Kanpur Dehat News: एसडीएम कोर्ट में डीएम का मुकदमा.. उसमें भी तारीख पर तारीख, जानें मामला

Kanpur Dehat News: एसडीएम अकबरपुर कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद से केवल तारीखें दी जा रही हैं। डीजीसी राजस्व कहते हैं, सारे पक्षों के जवाब आने के बाद केस लंबा नहीं खिंचना चाहिये था।

Report :  Snigdha Singh
Update: 2024-07-12 13:23 GMT

एसडीएम कोर्ट में डीएम का मुकदमा.. उसमें भी तारीख पर तारीख, जानें मामला: Photo- Newstrack

Kanpur Dehat News: ग्रामसभा की जमीन पर दशकों पहले फर्जीवाड़े से कब्जा हो गया। कोर्ट ने आदेश दिया कि कब्जा हटाने के लिए ग्रामसभा मुकदमा दायर करे लेकिन उसने पहल नहीं की। इस पर डीएम खुद वादी बने। एसडीएम कोर्ट में मुकदमा दायर किया। अब छह महीने हो गए हैं, मुकदमे में बस तारीख पर तारीख पड़ रही है। डीजीसी राजस्व कहते हैं, सारे पक्षों के जवाब आने के बाद केस लंबा नहीं खिंचना चाहिये था।

डीएम के वादी बनने की कहानी

मामला अकबरपुर तहसील के गांव बनारअलीपुर के आराजी नं. 66 का है। यह जमीन अब बेशकीमती हो चुकी है। 1940 में (1348 फसली वर्ष) यह जमीन गांव के कई मोहल्लों में बंटी थी।जमींदारी विनाश अधिनियम लागू होने के बाद यह राज्य सरकार में निहित हो गई थी। 1952 (1360 फसली वर्ष ) तक गाटा संख्या 66 का रकबा 12 स्थानों पर अलग-अलग बंजर के रूप में खतौनी पर दर्ज था। 1959 में चकबंदी प्रक्रिया शुरू हुई। उससे ठीक पहले बुलाकी नाम के व्यक्ति ने तहसीलकर्मियों से मिलकर 29 मार्च 1959 को इस जमीन का 2.10 बीघा हिस्सा अपने नाम दर्ज करा लिया। आगे के अभिलेखों में भी उसका नाम दर्ज होता रहा। 2012 में पहली बार यह खेल खुला। जांच शुरू हुई। तत्कालीन तहसीलदार की आख्या पर एसडीएम अकबरपुर की कोर्ट ने 15 अप्रैल 2013 को यह जमीन गांव सभा में निहित कर दी।

एसडीएम कोर्ट के खिलाफ रिवीजन

एसडीएम के आदेश के विरुद्ध एक रिवीजन केस अपर आयुक्त कोर्ट में दाखिल हुआ। इसका फैसला एक जनवरी 2020 को आया। इसमें कहा गया कि एसडीएम का आदेश निरस्त किया जाता है। ग्रामसभा को आदेश दिया गया कि वह खुद संबंधित न्यायालय में मुकदमा दाखिल करे। लेकिन ग्रामसभा ने कोई पहल नहीं की। कोई विकल्प न होने पर डीएम वादी बने और डीजीसी राजस्व ने उनकी ओर से 19 जनवरी 2024 को एसडीएम कोर्ट में केस दाखिल किया। अब जबकि वादी खुद डीएम हैं, राजस्व परिषद तेज निस्तारण का निर्देश देता है, तारीख पर तारीख ही मिल रही है। प्रतिवादियों के जवाब आ चुके हैं। उसके बाद 22 तारीखें पड़ीं, फैसला नहीं आ सका है। डीएम को मुकदमे के निस्तारण का इंतजार है।

गोपाल स्वरूप ओमर, डीजीसी राजस्व, कानपुर देहात के अनुसार डीएम कानपुर देहात के नाम से मैंने एसडीएम कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था। सारे पक्ष कोर्ट में उपस्थित होने और जवाब आने के बाद मामले को लंबा नहीं खिंचना चाहिये था। अब 22 जुलाई बहस की तारीख लगी है।

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