केशव प्रसाद मौर्य: जिन्हें लगातार हार भी नहीं तोड़ पायी, जानें कैसे बने सत्ता के 'बाजीगर'
Keshav Prasad Maurya: केशव प्रसाद मौर्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चर्चित चेहरे हैं। वर्तमान में ये उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री हैं। चलिए जानते हैं गरीब किसान परिवार में जन्मे मौर्य कैसे बने बीजेपी के दिग्गज नेता।;
केशव प्रसाद मौर्य (फोटो साभार- ट्विटर)
Keshav Prasad Maurya: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चर्चित चेहरे हैं। वर्तमान में ये उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री (Uttar Pradesh Deputy Chief Minister) हैं। इससे पहले वो साल 2014 में बीजेपी की टिकट पर फूलपुर लोकसभा सीट से जीतकर सांसद (Phoolpur MP) बने थे। इन्हें विहिप के नेता रहे अशोक सिंघल (Ashok Singhal) का बेहद करीबी माना जाता है।
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म (Keshav Prasad Maurya Birthday) 7 मई, 1969 को कौशांबी जिले के सिराथू (Keshav Prasad Maurya Birthplace) में हुआ था। केशव मौर्य एक गरीब किसान परिवार (Keshav Prasad Maurya Family) से हैं। गरीबी की वजह से इनका बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता। शुरूआती जीवन में इन्हें चाय और अखबार बेचकर जीवन गुजर बसर करना पड़ा। केशव मौर्य के पिता का नाम श्याम लाल मौर्य और माता का नाम धनपति देवी मौर्य है। इनका विवाह 1986 में राजकुमारी देवी मौर्य (Keshav Prasad Maurya Wife Rajkumari Devi) से हुआ था। केशव प्रसाद मौर्य कोइरी जाति (Keshav Prasad Maurya Cast) से हैं, जो यूपी में ओबीसी (OBC) है।
आज कई बिजनेस कर रहा मौर्य परिवार
बता करें केशव मौर्य ने कहां तक पढ़ाई की है (Keshav Prasad Maurya Ne Kaha Tak Padhai Ki Hai) तो उन्होंने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के हिन्दी साहित्य सम्मलेन से हिंदी साहित्य में ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई (Keshav Prasad Maurya Education) की है। इनकी धर्मपत्नी का नाम राजकुमारी देवी मौर्य है। इन दोनों की दो संताने (Keshav Prasad Maurya Child) हैं। हालांकि, इनका बचपन मुफलिसी में बीता मगर वर्तमान में राजनीति के साथ-साथ इनका अपना बिजनेस आदि भी है। चुनावी हलफनामे के मुताबिक आज केशव प्रसाद मौर्य दंपती के नाम पेट्रोल पंप, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी, कामधेनु लॉजिस्टिक आदि है। साथ ही ये दंपति जीवन ज्योति अस्पताल में पार्टनर भी हैं।
आरएसएस-वीएचपी में गुजारा दो दशक
केशव प्रसाद मौर्य की छवि हिंदुत्व की राजनीति के लिए जानी जाती है। ऐसा इसलिए कि ये करीब 18 वर्षों तक विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) से जुड़े रहे। इस दौरान इन्होंने वीएचपी के लिए जमकर प्रचार किया। धीरे-धीरे ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के करीब आते गए। आरएसएस से जुड़े होने के कारण इन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन (Ram Mandir Andolan) में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इन दो हिन्दू संगठनों के साथ लंबा समय गुजरने का काफी फायदा इनकी आगामी राजनीतिक जमीन को मिला।
अपने शरुआती दिनों में ये कुछ समय के लिए बजरंग दल से भी जुड़े थे। इस दौरान इन्होंने गो- रक्षा आंदोलन में भी जोर-शोर से हिस्सा लिया। भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा की पिछड़ी जाति सेल में भी इन्होंने काम किया। और जब हिंदुत्व की राजनीति का दौर आया तो केशव प्रसाद मौर्य चल निकले।
केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर (Keshav Prasad Maurya Rajnitik Safar)
केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 2002 के विधानसभा चुनाव से बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में हुई। इस चुनाव में इलाहाबाद शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से केशव मौर्य को बीजेपी उतारा गया। हालांकि इस चुनाव में वो हार गए, उन्हें बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी राजू पाल ने हराया। हार का सिलसिला यहीं नहीं थमा। वर्ष 2007 में एक बार फिर बीजेपी ने उन्हें उसी सीट से दोबारा मैदान में उतारा। लेकिन फिर सफलता नहीं मिली। इस चुनाव में वो तीसरे स्थान पर रहे थे।
साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में केशव अपने गृह क्षेत्र सिराथू से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनावी रण में उतरे। इस बार मेहनत रंग लायी। वो पहली बार विधायक बने। ये वो साल था जब समाजवादी पार्टी की लहर थी, बावजूद इसके केशव मौर्य अपनी सीट निकालने में सफल रहे। उस समय इलाहाबाद मंडल के चारों जिलों की अलग-अलग सीटों से जहां अन्य बीजेपी उम्मीदवार हार गए थे, वो इकलौते थे जो जीतने में सफल रहे।
राज्य से निकलकर राष्ट्रीय फलक पर चमके
अब आया वर्ष 2014 जो केशव मौर्य के लिए कुछ खास रहा। 2012 की जीत के बाद अभी केशव मौर्य दो साल ही विधायक रहे थे कि साल 2014 में उन्हें बीजेपी ने फूलपुर लोकसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतार दिया। इस चुनाव में वह तीन लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद धर्मराज सिंह पटेल को हराया। किस्मत एक बार फिर बदली। साल 2016 में पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में ही बीजेपी ने 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
बीजेपी के पास कोई मौर्य नेता न था
बीजेपी में पिछड़े वर्ग से यूं तो कई नेता हैं मगर मौर्य जाति का कोई नेता इनके पास अब तक नहीं था। जबकि यूपी में मौर्य जाति की एक बड़ी आबादी निवास करती है। बस, यही गणित केशव मौर्य और बीजेपी दोनों के मुफीद रहा। राजनीतिक पंडित इसे बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के जातिगत समीकरण का तोड़ मानते हैं।
2017 में सीएम पद के थे प्रबल दावेदार
2017 विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के चेहरे की खोज शुरू हुई तो उसमें भी केशव प्रसाद मौर्य प्रबल दावेदार के तौर पर उभरे थे। एक समय तो उनका नाम सबसे आगे था। मगर उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया। केशव प्रसाद मौर्य को भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई के पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता के तौर पर जाना जाता है।
कई आपराधिक मामले दर्ज
लोकसभा चुनाव के वक्त चुनाव आयोग को दिए हलफनामे के अनुसार केशव प्रसाद मौर्य पर दस गंभीर आरोपों में मामले दर्ज हैं। केशव मौर्य की मानें तो ये सभी मामले उन पर उनसे राजनीतिक दुश्मनी की वजह से उनके प्रतिद्वंदियों ने दर्ज कराए हैं। इन मामलों में उनपर दंगे भड़काने, अपराध संबंधी साजिश रचने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने आदि के मामले दर्ज हैं।
केशव प्रसाद मौर्य का जीवन परिचय (Keshav Prasad Maurya Jeevan Parichay)
नाम- केशव मौर्य
पिता का नाम- श्याम लाल मौर्य
माता का नाम- धनपति देवी मौर्य
पत्नी का नाम- राजकुमारी देवी मौर्य
शिक्षा- इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के हिन्दू साहित्य सम्मलेन से हिंदी साहित्य में ग्रेजुएशन
केशव प्रसाद मौर्य का पॉलिटिकल करियर (Keshav Prasad Maurya Political Career)
2002 में इलाहाबाद शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी, चुनाव हार गए
2007 में उसी सीट से फिर बीजेपी उम्मीदवार, चुनाव हार गए
2012 में गृह क्षेत्र सिराथू से बीजेपी प्रत्याशी, चुनाव जीते
2014 लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट जीतकर बीजेपी सांसद बने
2016 में यूपी बीजेपी के अध्यक्ष बनाए गए
2017 में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बने, विधान परिषद के सदस्य हैं।
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