Mukhtar Ansari Death: बहुत लम्बी रही है मुख्तार के मुकदमों की लिस्ट
Mukhtar Ansari Death: मुख्तार अंसारी पर कितने क्रिमिनल केस थे, इसकी लिस्ट काफी लम्बी रही है। गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास के साथ ही 2.02 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
Mukhtar Ansari Death: मुख्तार अंसारी पर कितने क्रिमिनल केस थे, इसकी लिस्ट काफी लम्बी रही है। गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास के साथ ही एमपी/एमएलए कोर्ट की अदालत ने 2.02 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। 18 वर्षों से मुख्तार जेल में है। उस पर यूपी, दिल्ली और पंजाब में 65 मुकदमे दर्ज हैं।
लम्बी रही है क्रिमिनल केस की लिस्ट
देश की अलग-अलग अदालतों में हत्या, हत्या के प्रयास, हथियारबंद तरीक़े से दंगे भड़काने, आपराधिक साज़िश रचने, आपराधिक धमकियाँ देने, सम्पत्ति हड़पने के लिए धोखाधड़ी करने, सरकारी काम में व्यावधान पहुंचाने से लेकर जानबूझकर चोट पहुंचाने, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, गैंगस्टर, एनएसए जैसी विभिन्न जघन्य प्रकृति के अपराधों के लगभग 65 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें पंजाब में एक और दिल्ली में तीन मुकदमे दर्ज हैं। बाकी मुकदमे यूपी में दर्ज हैं। मुख्तार अंसारी गैंग और इसके सहयोगियों पर 161 मामलों में मुकदमे दर्ज हैं। 175 लाइसेंसी शस्त्र धारकों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। मुख्तार गैंग के 164 सदस्यों के खिलाफ गैंगेस्टर अधिनियम और 6 साथियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अन्तर्गत कार्रवाई भी कई गई है।
- पहली बार 1988 में मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर स्थानीय ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम सामने आया था।
- इसके बाद त्रिभुवन सिंह के भाई कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या का आरोप माफिया पर लगा था।
- मुख्तार पहली बार 1991 में पुलिस की गिरफ्त में आया। हालांकि पुलिस जब उसे लेकर जा रही थी तब वह फरार हो गया। इस दौरान दो पुलिसकर्मी भी मारे गए।
- 1996 में एएसपी उदयशंकर पर जानलेवा हमले का भी मुख्तार अंसारी पर आरोप लगा था।
- 1997 में पूर्वांचल के कोयला व्यवसाई के अपहरण का भी आरोप मुख्तार पर लगा था।
कृष्णानंद राय हत्याकांड
भाजपा ने कृष्णानंद राय को 2002 में गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से चुनाव लड़ाया और वह जीत गए। कृष्णानंद राय ने 17 साल बाद अंसारी परिवार से सीट छीन ली थी। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल चुनाव हार गए थे। लेकिन तीन साल बाद ही कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। कृष्णानंद के साथ कुल 6 और लोग गाड़ी में थे. एके-47 से तक़रीबन 500 गोलियां चलाई गईं, सभी सातों लोग मारे गए। कहा जाता है कि ग़ाज़ीपुर की अपनी पुरानी पारिवारिक सीट हार जाने से मुख़्तार अंसारी की नाराजगी थी।मुख्तार के दुर्दिन की शुरुआत 2017 में हुई जब प्रदेश में भाजपा सत्ता में आई। योगी सरकार की सख्तियां बढ़ी तो यूपी छोड़कर पंजाब के जेल में मुख्तार ने शरण ली। हालांकि न्यायालय के आदेश के बाद पंजाब सरकार को मुख्तार को वापस सौंपना पड़ा। तभी से वह बांदा जेल में बंद था। मुख्तार की मऊ, गाजीपुर, लखनऊ में 400 करोड़ की संपत्ति या तो जब्त हो चुकी या ध्वस्त की जा चुकी हैं।