जानिए परमवीर चक्र विजेता यदुनाथ सिंह के बारे मे, ये हैं उनके अनसुने किस्से

आज हम आपको 1948 मे भारत पाक युद्ध के नायक व परमवीर चक्र विजेता यदुनाथ सिंह के बारे मे कुछ अनसूने किस्सों के बारे मे बताएंगे।

Update: 2020-02-06 13:31 GMT

आसिफ अली

शाहजहांपुर। आज हम आपको 1948 मे भारत पाक युद्ध के नायक व परमवीर चक्र विजेता यदुनाथ सिंह के बारे मे कुछ अनसूने किस्सों के बारे मे बताएंगे। क्योंकि आज उनका बलिदान दिवस है। इस दिन उन्होंने भारत की रक्षा करते हुए कश्मीर के नौशहरा सेक्टर मे कई गोलियां खाकर पाक के हमले को नेस्तनाबूद कर दिया था।

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बलिदान दिवस के अवसर पर सेना अधिकारी और जवानों ने उनके गांव पहुँचकर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। साथ ही newstrack.com ने यदुनाथ के साथ देश के लिए लङ रहे 100 वर्ष के सेना के पूर्व अधिकारी से भी बात की। यदुनाथ के शहीद होने की खबर सुनकर दुश्मन देश के सैनिकों पर हमला कर नौशहरा पर कब्जा नही होने दिया था।

परमवीर चक्र विजेता के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक

लेकिन परमवीर चक्र के विजेता के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है। आज उनका मिट्टी का टूटा हुआ घर है। करीब माह पहले जब सेना कुछ जवान गांव पहुचे तो उनकी प्रतिमा काफी गंदगी के बीच खङी थी। वहीं जब सेना के एक अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर आज यदुनाथ सिंह जिंदा होते तो शर्मिदा होते।

दरअसल परमवीर चक्र विजेता शहीद यदुनाथ जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर तहसील कलान के खजूरी गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता बलवीर सिंह खेतीबाड़ी का काम करते थे। उनके साथ भाई है वह भी खेतीबाड़ी करते थे। लेकिन इस वक्त उनके सभी भाईयों की मौत हो चुकी है।

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मिट्टी के जैसे कई दशक पहले बना था उनका घर

अब गांव मे उनके भतीजे और उनकी एक भाभी रहती है। लेकिन खास बात ये है कि सभी के घर टूटे है। आज भी उनके वैसे ही घर बने है मिट्टी के जैसे कई दशक पहले बने थे। लेकिन साल मे एक ही बार परमवीर चक्र विजेता की याद जिला प्रशासन से लेकर आर्मी को आती है।

जब उनका बलिदान दिवस होता है। उस दिन सभी अधिकारी आते है। माल्यार्पण करते है और खजूरी के वासियों से बङे बङे वादे करके चले जाते है।दरअसल 21 नंबर 1941 को जददूनाथ सिंह राजपूत रेजीमेंट बटालियन मे शामिल हुए थे। उस वक्त उनको टुकङी का कमांडर बनाया गया था।

पाक फौज को आगे नही बढ़ने दिया

6 फरवरी 1948 के दिन पाक फौज की टुकङी ने कश्मीर के नौशहरा सेक्टर पर हमला कर दिया था। तब सबसे पहले जददूनाथ सिंह की टुकङी को भेजा गया था। उनकी टुकङी के सभी जवान एक-एक कर के शहीद हो गए थे। जददूनाथ के कई गोलियां लगी थी। लेकिन उन्होंने पाक फौज को आगे नही बढ़ने दिया था।

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राजपूत रेजीमेंट की सैकेंड टुकङी मे खजूरी गांव के ही रहने वाले तेजपाल सिंह भी शामिल थे। उनकी उम्र करीब सौ साल हो चुकी है। उन्होंने newstrack.com से बात करते हुए कहा कि मेरी सेना की टुकङी यदुनाथ सिंह की टुकङी से करीब बीस किलोमीटर पीछे थी। उनको खबर मिली थी कि यदुनाथ सिंह को कई गोलियां लग चुकी है।

लेकिन फिर भी वह पाक फौज की टुकङी को आगे नही बढ़ने दे रहे हैं। उसके बाद सैकेंड टुकङी ने पाक फौज पर हमला करके उनको मार गिराया था। तब नौशहरा सेक्टर पर कब्जा नही होने दिया गया था। अब बात करते है कि आज परमवीर चक्र विजेता नायक यदुनाथ सिंह का बलिदान दिवस है। उनके गांव मे प्रतिमा लगी हुइ है।

आज के दिन बाद खास कार्यक्रम सेना के द्वारा किया जाता है

 

31 राजपूत रेजीमेंट आफिसर नीतीश कुमार सिंह ने newstrack.com को बताया कि बलिदान दिवस के मौके पर वह करीब एक माह पहले इस गांव में आ गए थे। लेकिन उस वक्त उनकी प्रतिमा और उसके आसपास की हालत बहुत खराब थी। काफी गंदगी फैली थी। तब सेना के जवानों ने एक महीने की कङी मेनहत के बाद प्रतिमा को साफ करवाया। यहां रोड बनवाया।

तब बहुत हैरान कर देने वाली बात सामने आई। सफाई करने को लेकर उन्होंने गांव वासियों से कुछ सहयोग मांगा था। सहयोग पैसे का नही था। सेना के जवान चाहते थे कि कुछ ग्रामिण हमारे साथ कुछ मेनहत करके प्रतिमा के आसपास सफाई कर दें। लेकिन किसी ने भी हाथ नही लगाया। अगर आज यदुनाथ सिंह जिंदा होते तो बहुत शर्मसार होते।

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