Lucknow Bulldozer Action: जिंदगीभर की कमाई दांव पर लगने से निवासी चिंतित, अबरारनगर में थ्रीडी मैप सर्वे आज
Lucknow Bulldozer Action: चिन्हित मकान ग्रीन बेल्ट में आते हैं, इसलिए इनको तोड़ा जाएगा। सिंचाई विभाग के बाद एलडीए ने भी गुरुवार को अबरारनगर में सर्वे पूरा किया था।
Lucknow Bulldozer Action: लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की टीम आज यानी शनिवार (13 जुलाई) को अबरारनगर, रहीमनगर, पंतनगर और खुर्रमनगर में थ्रीडी मैप से सर्वे करेगी। वहीं, एलडीए की टीम लोगों के सवालों का जवाब भी देगी। उधर, पंतनगर के लोगों के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को एलडीए उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी से मुलाकात की। इनमें शामिल शिल्पी सिंह ने कहा कि पूरी कॉलोनी को अवैध बताना गलत है। सरकार लंबे समय से टैक्स ले रही है।
बता दें कि अबरारनगर, पंतनगर, रहीमनगर व खुर्रमनगर में सिंचाई विभाग ने सर्वे के बाद मकानों पर लाल निशान लगाए थे। बताया गया कि चिन्हित मकान ग्रीन बेल्ट में आते हैं, इसलिए इनको तोड़ा जाएगा। सिंचाई विभाग के बाद एलडीए ने भी गुरुवार को अबरारनगर में सर्वे पूरा किया था। इस दौरान लोगों ने सवाल उठाए कि जब उनके पास जमीनों और मकानों के पक्के दस्तावेज हैं तो किस आधार पर उन्हें अवैध बताया जा रहा है। इसका जवाब देने के लिए एलडीए ने सिंचाई विभाग के सर्वे के आधार पर इलाके का थ्रीडी मैप तैयार करवाया है। इसके आधार पर टीम अबरारनगर, रहीमनगर व पंतनगर में सर्वे करेगी। लोगों को बताया जाएगा कि नक्शे के हिसाब से उनका मकान कहां है और ग्रीन बेल्ट की सीमा से कितनी दूरी पर है।
जिंदगीभर की कमाई दांव पर लगने से चिंता में लोग
अबरारनगर के लोग दावा कर रहे हैं कि उनके पास किसानों से खरीदी गई जमीन की रजिस्ट्री है। सिंचाई विभाग को जमीन लेनी भी है तो पहले मुआवजा दें। स्थानीय लोगों का कहना है कि हमें जीपीएस पर भरोसा नहीं है। मीटर के जरिये लेखपाल से पैमाइश कराई जाए। रविवार को आगे की रणनीति बनाई जाएगी। जिंदगीभर की कमाई दांव पर लगने से लोग चिंता में हैं।
क्या बोले स्थानीय निवासी
अबरारनगर निवासी राजू नाम के एक व्यक्ति ने कहा कि सिंचाई विभाग के जीपीएस सिस्टम पर भरोसा नहीं है। पैमाइस के लिए लेखपाल या राजस्व विभाग के लोगों को आना चाहिए। लेखपाल के फीते व इनके जीपीएस में 50 मीटर की पैमाइश पर 18-20 मीटर का अंतर है। वहीं, साहिल नाम के एक निवासी ने कहा कि कोई अधिकारी कुछ भी नहीं बता रहा है। परेशान लोगों को जवाब संतुष्ट देने की कोई इच्छा नहीं दिखाई दे रही है। हम सब लोग परेशान हैं। जिम्मेदार अफसरों को हम लोगों के बीच आकर बात करनी चाहिए।