Kanpur News: 129 साल से चल रहे यतीमखाना को आखिर क्यों करना पड़ा बंद, जानिए इसके पीछे क्या है वजह

Kanpur News: जेजे एक्ट में रजिस्ट्रेशन न होने पर बंद करना पड़ा यतीमखाना। 2022 से जेजे एक्ट के लिए था दबाव।

Update:2023-05-22 22:42 IST
Image: Social Media

Kanpur News: बेसहारा और अनाथ बच्चों के लिए आश्रय स्थल कानपुर का यतीमखाना अब बंद हो गया है। यहां रह रहे 42 बच्चे अब यहां नहीं रहेंगे। अधिकतर बच्चों को उनके घर भेज दिया गया है तो वहीं कुछ की कहीं और व्यवस्था कर दी गई। 129 साल पुराने इस यतीमखाना का जेजे एक्ट में पंजीकरण नहीं था और इस कारण इसे बंद कर दिया गया। इस बंद होने का कारण आपसी विवाद भी एक कारण बताया जा रहा है। यतीमखाना जो 1894 में मुस्लिम ऑर्फेनेज, कॉनपुर (मुस्लिम यतीमखाना, कानपुर) में स्थापित है। फिलहाल इसके बंद होने की वजह इसकी किशोर न्याय अधिनियम 2015 है, जिसे जेजे एक्ट के नाम से जाना जाता है। इसके लिए वर्ष 2022 से दबाव डाला जा रहा था, जब आपसी विवाद हुआ तो 50 से अधिक शिकायतें यतीमखाना व इसकी संपत्ति को लेकर हुईं। इनमें कई शिकायतों की जांचें जारी हैं।

अंजुमन यतीमखाना इस्लामिया करती है संचालन

करोड़ों की संपत्ति वाले इस मुस्लिम यतीमखाना का अंजुमन यतीमखाना इस्लामिया संचालन करती हैं। शहर की यह इकलौती मुस्लिम संस्था है जिसकी सदस्यता को लेकर मुस्लिम समुदाय में समाज के विशेषकर उच्च वर्ग के लोग काफी गंभीर रहते हैं। इसके विपरीत अंजुमन यतीमखाना इस्लामिया में सदस्यों की संख्या 90 है। इनमें पूर्व विधायक, कई डॉक्टर आदि हैं। वर्तमान में यहां 42 बच्चे हैं।

बच्चों को घर रवाना कर दिया

जिनकी माताएं थीं उन्हें जानकारी दी गई कि वे अपने बच्चों को घर ले जाएं। ज्यादातर बच्चे शहर के होने के कारण वे घर चले गए। चार ऐसे बच्चे थे जिनके माता-पिता नहीं थे, वर्षों से यतीमखाना में रह रहे थे। एक की उम्र करीब 17 वर्ष और तीन बालिग हैं। यह भी किसी स्थान पर समायोजित हो गए।

तीन सदस्यों ने लिया मोर्चा

तत्कालीन अध्यक्ष अब्दुल मन्नान ने मास्टर मोहम्मद शाहिद, सैयद इस्माइल शरीफ और शफी उल्लाह गाजी की सदस्यता को समाप्त कर दिया। डिप्टी रजिस्ट्रार चिट्स एंड फंड्स ने इनकी सदस्यता बहाल कर दी। पर इसका पालन नहीं हुआ और चुनाव होते रहे। आखिर यह विवाद उच्च न्यायालय चला गया जहां अभी सुनवाई होनी है। अंतिम निर्णय आना शेष है। निष्कासित तीन सदस्यों में से एक ने यतीमखाना सुधार के लिए अभियान छेड़ दिया। एक महिला ने यतीमखाना को लेकर करीब 50 शिकायतें कीं जिसमें जेजे एक्ट में पंजीकरण न होना भी शामिल था।

यतीमखाना सरकार से आर्थिक मदद नहीं लेता है। पर इसे अपनी संपत्तियों जैसे गुलशन हॉल, जुबली स्कूल व अन्य संपत्तियों के किराए के अलावा जकात, फितरा, फिदया व अन्य दानों से करोड़ों मिलते रहे हैं। गुलशन हॉल शादी आदि में किराए पर उठाया जाता है, लेकिन जीएसटी आदि में पंजीकरण नहीं है।

कार्यकारिणी की बैठक में हंगामा

रविवार को अंजुमन यतीमखाना कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई थी। कई मुद्दों को लेकर हंगामा होता रहा। एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगते रहे। आधार कार्ड और फोटो मांगे गए, लेकिन इसमें ज्यादातर लेकर नहीं आए थे। अध्यक्ष अर्जुमंद फारुकी और महामंत्री अख्तर हुसैन अख्तर ने जेजे एक्ट के लिए अब तक क्या किया गया और प्रशासन के आदेशों के बारे में जानकारी दी और यतीमखाना के जेजे एक्ट में पंजीकरण को लेकर बात हुई।

2022 में दी गई नोटिस

इसकी मान्यता उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड एवं बाल विकास विभाग से है। जेजे एक्ट में पंजीकरण न होने पर वर्ष 2022 में यतीमखाना को प्रशासन की ओर से नोटिसें दी गईं। इसका जून 2023 तक नवीनीकरण भी है। लगातार नोटिसों के बाद जब दबाव पड़ा तो जनवरी में इसका आवेदन हुआ। अब तक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।

जानिए किसने क्या कहा

प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह का कहना है कि यहां जेजे एक्ट के बिना बच्चों को नहीं रखा जा सकता। मुस्लिम यतीमखाना बंद कर दिया गया है। मुस्लिम में यतीम उन बच्चों को भी मानते हैं जिनके पिता नहीं हैं।
अंजुमन यतीमखाना के महामंत्री अख्तर हुसैन कहते हैं कि यतीमखाना सरकारी अनुदान नहीं लेता है। न तो हम यतीमखाना का नाम बदलेंगे और न ही ऐसा कोई बात स्वीकार है जो शरीयत के खिलाफ हो। जेजे एक्ट की प्रक्रिया पूरी करेंगे।

यतीमखाना को कोई संकट नहीं है। जेजे एक्ट के कारण अस्थायी रूप से परेशानी आई है। यहां मुस्लिम बच्चे रखे जाते हैं। शरीयत का ख्याल रखा जाता है। यतीमखाना के सदस्य मास्टर मोहम्मद शाहिद का कहना है कि हमारी सदस्यता समाप्त की गई थी, पर प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित है। हमें महामंत्री पद के लिए 80 प्रतिशत वोट मिले थे।

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