Lucknow: 4 सितंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की हुंकार, महंगाई पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी

Lucknow News: महंगाई, बेरोजगारी के खिलाफ मोदी सरकार को घेरने में जुटी कांग्रेस पार्टी ने आज देश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमले बोले...

Update:2022-08-29 16:35 IST

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करती सुप्रिया त्रिनेत्र (फोटों न्यूज नेटवर्क)

Lucknow News: महंगाई, बेरोजगारी के खिलाफ मोदी सरकार को घेरने में जुटी कांग्रेस पार्टी ने आज देश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर जमकर हमले बोले. यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय पर पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया त्रिनेत्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए कहा कि वह विपक्ष में रह कर बहुत बड़ी बड़ी बात करते थे. आज उन्होंने ही जनता को महंगाई के बोझ तले दबा दिया है। आज जब 45 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी है, लोगों की आय घट गयी है तब देश को महंगाई तले रौंदा जा रहा है। यह महंगाई - पेट्रोल डीज़ल तक ही सीमित नहीं है. आटा, दाल, चावल, दूध, दही, लस्सी के दामों में भी आग लगी है। सुप्रिया श्रीनेत्र ने पिछले 8 सालों का आंकड़ा जारी करते हुए कहा मोदी सरकार का रिकॉर्ड इस सच्चाई को उजागर करता है।

2014

2022

वृद्धि

एलपीजी

410 प्रति सिलेंडर

1,053-1,240 रुपये प्रति सिलेंडर

156%

पेट्रोल

71 रुपये प्रति लीटर

95 -112 रुपये प्रति लीटर

40%

डीजल

55 रुपये प्रति लीटर

90-100 रुपए प्रति लीटर

75 %

सरसों का तेल

90 रुपये प्रति किलो

200 रुपए प्रति किलो

122%

गेहूं का आटा

22 रुपये प्रति किलो

35-40 रुपए प्रति किलो

81%

दूध

35 रुपये प्रति लीटर

60 रुपए प्रति लीटर

71%

आटा, दाल, चावल, लस्सी, दही सब महंगा 

प्रधानमंत्री ने 2019 में मतदाताओं के सामने इस बात का दंभ भरा था कि खाद्यान्न, दही, लस्सी औरछाछ जैसी आवश्यक वस्तुओं को GST के दायरे से बाहर रखा गया है लेकिन 2022 में उन्होंने उन्हींवस्तुओं पर GST लगा दी। और हर बार की तरह जब पकड़े गए तो ठीकरा राज्य सरकारों के सिर परफोड़ दिया। उन्होंने कहा की आपकी जानकारी के लिए 2 बातें बताना ज़रूरी है. पहला निर्मला सीतारमण जी ने साफ़ झूठ बोला।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों नेलिखित में GST काउन्सिल में टैक्स लगाने का विरोध किया था. दूसरा, GST काउन्सिल में केंद्र सरकार के पास 33% वोट होता है और प्रत्येक राज्य के पासमात्र 2%. तो किसी भी राज्य को टैक्स के निर्णय का विरोध करने के लिए या तो केंद्र सरकारनहीं तो 25 राज्य सरकारी का साथ चाहिए होता है। पर 25 में से 19 तो भाजपा शासित हैं. जिससे एक बात साफ़ है- दाम बढ़ाने का निर्णय भाजपा सरकारों और केंद्र सरकार के कारण हुआ है. 

उज्जवला का सच 4.5 करोड़ सिलेंडर नहीं भराए

मोदी जी ने 2019 के चुनाव में लोगों से वोट लेने के लिए उज्ज्वला योजना का खूब प्रचार कियालेकिन चुनावों के तुरंत बाद उन्होंने संवेदनहीनता दिखाते हुए रसोई गैस पर सब्सिडी को ख़त्म कर दिया। रसोई गैस की कीमतों में दोगुनी से अधिक वृद्धि करके उसे 1,053-1200 रुपये प्रति सिलेंडरतक पहुंचा दिया और करोड़ों उपभोक्ता आज अपने खाली गैस सिलेंडर को फिर से भराने की स्थिति मेंनहीं हैं। क़रीब 4.5 करोड़ लोगों ने तो सिलेंडर भराया ही नहीं। 

ये उन तमाम मामलों में से सिर्फ़ दो ऐसे उदाहरण हैं जहां प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों का वोट प्राप्त करने के लिए उन्हें धोखा दिया और फिर अपनी "डूब मरो" की विचारधारा का पालन करते हुए उनकीपीठ में छुरा घोंप दिया। हर कीमत पर अपने खजाने को भरने की मोदी सरकार की हताशा ने उसे अप्रत्याशित ईंधन कर लगानेके लिए प्रेरित किया, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को और आघात पहुंचा है।

पेट्रोल डीज़ल वैश्विक दाम कम दाम ज़्यादा क्यों?

पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी की वैश्विक कीमतें 2021-22 की तुलना में 2013-14 में बहुत अधिकथीं लेकिन उपभोक्ता आज एक लीटर ईंधन या एलपीजी सिलेंडर के लिए यूपीए शासन काल कीतुलना में कहीं अधिक भुगतान कर रहा है।

कच्चा तेल ($/बैरल)

पेट्रोल की कीमत (रु./लीटर)

डीजल की कीमत (रु./लीटर)

मई 2014

106

71

55

अगस्त2022

97.01

95-112

90-100

एलपीजी ($/मीट्रिकटन)

एलपीजी की कीमत (रु./सिलेंडर)

2013-14

881

410

अगस्त2022

670

1,053-1,240

कच्चे तेल और रसोई गैस की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें पिछले कुछ महीनों से कम हो रही हैं, लेकिन उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। कोरोना काल में जब कच्चा तेल $20 प्रति बैरल के नीचे था तब भी देशवासियों से टैक्स वसूली की जा रही थी। पर जब-जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर परकीमतों में वृद्धि होती है तो मोदी सरकार पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों को बढ़ाना कभीनहीं भूलती।

नोटबंदी और GST की मार, सरकारी कम्पनियों की अंधाधुंध सेल : रोज़गार बनाएगा कौन?

मोदी सरकार की दिशाहीन नीतियों ने बेरोज़गारी की स्थिति को विनाशकारी मोड़ पर लाकर खड़ा करदिया है। नोटबंदी और जल्दबाज़ी में लागू की गई जीएसटी कर प्रणाली पहले ही अर्थव्यवस्था कोबड़ा गहरा आघात पहुंचा चुकी थी, इस सबके ऊपर मोदी सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को बंद कर रहीहै, उनका निजीकरण कर रही है और बहुमूल्य राष्ट्रीय परिसंपत्तियाँ अपने पूंजीपति मित्रों कोहस्तांतरित कर रही है। सरकार की युवा विरोधी नीतियों के कारण केंद्र और राज्य सरकारों को मिलाकर 60 लाख पद खाली पड़े हैं।

अग्नीपथ योजना का काला सच

'अग्निपथ' योजना हमारे युवाओं के लिए रोज़गार की संभावनाओं के साथ तो खिलवाड़ करती ही है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक नया ख़तरा है। सशस्त्र बलों में शामिल होकर अपने देश की सेवाकरने का सपना देखने वाले युवकों और युवतियों को 4 साल के लिए संविदा आधार पर नौकरी काप्रस्ताव दिया जा रहा है, जिसमें पेंशन या सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।

बेरोज़गारी से लाचार युवा, हताश और निराश

सरकार की इन विवेकहीन नीतियों के परिणाम विनाशकारी रहे हैं। लाखों युवा निराश होकर नौकरीके बाज़ार से बाहर हो गए हैं। इस पलायन के बावजूद 20 से 24 आयु वर्ग के 42% युवा जो अब भीनौकरी की तलाश में हैं, वे बेरोज़गार हैं। इसी का नतीजा है कि पीएचडी और स्नातकोत्तर स्तर कीशिक्षा प्राप्त युवा भी चपरासी जैसे कम शैक्षणिक योग्यता की ज़रूरत वाले पदों के लिए आवेदन करनेके लिए मजबूर हैं।

4 सितम्बर को राम लीला मैदान में कांग्रेस की एतिहासिक "महंगाई पर हल्ला बोल" रैली

सुप्रिया श्रीनेत्र ने आखिरी में कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस कठिन समय में लोगों के साथ खड़ी है। संसद से सड़क तक हमने मोदी सरकार की अक्षमता और उन दिशाहीन नीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाई है जिनके कारण भारत में महंगाई और बेरोज़गारी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जून 2021 से अब तक हमने सात राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन और जन जागरण कार्यक्रम आयोजित किए हैं.   

5 अगस्त को महंगाई के ख़िलाफ़ अपने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन के बाद हम आगामी रविवार यानि 4 सितंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में 'महंगाई पर हल्ला बोल' रैली आयोजित करेंगे। उन्होंने कहा की कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने और रोज़गार पैदा करने के अपने वादे को बिना विलम्ब के पूरा करे। हम सभी नागरिकों से आग्रह करते हैं कि जन-विरोधी और युवा-विरोधी इस सरकार की कुरीतियों के ख़िलाफ़ हमारे साथ आएँ।

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