कानपुर कांड खुलासा: सीओ ने अधिकारियों को बताई थी ये बात, रुक जाता हत्याकांड

कानपुर देहात में आठ पुलिस कर्मियों की नृशंस हत्या करने वाले आरोपित हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और एसओ चौबेपुर विनय कुमार तिवारी के गठजोड़ की जानकारी शहीद हुए बिल्हौर सीओ देवेन्द्र मिश्र को थी।

Update:2020-07-06 14:30 IST

लखनऊ। कानपुर देहात में आठ पुलिस कर्मियों की नृशंस हत्या करने वाले आरोपित हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और एसओ चौबेपुर विनय कुमार तिवारी के गठजोड़ की जानकारी शहीद हुए बिल्हौर सीओ देवेन्द्र मिश्र को थी और उन्होंने इस बात के लिए तत्कालीन एसएसपी को एक शिकायती पत्र भी लिखा था। पर उच्चाधिकारियों ने इसे संज्ञान में नहीं लिया जिसके कारण इतना बड़ा कांड हो गया।

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आपराधिक इतिहास को देखते हुए

क्षेत्राधिकारी बिल्हौर देवेन्द्र मिश्र ने यह पत्र इसी साल 14 मार्च को एसएसपी कानपुर को लिखा था। पत्र में इस बात की आशंका व्यक्त की गयी थी कि विकास दुबे के आपराधिक इतिहास को देखते हुए कभी भी क्षेत्र में बड़ी घटना हो सकती है।

इस सम्बन्ध में मेरे द्वारा एसओ चैबेपुर को निर्देशित किया गया है। पर इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है जबकि मैने पहले भी आपको एक पत्र लिखा है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि एसओ तिवारी के कहने पर ही विवेचक ने धाराओं में बदलाव भी किया गया। इस बारे मूे पहले भी उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।

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सहानुभूति रवैया अपना रहे

इस कांड में शहीद हुए देवेन्द्र मिश्र ने अपने पत्र में सीधा आरोप एसओ चैबेपुर पर लगाया था जिसमें कहा गया था वह विकास दुबे के साथ सहानुभूति रवैया अपना रहे हैं जिसके कारण पूरे क्षेत्र में भय का माहौल है।

एसओ तिवारी का विकास दुबे के पास आना जाना बराबर रहता है। उन्होंने आशंका भी जताई थी कि यदि एसओ चोबेपुर ने अपने कार्यप्रणाली में बदलाव नहीं किया तो कभी भी बडी घटना हो सकती है। इसलिए विनय कुमार तिवारी की अवैधानिक गतिविधियों के चलते उन पर दंडात्मक कार्रवाई की संस्तुति करता हूं।

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पत्र को संज्ञान में क्यों नहीं लिया

अब सवाल यह उठता है कि सीधे तौर पर जब सीओ देवेन्द्र मिश्र अपने उच्चाधिकारियों से एसओ और अभियुक्त से मिलीभगत की बात कहते हुए आवश्यक कार्यचाही की अपेक्षा कर रहे थें तो उनके इस पत्र को संज्ञान में क्यों नहीं लिया गया।

यदि उनके इस पत्र को गंभीरता से लेकर कार्रवाई कर ली जाती तो शायद सीओ समेत आठ पुलिस कर्मिैयों को शहीद होने से बचाया जा सकता है।

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रिपोर्ट : श्रीधर अग्निहोत्री

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