Lucknow News: एकजुटता और जनजागरण से ही गोमती की सफाई संभव, स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ नदी जरूरी

Lucknow News: गुरुवार को लोकभारती सामाजिक संगठन द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के आर्किटेक्चर कॉलेज में "गोमती संवाद- नदी हमारी, दायित्व हमारा" का आयोजन किया गया। संवाद के माध्यम से गोमती संरक्षण के लिए कार्य कर रहे विभिन्न सामाजिक संगठन, सरकारी विभाग, उद्योग एवं व्यापार से जुड़े संगठन एवं सामाजिक कार्यकर्ता एकजुट हुए और गोमती को साफ करने के लिए प्रेरित किया।

Update:2023-04-21 00:03 IST
Lok bharti Organized Gomti Samvad In Architect College Lucknow University lucknow

Lucknow News: हमारे ग्रंथों में गोमती को देवी का दर्जा दिया गया है तो क्यों गटर की तरह प्रयोग करते हैं। बड़े-बड़े नाले सीधे गोमती में गिरते हैं। गोमती नदी के किनारे बने रिवरफ्रंट में 19 नाले गंदगी गिरा रहे हैं। जलकुंभियों से पानी ठहर कर और गंदे हो रहा है। बची हुई कसर लोग पन्नी व कचरे डाल कर पूरा कर देते हैं। इसी गंभीर विषय पर गुरुवार को लोकभारती सामाजिक संगठन द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के आर्किटेक्चर कॉलेज में "गोमती संवाद- नदी हमारी, दायित्व हमारा" का आयोजन किया गया। संवाद के माध्यम से गोमती संरक्षण के लिए कार्य कर रहे विभिन्न सामाजिक संगठन, सरकारी विभाग, उद्योग एवं व्यापार से जुड़े संगठन एवं सामाजिक कार्यकर्ता एकजुट हुए और गोमती को साफ करने के लिए प्रेरित किया।

नदियां जब पूजनीय हैं तो गटर की तरह क्यों प्रयोग करते हैं: नवनीत सहगल

कार्यक्रम में पहुंचे नवनीत सहगल ने कहा कि ऐसे आयोजनों में सम्मिलित होकर बहुत खुशी होती है। मैंने भी अपने पदों पर रहते हुए गोमती की सफाई के लिए कई योजनाओं को मंजूरी दी। सरकार सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर बना सकती है, लेकिन गोमती को स्वच्छ करने के लिए लोगों को जागरुक होना पड़ेगा। हमारे पुराणों में गोमती को पूजनीय नदी माना गया है। फिर भी लोग इसमें कचरा फेकते हैं। कचरा फेंकने से पहले सोंचना होगा कि यही पानी हमें पीना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इसके लिए कार्य कर रहे हैं। उनके इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि पिछले कुछ सालों में गोमती में काफी सुधार हुआ है।

नदियों को स्वच्छ रखने में उच्च शिक्षा का अहम रोल

लोक भारती के संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि गोमती की इस स्थिति के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। आने वाले जनरेशन को स्वस्थ जीवन देन् के लिए धारणीय विकास आवश्यक है। धारणीय विकास हमारी व्यवस्था का हिस्सा रहा है। विद्यार्थियों और युवाओं को जागरुक करना होगा। उच्च शिक्षा का इसमें अहम योगदान होता है। शिक्षा के माध्यम से ही ऐसी मनोवृत्ति पैदा करनी होगी।

छात्रों और युवाओं को जागरुक करना होगा

शैक्षणिक संगठन में राष्ट्रीय सेवा योजना की विशेष कार्याधिकारी डॉ मंजू सिंह ने कहा कि जब तक जनमानस नहीं जुड़ जाता तब तक हम अपने प्रयास में सफल नहीं हो सकते। इसके लिए स्कूली बच्चों और युवाओं को जोड़ना ही होगा। लोगों की भावनाओं को जगाना होगा।

प्रकृति पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक

नेशनल पीजी कॉलेज के ज्योग्राफी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ रितु जैन ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। मुख्य रूप से जल के तीन स्त्रोत होते हैं- वर्षा जल, भू-जल और नदी जल। पेय जल को स्वच्छ रखना हम सबका कर्तव्य है। दुनिया में 800 मिलियन लोगों के लिए पानी सुलभ नहीं है। पानी से संबंधित बिमारी से प्रत्येक 21 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयासों के बाद आज भी दुनिया में करीब एक अरब लोग खुले में सौंच कर रहे हैं। दुनिया का पहला जलमुक्त शहर केपटाउन बन गया है। हमें जागना होगा। नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब हम भी पानी से संबंधित अनेक बिमारियों से अपने साथ-साथ अपने बच्चों को भी मौत के मुह में धकेल देंगे।

संवाद में आए तमाम लोगों ने अपनी-अपनी राय दी। सभी का मानना था कि नदियों को स्वच्छ रखने के लिए जनजागरण आवश्यक है। शिक्षा व्यवस्था में नदियो के प्रति जागरुक करने के लिए विधान बनाना होगा। कार्यक्रम में धार्मिक एवं सामाजिक संगठन, शैक्षणिक संस्थाएं, सरकारी विभाग, उद्योग एवं मीडिया जगत से जुड़े महानुभाव ने हिस्सा लिया। अलग अलग पैनल के माध्यम से गोमती संरक्षण से जुड़ी चर्चा की गई।

बता दें कि लोक भारती संगठन विगत 14 वर्षों से गोमती पुर्नजीवन के लिए जन अभियान से जन जागरण करता रहा है। गोमती के उद्गम स्थल माधोटांडा पीलीभीत से लेकर गोमती के संगम तक गोमती यात्रा के साथ-साथ विभिन्न स्थानों पर जन समुदाय एवं सरकार के माध्यम से श्रमदान, स्वच्छता कार्यक्रम, प्राकृतिक कृषि, घाटों का सुंदरीकरण एवं गोमती को सदानीरा एवं बनाने के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। इसी क्रम में गोमती पुनर्जीवन के लिए समेकित रणनीति एवं परस्पर समन्वय स्थापित करने के लिए गोमती संवाद का आयोजन आर्किटेक्ट कॉलेज में किया गया।

गोमती संवाद के माध्यम से सरकारी विभागों ने अपनी जिम्मेदारी तय करते हुए लखनऊ में मनरेगा के माध्यम से गोमती के किनारे स्थित 44 गांव में तालाब निर्माण एवं उनका पुर्नजीवन, सघन वृक्षारोपण, गोमती के किनारें प्राकृतिक कृषि को बढावा देना, गोमती में गिरने वाले नालों को डायवर्जन किया। उद्योग एवं व्यापार जगत से जुड़े विभिन्न संगठनों ने चर्चा की की इसके बाद भी अलग से एक बैठक आयोजित करेंगे, इसमें विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले ठोस एवं तरल कचरा को निस्तारण करने की रणनीति बनाएंगे। शहरी क्षेत्र में नगर निगम, विकास प्राधिकरण, जल निगम आदि समन्वय स्थापित कर शहरी कचरा निस्तारण, घाट पर वृक्षारोपण, निरंतर स्वच्छता आदि पर चर्चा हुई।

सुझाए गए माध्यम

संवाद के दौरान लखनऊ शहर के विभिन्न शैक्षणिक संगठन, राष्ट्रीय सेवा योजना, एनसीसी आदि से जुड़े प्रोफेसर एवं अधिकारियों के साथ युवाओं ने भी गोमती को बचाने के लिए विभिन्न सुझाव नुक्कड़ नाटक, वॉल पेंटिंग, पोस्टर प्रतियोगिता, ऑनलाइन जागरूकता के साथ स्वयंसेवकों के माध्यम से का कार्यक्रम चलाया जाए पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम में ये सम्मिलित हुए

उद्घाटन सत्र के दौरान हनुमंत धाम के महंत गोमती बाबा रामसेवक दास, उद्योग जगत का प्रतिनिधित्व करते हुए ऐसोचैम के प्रदेश संयोजक एवं वास्तुविद अनुपम मित्तल, आर्किटेक्ट कॉलेज प्राचार्य प्रोफ़ेसर वंदना सहगल, लोक भारती के संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह, सह संगठन मंत्री गोपाल उपाध्याय, बीबीएयू के प्रोफेसर वेंकटेश दत्त, उपायुक्त मनरेगा लखनऊ ने चर्चा की। सत्र का संचालन लोकभारती केन नदी एवं जल संरक्षण प्रमुख कैप्टन सुभाष ओझा ने सत्र का संचालन किया। इस दौरान गोमती संवाद के उद्देश्य एवं परिचय के बारे में बताते हुए 960 किमी गोमती की भौगोलिक स्थिति पर चर्चा कार्यक्रम की संयोजक शचि सिंह ने की।

सामाजिक एवं धार्मिक सत्र के में महंत खुशबू, महन्त हर्षानन्द जी महाराज, गोमती की सहायक नदी कठिना पुर्नजीवन हेतु कार्य कर रहे कमलेश सिंह, सहायक नदी भैसी पर कार्य कर रहे लोक भारती के सह संपर्क प्रमुख नीरज सिंह ने चर्चा कर रणनीति बनाई। शैक्षणिक संगठन में राष्ट्रीय सेवा योजना की विशेष कार्याधिकारी डॉ मंजू सिंह, डॉ धुव्र सेन, डॉ रितु जैन ने अपने विचार व्यक्त किये। तीसरे सत्र में सरकारी विभाग, उद्योग एवं मीडिया से जुड़े विशेषज्ञों ने चर्चा की।

इस दौरान कार्यक्रम के सहसंयोजक प्रो. भारती पाण्डेय, विधू शाने, अजीत कुशवाहा, लोक भारती के अध्यक्ष विजय बहादुर, संपर्क प्रमुख श्रीकृष्ण चौधरी, अंशुमालि शर्मा, आचार्य चंद्रभूषण तिवारी, कृष्णानंद राय, हृदेश बिहारी, जितेंद्र बहादुर, सौरभ सिंह सहित राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक एवं एनसीसी के कैडेट व पर्यावरणविद उपस्थित रहे।

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