हाईकोर्ट: बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका,एसएसपी लखनऊ से किया जवाब तलब
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए, एसएसपी लखनऊ से पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।कोर्ट ने एसएसपी लखनऊ को हलफनामा दाखिल कर यह भी बताने को कहा है कि कोर्ट के आ
इलाहाबाद: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए, एसएसपी लखनऊ से पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।कोर्ट ने एसएसपी लखनऊ को हलफनामा दाखिल कर यह भी बताने को कहा है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद उनकी ओर से जवाब क्यों नहीं दाखिल किया गया।
यह आदेश जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। भुनेश वर्मा की ओर से उसकी मां संतोषी वर्मा द्वारा दाखिल उक्त याचिका में कहा गया है कि संतोषी के मां-पिता ने उनके बेटे को जबरन बंदी बनाकर रखा हुआ है।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि याचिका 31 मई 2017 से ही विचाराधीन है लेकिन बार-बार आदेश देने के बावजूद सरकारी वकील को एसएसपी लखनऊ द्वारा मामले के सम्बंध में निर्देश नहीं दिए जा रहे हैं।
गुरूवार को मामले की सुनवाई के दौरान एक हलफनामा दाखिल किया गया जिस पर कोर्ट ने कहा कि एसएसपी ने बजाय सरकारी वकील द्वारा कोर्ट को सूचना देने के, अपनी जिम्मेदारी एक जूनियर अधिकारी पर डाल दी और उन्होंने अपने जूनियर अधिकारी द्वारा ही यह भी नहीं बताया कि कोर्ट के पूर्व के आदेशों के अनुपालन के बावत क्या किया गया।
कोर्ट ने पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।साथ ही यह भी पूछा है कि कोर्ट को पुलिस की दया पर क्यों छोड़ दिया गया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यप्रणाली बर्दाश्त करने के लायक नहीं है और दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।मामले की अगली सुनवायी 26 फरवरी को होगी।