आवाज का जादूः रेडियो जाॅकी, कार्टून सीरियल, डेली सोप में इनका होता है रोल
कार्यशाला में प्रशिक्षक ने प्रतिभागियों को आवाज को स्थिर प्रभावपूर्ण बनाने वाले अभ्यासों के संग ही चेहरे की मांसपेशियों के बारे में विस्तार से समझाया।
लखनऊ: एक अभिनेता के तौर पर संवाद बोलते समय अपेक्षित भावों को कैसे दर्शाया जाए। साथ ही अपनी आवाज को कैसे नियंत्रित कर बेहतर प्रभाव उत्पन्न किया जाए। ऐसी अनेक प्रदेश भर के कलाकारों ने उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित ‘एक्सप्रेशन एवं स्पीच’ की ऑनलाइन कार्यशाला में समझा और आज प्रशिक्षक के सम्मुख ऑनलाइन प्रदर्शन भी किया।
20 दिनों से चल रही ‘एक्सप्रेशन एवं स्पीच’ कार्यशाला का समापन
कथक, लोकसंगीत व रूपसज्जा के साथ ही निःशुल्क ऑनलाइन कार्यशालाओं की शृंखला में 15 जून से चल रही 20 दिनों की ‘एक्सप्रेशन एवं स्पीच’ कार्यशाला का समापन आज प्रतिभागियों के संवादों और भावों के ऑनलाइन प्रदर्शन को आंकने के साथ हो गया। कार्यशाला का संचालन भारतेन्दु नाट्य अकादमी के स्नातक वरिष्ठ रंगकर्मी और मुम्बई में रहकर रेडियो जॉकी के साथ-साथ फिल्मों मे कार्टून सीरियल, डेली सोप में डबिंग कर अपनी आवाज देने वाले कलाकार अरुण शेखर द्वारा किया गया। इस अवसर पर अकादमी के सचिव तरुण राज ने प्रतिभागियों का ऑनलाइन प्रदर्शन देखते हुए सराहना की और कहा कि कलाकारों के लिए अभिव्यक्ति के हर पक्ष को समझना जरूरी है।
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कार्यशाला में प्रशिक्षक ने कार्यशाला में प्रतिभागियों को आवाज को स्थिर प्रभावपूर्ण बनाने वाले अभ्यासों के संग ही चेहरे की मांसपेशियों के बारे में विस्तार से समझाया। योग और प्राणायाम के अभ्यास भी संवादों का अभ्यास कराने के साथ कराए। चित्रकला आदि अभिव्यक्ति के माध्यमों पर रोशनी डालते हुए उन्होंने बताया कि कलाकार की अभिव्यक्ति किसी भी माध्यम में हो सकती है साथ ही कार्यशाला केवल रास्ता दिखाने का काम कर सकती है जूझना आपको स्वयं पड़ेगा।
हर उम्र के प्रतिभागियों ने लिया कार्यशाला में भाग
कार्यशाला में हर उम्र के प्रतिभागियों ने उत्साह के साथ आज कविताएं सुनाने के साथ संवाद के साथ भावों का प्रदर्शन किया व अनुभव रखे। पीयूष वर्मा ने कहा कि उन्हे सही ढंग से भाव प्रदर्शित करने के साथ सही उच्चारण और वाचिक अभिनय सीखने को मिला। 68 वर्षीय प्रतिभागी देवेन्द्र मोदी का कहना था कि उन्हें वाचन व अभिनय सुधारने में डायरी लिखने, किताबें पढ़ने व व मस्तिष्क को नियंत्रित करने जैसी बातें पता चलीं। उन्नाव के चित्रांशु श्रीवास्तव का कहना था कि कार्यशाला के दौरान उनका आत्मविश्वास बढ़ा और बोलने के ढंग में सुधार आया।
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मीशा रतन ने कहा कि उन्हें वर्कशाप में बहुत कुछ सीखने को मिला। खीरी के दिनेश शर्मा ने प्रशिक्षण को अपना सौभाग्य बताया। वाराणसी के अरुण ने अज्ञेय की कविता सुनाई। वाराणसी की ही शुभ्रा वर्मा ने भी काव्य पंक्तियां सुनाकर भावों को दर्शाया। इसके अतिरिक्त प्रयागराज की प्रतिभा नागपाल, कानपुर के उपेन्द्रकुमार, नितिन, राज ओबराय, शैलेन्द्र आदि ने भी अनुभव व संवाद प्रस्तुत किये। अंत में अकादमी की नाट्य सर्वेक्षक सुश्री शैलजा कान्त ने सभी प्रतिभागियों और प्रशिक्षक का आभार व्यक्त किया।