Kanpur News: गंदगी के बीच बाबा साहब की मूर्ति,कमर तक पानी में डूबकर माल्यार्पण कर लोगों ने मनाई जयंती

Kanpur News: शुक्रवार को जयंती के मौके पर पानी में डूबकर लोग बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यार्पण करने पहुंचे।इस दौरान शालू सुनील कनौजिया, कबीर कनौजिया ,सौरव पासवान, विजय कनौजिया, आजाद कनौजिया, अविनाश भदौरिया, बंटी सिंह, आलोक गौतम,कमला देवी, मूला देवी अन्य लोग मौजूद थे।

Update:2023-04-15 03:23 IST
Baba Saheb Bhimrao Ambedkar jayanti 2023

Kanpur News: देश के संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। संविधान में उन्होंने देश के हर नागरिक को अधिकार दिए। बीते 25 सालों से बाबा साहब की मूर्ति गंदगी और बदबूदार जलभराव की बीच खड़ी हुई है। शुक्रवार को जयंती के मौके पर पानी में डूबकर लोग बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यार्पण करने पहुंचे।इस दौरान शालू सुनील कनौजिया, कबीर कनौजिया ,सौरव पासवान, विजय कनौजिया, आजाद कनौजिया, अविनाश भदौरिया, बंटी सिंह, आलोक गौतम,कमला देवी, मूला देवी अन्य लोग मौजूद थे।

काफी सालों से पानी भरे तालाब में जाकर मानते है जयंती

जूही स्थित धोबी तालाब के नाम से प्रसिद्ध जगह के बीच में बाबा साहब की मूर्ति लगी हुई है। मूर्ति तालाब के पानी में बीचोबीच है। ऊपर न तो छत है और न कोई देखरेख करने वाला है। मूर्ति तक पहुंचने के लिए हर वर्ष एक रास्ता बनाने की मांग की जा रही है। पार्षद सुनील कनौजिया ने बताया कि प्रधानमंत्री तक रास्ता बनाने की शिकायत कर चुके हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो सकी है।

श्रमदान में मिली थी यह जमीन

धोबी समाज के लोगों ने लगवाई थी बाबा साहब की मूर्ति तो वही क्षेत्र के निवासी सौरभ पासवान ने बताया कि वर्ष-1956 में श्रमदान के तहत ये जमीन आसपास रहने वाले धोबी समाज के लोगों को दी गई थी। इसको तालाब के रूप में विकसित किया गया। इसमें गंगनहर से पानी आता था। नहर बंद होने के बाद तालाब में बारिश का और आसपास का गंदा पानी भरने लगा। इससे तालाब में गंदगी और जलभराव का अंबार हो गया। तालाब के पानी के बीच जाकर हम लोग जयंती मनाते है। कभी कभी तो किसी जयंती में हम लोग चोटिल भी हो चुके है।

पार्षद सुनील कनौजिया का कहना

हर वर्ष जयंती के मौके पर क्षेत्रीय लोगों के साथ गंदगी के बीच ऐसे ही जयंती मनाई जा रही है। संबंधी विभागों में कई बार शिकायत कर चुके है। कोई सुनवाई नहीं होती। सरकारी भूमि होने के चलते विभागों ने निजी संसाधनों से भी रास्ता निर्माण करने के लिए एनओसी तक नहीं दी।

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