकर इस्तीफा लिख डाला। यह ऐतिहासिक वाकया वयोवृद्ध पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अब शायद इस तरह न सुना पाएं। लेकिन इस घटना के चश्मदीद रहे सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी योगेंद्र नारायण के कानों में एक-एक शब्द आज भी गूंज रहे हैं। नारायण उन दिनों कल्याण सिंह के प्रमुख सचिव थे। केंद्रीय रक्षा सचिव के पद से 2002 में सेवानिवृत हुए नारायण सूबे के मुख्य सचिव भी रहे।

वह दावे के साथ कहते हैं कि कल्याण सिंह जान-बूझकर विवादित ढांचा गिरवाना नहीं चाहते थे। लेकिन उस दिन हालात ऐसे बने कि उन्होंने कारसेवकों का खून बहने के बजाय ढांचे का ढह जाना उचित समझा।

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नरसिम्हा राव की बात सुन हैरान थे कल्याण

नवंबर, 1992 के अंत में कल्याण सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा से मिलने दिल्ली पहुंचे। उनसे मुलाकात के बाद बोले - ‘आज तो अजीब ही बात सामने आई। नरसिम्हा जी ने बताया है कि विवादित ढांचे के नीचे मंदिर के अवशेष मिले हैं।’ हालांकि, इसके पीछे कल्याण सिंह क्या सोच रहे थे, इसे कुछ स्पष्ट नहीं किया।

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