250 IAS का पलटवार: योगी सरकार के पक्ष में पूर्व अधिकारी, लव जिहाद कानून सही
बीते दिनों देश के 104 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में दावा किया है कि धर्मांतरण विरोधी कानून के कारण उत्तर प्रदेश नफरत की राजनीति का केंद्र बन गया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीते महीने ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के चलते यूपी सरकार का काफी ज्यादा विरोध भी किया गया था। कुछ दिन पहले ही सौ पूर्व अधिकारियों ने पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश सरकार के लव जिहाद संबंधित कानून पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अब इन सौ का पलटवार किया है ढाई सौ ने। यानी करीब ढाई सौ से अधिक पूर्व अधिकारियों ने इस मामले में यूपी सरकार के पक्ष में पत्र लिखा है।
पत्र में क्या लिखा था अधिकारियों ने
आपको बता दें कि बीते दिनों देश के 104 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में दावा किया है कि धर्मांतरण विरोधी कानून के कारण उत्तर प्रदेश नफरत की राजनीति का केंद्र बन गया है। इन लोगों ने इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग भी की। पत्र में रिटायर्ड नौकरशाहों ने लिखा है कि धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश ने राज्य को 'घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है।' उन्होंने इस अध्यादेश को तत्काल वापस लेने की मांग की।
104 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स के हस्ताक्षर
इस खुले पत्र पर 104 से अधिक रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस, आईएफइस के हस्ताक्षर हैं, जिनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर, रिटायर्ड आईपीएस जेएफ़ रिबेरो, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, साहित्यकार अशोक वाजपेयी, हर्ष मंदर, अरुणा रॉय, वजाहत हबीबुल्ला शामिल हैं।
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लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी
बता दें कि इस कानून को लेकर कई विपक्षी पार्टियां भी योगी सरकार पर निशाना साध चुकी हैं। लेकिन तमाम विरोधों के बीच उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 24 नवंबर को लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दी थी। लेकिन इसमें कहीं भी लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन यह कहा गया है कि गैर कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने पर एक्शन लिया जाएगा। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के इस अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद यह कानूनी रूप ले चुका है।
ये है सजा का प्रावधान
कानून के अंतर्गत छल कपट से प्रलोभन देकर, बलपूर्वक या विवाह के लिए धर्मपरिवर्तन के सामान्य मामलों में कम से कम एक वर्ष तथा अधिकतम पांच वर्ष की सजा का तथा 15 हजार रूपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। वहीं नाबालिग लड़की, अनुसूचित जाति, जनजाति की महिला का जबरन धर्मपरिवर्तन कराने पर कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष कारावास तथा 25 हजार रूपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामलों में कम से कम तीन वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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अब गुजरात में भी लव जिहाद कानून
बता दें कि ना केवल यूपी बल्कि मध्य प्रदेश में भी लव जिहाद के खिलाफ कानून लागू किया जा चुका है। इसके बाद अब गुजरात सरकार (Gujarat Government) भी राज्य में ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून लाने की तैयारी कर रही है। बीजेपी (BJP) शासित राज्य में अब प्यार और शादी के नाम पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसके लिए एक कानून लाने की योजना बनाई जा रही है।
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