UP: परीक्षा से पहले 12वीं की छात्रा ने लगाई फांसी, हालत गंभीर, ICU में भर्ती

यह मामला कानपुर का है, जहां यूपी बोर्ड परीक्षा देने से 2 घंटे पूर्व छात्रा ने फांसी लगी ली। जब परिजनों की नजर बेटी पर पड़ी तो उसे फौरन फंदे से उतार कर उर्सला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। छात्रा गंभीर हालत में आईसीयू में एडमिट है और जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है।

Update:2018-02-06 17:48 IST

कानपुर: यह मामला कानपुर का है, जहां यूपी बोर्ड परीक्षा देने से 2 घंटे पूर्व छात्रा ने फांसी लगी ली। जब परिजनों की नजर बेटी पर पड़ी तो उसे फौरन फंदे से उतार कर उर्सला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। छात्रा गंभीर हालत में आईसीयू में एडमिट है और जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है।

छात्रा का दोपहर 2 बजे से हिंदी का पेपर था, लेकिन वह काफी डरी सहमी थी। छात्रा को यह जानकारी थी कि इस बार परीक्षा में बहुत सख्ती है, कैमरे की नजर में परीक्षा होगी। जिसकी वजह से वह तनाव में थी।

सहमी छात्रा ने लगाई फांसी

कोतवाली थाना क्षेत्र के शिवाले में रहने वाले रविन्द्र कुमार सिंह प्राइवेट नौकरी करते है। परिवार में पत्नी रेखा सिंह बड़ी बेटी प्राची और बेटे निहाल के साथ रहते है। प्राची कैलाशनाथ बालिका इंटर कॉलेज की छात्रा है, प्राची का सेंटर जुहारी देवी इंटर कॉलेज गया था। प्राची का 2 बजे से हिंदी का एग्जाम था, लेकिन परीक्षा से पहले ही डरी सहमी छात्रा ने फांसी लगा ली।

नकल रोकने का प्रावधान

इस बार यूपी बोर्ड की परीक्षा को नकलविहीन बनाने के लिये सख्त कदम उठाए गए हैं। सन् 1998 में बनाया गया उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) कानून झाड़ पोंछ कर बाहर निकाला गया है और नकल रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों पर मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं। इस कानून में नकल साधनों का इस्तेमाल करने और कराने वाले को जेल भेजने तक का प्रावधान है। इसके अलावा स्वकेन्द्र परीक्षाओं की जगह दूसरे विद्यालयों को परीक्षा केन्द्र बनाया गया है।

छात्रा का मां ने क्या कहा?

छात्रा की मां रेखा ने बताया कि बेटी डरी हुई थी, वह अक्सर कहती थी माँ इतनी सख्ती है मै कैसे परीक्षा दूंगी। इस बार जुहारी देवी सेंटर गया है, उन्होंने बताया कि मै उससे बात कर के गई ही थी। जैसे ही मै उसके कमरे से गई उसने फांसी लगा ली। जब मैं वापस आई तो वह फंदे से झूल रही थी और तड़प रही थी। मैंने शोर मचाकर सबको बुलाया इसके बाद उसे फंदे से उतारकर अस्पताल लाया गया।

प्राची के इस आत्मघाती कदम ने शिक्षा जगत की एक बड़ी खामी को उजागर कर दिया है। अगर शासन ने इस बार नकल विहीन परीक्षा कराने के इंतजाम किए थे, स्वकेन्द्र परीक्षा न कराने का खाका खींचा था। परीक्षा केन्द्रों पर हाथों में हथियार लिए अधिक संख्या में खाकी वर्दीधारी पुलिस बल व मजिस्ट्रेट तैनात किए थे तो उसे कुछ महीने पहले से बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउन्सिलिंग भी करानी चाहिये थी। ताकि, विद्यार्थियों में किसी प्रकार का खौफ पैदा न हों या वे किसी तरह के मानसिक दबाव में न आयें। प्राची के मामले को हल्के में न लेकर शिक्षा विभाग को संवेदनशील होना चाहिए।

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