पूर्णिमा श्रीवास्तव
गोरखपुर: केन्द्र और प्रदेश सरकार जिन योजनाओं को मिशन 2019 को लेकर गेम चेंजर बता रही हैं वह लोगों को राहत देने के बजाए मुसीबत देती नजर आ रही हैं। किसानों की कर्जमाफी, टायलेट निर्माण सरीखी योजनाओं में अफसरों की हमेशावाली उदासीनता लाभार्थियों पर भारी पड़ रही है। नतीजतन, योजनाओं के लाभ के चक्कर में हजारों लोग कर्ज की बोझ तले दबे हुए नजर आने लगे हैं। शहर के गांव तक लोग हजारों खर्च अनुदान के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लग रही है।
गोरखपुर में 70 हजार लोगों ने इस उम्मीद में शौचालय बनवा लिया कि केन्द्र और प्रदेश की उन्हें मदद मिलेगी। ऐसे में जिला प्रशासन पर करीब 84 करोड़ रुपये का उधार हो गया है। जिन ग्रामीणों ने अपने पैसे से टॉयलेट बनवा लिए अब वह पैसे के लिए विभाग के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं कर्जदार प्रशासन वादा निभाने से कतराता नजर आ रहा है। अफसर दलील दे रहे हैं कि टॉयलेट का लाभ विभिन्न फेज में दिया जाना था, लेकिन अधिकतर लोगों ने निर्माण की प्रगति वेबसाइट पर अपलोड ही नहीं की। दौड़-दौड़ कर निराश हो चुके ग्रामीणों को अफसरों की हरकतों पर खासा आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर जानते कि ऐसे दिन देखने पड़ेंगे तो बिना रकम मिले टॉयलेट का निर्माण ही नहीं कराते।
फंस गये टॉयलेट बनवा के
गोला के कमलेश कहते हैं कि उधार लेकर शौचालय का निर्माण कराया था। रोज अफसरों का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। चौका बर्तन कर घर का खर्च चलाने वाली झरना टोला की कुसमावती ने घर में शौचालय निर्माण के लिए चार माह पहले 8 हजार रुपये ब्याज पर लिए थे। जिससे शौचालय के लिए गड्ढा भी खुदवा लिया। इसके फोटो भी नगर निगम में जमा भी करा दी लेकिन उन्हें एक भी पैसा नहीं मिला है। बिछिया जंगल तुलसी राम की साधना ने घर में शौचालय निर्माण के लिए कंचन ने भी पैसे ब्याज पर लिए। टॉयलेट भी शुरू करा दिया। इसके फोटो भी नगर निगम में जमा करा दिए। लेकिन अभी तक उसे पैसे नहीं मिल सके हैं। छोटे काजीपुर निवासी अमरनाथ कुशवाहा पेशे से कारीगर हैं। घर में शौचालय बनवाने के लिए उन्होंने 8 हजार रुपये का कर्ज रिश्तेदार से लिया। निगम में करीब छह माह पहले फोटो जमा कर दिया था। टॉयलेट का निर्माण भी करा दिया है। अब निगम से पैसा लेने के लिए अनिल चक्कर काट रहा है। लेकिन अभी तक उसको पहली किश्त तक नहीं मिली है।
स्वच्छ भारत मिशन की सुस्त रफ्तार
स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में बनाए जा रहे शौचालयों की रतार अभी भी काफी सुस्त है। 2 अक्तूबर 2018 तक गोरखपुर को खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य है। ऐसे में जिस गति से शौचालय बनाने का काम चल रहा है उससे साफ है कि मार्च 2019 तक भी गोरखपुर ओडीएफ नहीं हो सकेगा। गोरखपुर जिले में अभी भी 1.20 लाख शौचालयों का निर्माण होना शेष है।
बीस हजार आवेदन
शौचालय निर्माण के लिए नगर निगम में 20 हजार से अधिक आवेदन आये हैं। बमुश्किल 2000 लाभार्थियों के खाते में ही पूरी रकम पहुंची है। शौचालय के लिए मिलने वाली रकम में पेंच ही पेंच हैं। 50 फीसदी राशि यानी 4 हजार रुपये की पहली किश्त शौचालय निर्माण के लिए गड्ढा खोदने पर दी जाती है। 50 फीसदी राशि यानी 4 हजार रुपये की दूसरी किश्त शौचालय का निर्माण पूरा होने पर लाभार्थी को दी जाती है।
मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मुकेश रस्तोगी का कहना है कि शासन से जितना पैसा आया था। वह लाभार्थियों के खातों में नियमानुसार भेज दिया गया है। शासन से पैसा आ गया है। शेष जो लोग बचे हैं और जिनके फोटो अपलोड हो गए हैं। उनके खातों में पैसा भिजवा दिया जाएगा।
कर्ज से नहीं मुक्त हुए हजारों किसान
प्रदेश सरकार ने चुनावी घोषणा पर अमल करते हुए किसानों का कर्ज माफ कर दिया था। बड़ी संख्या में किसानों को कर्जमाफी प्रमाण पत्र भी मिल गया था। लेकिन बैंकों ने कई किसानों को दुबारा कर्जदार बना दिया। बैंक अधिकारियों का तर्क था कि किसान नियम के तहत नहीं आ रहे थे जिसकी वजह से उनसे रकम वापस ले ली गई।
गोरखपुर में 76706 किसानों की कर्ज माफी की घोषणा हुई थी। 40447 किसानों को कर्ज माफी का लाभ मिला है। 1300 किसानों के खाते से रकम वापस हो गई। कर्जमाफी का लाभ नहीं मिलने के चलते मई महीने में 8471 किसानों ने ऑनलाइन शिकायत की थी। जांच के बाद 3104 किसानो को पात्र पाया गया, लेकिन इनका पॉसबुक अभी अपडेट नहीं हुआ है।
देवरिया में 42 हजार 500 किसानों का 192 करोड़ रुपया माफ हुआ था। कर्जमाफी से वंचित करीब 6000 किसानों ने ऑनलाइन शिकायत की है। कुशीनगर में करीब 80 हजार किसानों की कर्जमाफी सरकार ने की थी। 1001 किसानों का धन वापस हो चुका है और वे दुबारा बैंकों के कर्जदार हो गए हैं। वहीं संतकबीर नगर में भी 34 हजार किसानों का कर्जमाफ हुआ था। लेकिन 1500 किसानों के खातें में धन जाने के बाद वापस हो गया। शिकायत के बाद एक बार फिर खातों की जांच की जा रही है।
कर्ज लेकर बनवा लिया आवास, नहीं पहुंची किश्त
गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र के 2787 लाभार्थियों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते वर्ष अगस्त में यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री आवास के स्वीकृति पत्र दिये थे। इनमें से अधिकतर लोगों तक अभी तक पहली किश्त भी नहीं पहुंची है। लाभार्थी डीएम से लेकर डूडा कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। मिसाल के तौर पर जनप्रिय विहार वार्ड में 34 लाभार्थियों तक पहली किश्त भी नहीं पहुंची है। स्थानीय पार्षद ऋषि मोहन वर्मा ने लाभार्थियों के साथ जिलाधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन कुछ नहीं हुआ। वर्मा का कहना है कि अधिकारियों की बेपरवाही से महत्वाकांक्षी योजना पर अमल नहीं हो पा रहा है। वहीं झरना टोला वार्ड में 150 से अधिक लोगों को अभी तक पीएम आवास का लाभ नहीं मिल सका है।
स्थानीय पार्षद संध्या गुप्ता का कहना है कि तमाम लोग ऐसे हैं कि जिनके पास जमीन तो है लेकिन मकान नहीं है। इसी तरह धर्मशाला बाजार, अधियारी बाग, महादेव झारखंडी में भी दर्जनों लाभार्थी पहली किश्त के लिए टकटकी लगाए हुए हैं। डूडा के परियोजना अधिकारी तेज प्रताप सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री के हाथों जिन्हें प्रमाण पत्र मिले थे उनमें से करीब 2200 के खाते में पहली किश्त जा चुकी है। 31 मई तक लोगों के खातों में पहली किश्त भेजी जानी थी। बैंकों की हड़ताल के चलते नहीं भेजा जा सकी। लाभार्थियों के वेेरिफिकेशन में समय लग रहा है।