बचे हुए भोजन को ऐसे बचाएगी यूपी सरकार

आपने देखा होगा कि अक्सर होटलों एवं रेस्टोंरटों में लोग खाना छोड देते है जिसे होटल वाले डस्ट बिन में डाल देते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने एक ऐसा रास्ता निकाला है जिससे बचा हुआ खाना बरबाद न हो और इसे जरूरतमंदों तक के लिए पहुंचाया जा सके।

Update:2019-11-06 21:39 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: आपने देखा होगा कि अक्सर होटलों एवं रेस्टोंरटों में लोग खाना छोड देते है जिसे होटल वाले डस्ट बिन में डाल देते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने एक ऐसा रास्ता निकाला है जिससे बचा हुआ खाना बरबाद न हो और इसे जरूरतमंदों तक के लिए पहुंचाया जा सके।

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के माध्यम से लखनऊ में कुल 62 होटल व रेस्टोरेण्टों को बचे हुए खाने को उपलब्ध कराने के लिए एक संस्था से जोड़ दिया गया है जो जरूरत मंदों को भोजन पहुंचाने का काम करेगी।

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खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन तथा इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेन्ट में 'ईट राईट ईट सेफ ईट सस्टेनबली' के तहत =एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग, लखनऊ के अधिकारियों द्वारा रॉबिन हुड आर्मी को विभिन्न होटलों एवं रेस्टोरेण्ट से बचे हुए खाने की उपल्बधता सुनिश्चित कराने के लिए जन-सुगम की भूमिका दी गयी।

स्वयंसेवी संस्था रॉबिन हुड आर्मी बचे हुए खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचाती है और वितरित किये जा रहे भोजन की गुणवत्ता के सम्बन्ध में उनके स्वयंसेवको द्वारा उस भोजन को स्वयं चखने के बाद ही वितरित करती है। उनमें प्रमुख नाम सागर रत्ना, सिल्वेट, लेवाना, रिट्ज कॉन्टिनेण्टल, मधुरिमा स्वीट्स, रॉयल कैफे, आर्यन रेस्टोरेण्ट, मोती महल, गोल्डेन एपिल रेस्टोरेण्ट एवं क्लासिक स्वीट्स आदि हैं।

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लखनऊ के अतिरिक्त 13 अन्य जनपदों में भी इसी प्रकार बचे हुए सुरक्षित खानों को स्वयंसेवी संस्था द्वारा वितरण के लिए टाई-अप किया गया है । जिनमें बरेली, बिजनौर, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, मथुरा, मुरादाबाद, मुगलसराय(चन्दौली), वाराणसी, अलीगढ़, प्रयागराज, मेरठ, उरई (जालौन) प्रमुख हैं। इन जिलो के 239 होटलों एवं रेस्टोरेण्टों के माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग 6 लाख, 6 हजार व्यक्तियों को भोजन मिल सकेगा।

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अपर मुख्य सचिव द्वारा होटल मैनेजमेन्ट के प्रशिक्षार्थियों को भी होटल इंडस्ट्री के माध्यम से भोजन, पानी, ऊर्जा व अन्य संसाधन बचाने की प्रणालियां लागू करने व पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित इको-फ्रैन्डली सोच होटल व रेस्टोरेण्ट में तैयार कर क्रान्ति लाने में उनकी अहम भूमिका के बारे में भी बताया गया।

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