Kanpur News : रोजगार और शिक्षा पाने के लिए जान हथेली पर रखकर जर्जर पुल से गुजर रहे हजारों ग्रामीण, नहीं कोई पुरसाहाल
Kanpur News : प्रदेश के कानपुर के बर्रा क्षेत्र के अंबेडकर नगर से पतरसा को जाने वाले मार्ग पर कानपुर-झांसी रेलवे ट्रैक के पास 22 साल पहले पांडू नदी पर ग्रामीणों ने निकलने के लिए पुल बनवाया था, जिसकी इस समय हालत जर्जर हो चुकी है।
Kanpur News : प्रदेश के कानपुर के बर्रा क्षेत्र के अंबेडकर नगर से पतरसा को जाने वाले मार्ग पर कानपुर-झांसी रेलवे ट्रैक के पास 22 साल पहले पांडू नदी पर ग्रामीणों ने निकलने के लिए पुल बनवाया था, जिसकी इस समय हालत जर्जर हो चुकी है। पुल के ऊपर लगी चादर गल गई है और बीच बीच में पूरी तरह गल चुकी है। वहीं, पिलर जंक खा गए हैं। ग्रामीण पैदल निकलने में डरते है, लेकिन रास्ता यहीं होने के कारण जान जोखिम में डाल कर जाना पड़ता है। इस पुल की डिमांड पचास वर्षों से हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
ग्रामीणों का कहना है कि दो विधानसभा होने के कारण इस पुल का निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है, जिसकी शिकायत प्रतिनिधियों से कर चुके हैं। बरसात में यह पुल हमारे लिए और खतरनाक हो जाता है। जहां नदी अपना विकराल रूप ले लेती है तो हम लोग एक दूसरे को पकड़ कर निकलते हैं। अधिक बरसात होने से बाढ़ भी आ चुकी है। पुल का एक हिस्सा बिठूर तो दूसरा गोविंद नगर में आता है। ग्रामीण ने बताया कि इस पुल को छोड़ कर जायेंगे तो दूसरा पुल 14 किलोमीटर दूरी पर पड़ता हैं और पुल के सामने रेलवे का पुल है। तो वहां मौत खड़ी है। इस पुल के अलावा निकलने का कोई साधन बचा नहीं है। एक तरफ विधानसभा गोविंद नगर तो दूसरी तरफ विधानसभा बिठूर आती हैं।
पुल की ओर नहीं गया किसी का ध्यान
समग्र विकास सेवा संस्थान के अध्यक्ष नवाब सिंह यादव ने बताया कि हजारों ग्रामीण और युवक रोजगार के लिए रेलवे पुल पार कर दादा नगर और पनकी जाते थे। 2005 से पहले रेलवे ट्रैक पार करते समय हादसे का शिकार हो जाते थे।,जिसमें दर्जनों मौतें हो चुकी है। 2005 की दीपावली वाले दिन एक युवक अपने रिश्तेदार के यहां रेलवे पुल पार कर जा रहा था, जिसकी ट्रेन दुर्घटना में मौत हो गई थी। घटना के बाद से परिजनों और ग्रामीणों ने इस नहर पर पुल निर्माण की आवाज उठाई, लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने इस तरफ़ नजर नहीं उठाई। जिसके बाद समर्ग विकास सेवा संस्थान के सदस्यों और ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से नहर पर एक पुल निर्माण करवाया, जिसकी लागत करीब चार लाख रूपए आई। वहीं, पुल निर्माण होने के बाद मौतों का सिलसिला तो रुक गया। लेकिन अब यह पुल पूरी तरह छतिग्रस्त हो चुका है। किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। इस जर्जर पुल की शिकायत दोनों विधानसभा के जनप्रतिनिधि से कर चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। चुनाव आते ही इस पुल के निर्माण की हामी भर देते है।