Guddu Muslim: जिस भी माफिया और बाहुबली के साथ रहा ये बमबाज, वो मारा गया! जानिए आखिर कौन है यह शातिर?

Who is Guddu Muslim: बमबाज गुड्डू मुस्लिम अभी फरार है, इसके बारे में कहा जाता है कि गुड्डू जिस भी बाहुबली या माफिया के साथ रहा वह मारा गया और गुड्डू हर बार बच निकला। अतीक और अशरफ की हत्या में भी इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कहीं गुड्डू ने ही तो माफिया को दगा नहीं दे दिया।

Update:2023-04-22 22:39 IST
Guddu Muslim

Who is Guddu Muslim: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या 15 अप्रैल को हुई थी लेकिन अभी तक पुलिस या एसटीएफ यह पता नहीं लगा पाई की इस हत्या के पीछे किसका हाथ है। उमेश पाल की हत्या में शामिल सात शुटरों में चार का एनकाउंटर हो चुका है। वहीं तीन शुटर अभी फरार हैं। इसमें एक नाम काफी चर्चा में है वह नाम है गुड्डू मुस्लिम का। यहां सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर अशरफ ने हत्या के पहले गुड्डू मुस्लिम का नाम लिया था। आखिर अशरफ गुड्डू मुस्लिम के बारे में कहना क्या चाहता था। माफिया अतीक का भाई अशरफ अपनी बात पूरी करता, इससे पहले ही शूटर्स ने दोनों भाइयों पर गोलियों की बौछार कर मौत की नींद सुला दी। दोनों की हत्या के बाद लोग पूछने लगे कि आखिर अशरफ गुड्डू मुस्लिम के बारे में क्या बताने जा रहा था?

जब यह सवाल उठा तो इस पर कयास भी लगना शुरू हो गया। एक कयास ये भी है कि क्या गुड्डू मुस्लिम ने अतीक अहमद के साथ दगाबाजी की, क्या उसी ने अतीक के बेटे की मुखबिरी की। शायद इसीलिए वह अभी तक बचा हुआ है, जब कि अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर हो गया। फिलहाल इन कयासों के जवाब अभी किसी के पास नहीं हैं, खैर जो भी हो लेकिन गुड्डू मुस्लिम का अतीत हमेशा दगाबाजी वाला रहा है। हम यहां आपको बमबाज गुड्डू मुस्लिम के अतीत और बाहुबलियों के साथ उसकी दगाबाजी के बारे में बताने जा रहे हैं। गुड्डू मुस्लिम के बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि वह जिस बाहुबली के साथ रहा उसी को दगा दिया।

हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह का भरोसेमंद बना और फिर...

गुड्डू मुस्लिम बड़ा ही शातिर है। उसका जन्म प्रयागराज में हुआ, चार भाइयों में गुड्डू सबसे बड़ा है। शुरुआत में वह घर की चिकन शॉप पर बैठता था। हालांकि 15 साल की उम्र में ही उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। फिर क्या था उसके बाद तो पूरे इलाके में उसका खौफ कायम हो गया। जब गुड्डू अपराध के रास्ते पर चलने लगा तो घरवालों को लगा की उसे प्रयागराज से दूर कहीं भेज दिया जाए ताकी वह सुधर जाएगा। घर वालों ने उसे प्रयागराज से लखनऊ भेज दिया कि वहां जाकर सुधर जाएगा, लेकिन वह लखनऊ में आकर सुधरने की बजाए बड़े माफियाओं के संपर्क में आता गया। इसी दौरान वह फैजाबाद के हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह की गैंग से शामिल हो गया और कम ही समय में गुड्डू मुस्लिम सत्येंद्र का भरोसा जीत लिया और उनके भरोसेमंद लोगों में भी शामिल हो गया। सत्येंद्र जब भी किसी बड़े अपराध को अंजाम देने की योजना बनाता तो उसमें गुड्डू जरूर शामिल होता था।

बात 1997 की है। एक दिन हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह अपने साथी गुड्डू मुस्लिम के साथ घर से निकलता है। गुड्डू गाड़ी की अगली सीट पर बैठा था, लेकिन कुछ दूर चलने के बाद गाड़ी रुक जाती है और गुड्डू उतरकर आगे खड़ी दूसरी गाड़ी में बैठ जाता है। जैसे ही गुड्डू की गाड़ी 100 मीटर आगे बढ़ती है तभी सत्येंद्र की गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगती है। एके-47 से ताबड़तोड़ हुई इस गोलीबारी में सत्येंद्र सिंह मारा जाता है और वहीं इस घटना में गुड्डू बच निकलता है।
कई मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया है कि गुड्डू मुस्लिम ने ही सत्येंद्र सिंह की मुखबिरी की थी। इस हत्या का आरोप श्रीप्रकाश शुक्ला पर लगा था।

संतोष सिंह को धोखा देने का आरोप

1996 में गुड्डू मुस्लिम अयोध्या के सरायरासी गांव में अक्सर आता जाता था। इसी गांव के संतोष सिंह से उसकी दोस्ती हो गई थी। संतोष के पास उस समय मारुति कार और राइफल हुआ करती थी। गुड्डू अक्सर संतोष सिंह का राइफल उठाए उनके साथ घूमते हुए देखा जाता था। ऐसा कहा जाता है कि हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह की जिस दिन हत्या हुई थी, उस दिन भी गुड्डू मुस्लिम सत्येंद्र सिंह की गाड़ी से उतरकर अपने साथी संतोष की गाड़ी में ही बैठा था।

मतलब ये कि किसी अपराध को अंजाम देने में अब संतोष और गुड्डू साथ होते थे। इसी समय गुड्डू मुस्लिम ने संतोष सिंह की मुलाकात लखनऊ में बाहुबली धनंजय सिंह और बाहुबली अभय सिंह से कराई।
अभय सिंह और संतोष सिंह का घर आस-पास के गांव में था। एक रोज गुड्डू मुस्लिम के साथ संतोष सिंह लखनऊ के लिए निकला, लेकिन वापस घर नहीं लौटा। अगले दिन उसका शव रायबरेली में सड़क किनारे मिला था। ऐसा माना जाता है कि संतोष की हत्या में भी गुड्डू का ही हाथ था।

श्रीप्रकाश की गैंग में शामिल होकर और खतरनाक बना

सत्येंद्र सिंह की हत्या के बाद गुड्डू मुस्लिम श्रीप्रकाश शुक्ला के करीब आ गया था। अब गुड्डू मुस्लिम धमकी देकर राज्य के बड़े टेंडर को कब्जाने लगा था। जुलाई 1997 में राज्य निर्माण निगम के इंजीनियर को लखनऊ में बीच सड़क पर गोलियों से भून दिया गया। इस हत्या का आरोप गुड्डू मुस्लिम पर लगा था।बड़े-बड़े सरकारी टेंडर कब्जा करने के दौरान गुड्डू की मुलाकात दुर्दांत अपराधी रहे श्रीप्रकाश शुक्ल से हुई। अब गुड्डू मुस्लिम श्रीप्रकाश शुक्ला की गैंग में शामिल हो गया। शुक्ला गैंग में शामिल होने के बाद गुड्डू और भी अधिक खतरनाक होता गया। हर बड़ी वारदात में गुड्डू को श्रीप्रकाश शुक्ला का साथ मिलने लगा था। गुड्डू श्रीप्रकाश को अपना गुरु मानने लगा था। इसके बाद गुड्डू मुस्लिम ने रियल एस्टेट कारोबार में भी खूब पैसा कमाया। गुड्डू अक्सर श्रीप्रकाश के साथ होता था।

23 अक्टूबर 1998 को इनपुट मिलते ही एसटीएफ ने गाजियाबाद के इंदिरापुरम के सुनसान इलाके में एक नीली कार को घेर लिया। कार में माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला अपने दो साथियों के साथ बैठा था। एसटीएफ ने उसे सरेंडर करने को कहा गया, लेकिन वह नहीं माना और फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की जिममें श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया। हालांकि इस बार भी गुड्डू मुस्लिम बच निकला। ऐसा माना जाता है कि श्रीप्रकाश शुक्ला का जो इनपुट एसटीएफ को दिया गया था वह गुड्डू मुस्लिम से ही मिला था।

अतीक ने जेल से छुड़वाने तो करीब आया गुड्डू

2001 में खुफिया सूचना पर गोरखपुर पुलिस गुड्डू मुस्लिम को पटना के बेऊर जेल के पास से गिरफ्तार कर लेती है। इसके बाद माफिया अतीक अहमद की यहां फिल्मी अंजाद में एंट्री होती है। अतीक गुड्डू को जमानत पर जेल से बाहर निकलवाता है। फिर क्या था अब गुड्डू अतीक का करीबी बन गया। 2005 में प्रयागराज पश्चिमी विधानसभा सीट से बीएसपी के विधायक राजू पाल की हत्या हो गई। यूपी के सीनियर पुलिस अधिकारी बताते हैं कि जिस तरह से गुड्डू ने 2005 में राजू पाल पर हथगोला फेंका था उसी तरह फेंका, उसी तरह उसने फरवरी 2023 में राजू पाल मामले के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या के दौरान फेंका था।
24 फरवरी 2023 को राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्या के बाद जो सीसीटीवी फुटेज आया उसमें गुड्डू मुस्लिम बम बरसाते नजर आता दिख रहा है।

एक बार फिर गुड्डू पर लग रहे अतीक से दगाबाजी के आरोप

यूपी एसटीएफ को 13 अप्रैल को जानकारी मिली कि गुड्डू मुस्लिम, असद और गुलाम झांसी में हैं। पारीछा पावर प्लांट के ठेकेदार सतीश पांडे के घर में उनके ठहरने की जानकारी मिली। इसके बाद एसटीएफ की एक टीम छापेमारी के लिए झांसी पहुंच गई। इसकी भनक पहले ही गुड्डू मुस्लिम को लग गई और वह वहां से फरार हो गया। छापेमारी के दौरान एसटीएफ को पारीछा पावर प्लांट और सतीश पांडे के घर से कुछ नहीं मिला।
इसके बाद एसटीएफ को अतीक के बेटे असद और गुलाम के झांसी में ही चिरगांव के पास होने का इनपुट मिला। यहां एसटीएफ के पहुंचते ही दोनों ओर से क्रॉस फायरिंग होने लगी, जिसमें असद और गुलाम मारे गए। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बमबाज गुड्डू मुस्लिम ने खुद को बचाने के लिए ही एसटीएफ तक असद और गुलाम के लोकेशन की जानकारी भेजी थी और उसके बाद एसटीएफ ने दोनों का एनकाउंटर कर दिया।
माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद एक बार फिर यहां भी यही सवाल उठने लगा है कि क्या माफिया ब्रदर्स को गुड्डू मुस्लिम ने ही दगा दे दिया। अब अतीक और अशरफ के हत्या के खुलासे के बाद ही यह पता चल पाएगा की आखिर इन दोनों की हत्या के पीछे कौन था?

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