UP News: राज्यसभा में बोले डा. दिनेश शर्मा घरेलू हिंसा से जुडे कानूनों को जेंडर न्यूट्रल बनाये जाने की आवश्यकता
UP News: राज्यसभा सांसद एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि घरेलू हिंसा से जुडे कानूनों को जेंडर न्यूट्रल बनाये जाने की आवश्यकता है जिससे हर व्यक्ति के साथ न्याय हो सके।;
UP News: राज्यसभा सांसद एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि घरेलू हिंसा से जुडे कानूनों को जेंडर न्यूट्रल बनाये जाने की आवश्यकता है जिससे हर व्यक्ति के साथ न्याय हो सके। अगर व्यवस्था की कमी के कारण एक भी व्यक्ति की जान जाती है तो यह आत्म मंथन का विषय है। उनका कहना था कि झूठे आरोप लगाने वाले के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाए जिससे न्याय की निष्पक्षता स्थापित रहे।
राज्यसभा में पुरुषो और महिलाओं के लिए कानूनी सुरक्षा में समानता विषय पर बोलते हुए डा शर्मा ने कहा कि यह विषय संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार के मूल में है। आज पुरुषो और महिलाओं के लिए संतुलित कानून की आवश्यकता है। एनसीआरबी के आंकडो का हवाला देते हुए कहा कि 2022 में भारत में आत्महत्या करने वालों में 72 प्रतिशत पुरुष थे । इस समय में 125000 पुरुषों ने तथा 47000 महिलाओं ने आत्महत्या की थी। वर्ष 2014 से लेकर 2021 के बीच पुरुषों और महिलाओं के आत्म हत्या के मामले बढे हैं। करीब 107 प्रतिशत से अधिक पुरुषों के आत्म हत्या करने का कारण पारिवारिक परेशानी था। देश के मौजूदा कानूनों ने महिलाओं को घरेलू हिंसा और शोषण से सुरक्षा दी है।
डा. दिनेश शर्मा ने कहा यह प्रशंसनीय और स्वागत योग्य है महिला उत्पीड़न कतई नहीं होना चाहिए ।समाज में पुरुषों का भी एक वर्ग ऐसी ही चुनौतियों का सामना कर रहा है और उनके लिए ऐसे कानून का अभाव है। उनका कहना था कि बिहार के अतुल सुभाष की आत्म हत्या से ये विषय फिर चर्चा में आया है। बंगलुरु में कार्यरत अतुल सुभाष का कहना था कि उन्हें उत्पीडन के झूठे आरोप लगाकर फसाया गया था।
इससे परेशान होकर उन्होंने आत्म हत्या कर ली थी। इसी प्रकार के तमाम अन्य प्रकरणों में निर्दोष व्यक्तियों के और उनके रिश्तेदारों के विरुद्ध झूठी रिपोर्ट लिख देने के विषय सामने आए हैं। इससे साफ है कि वर्तमान में पुरुषों के लिए झूठे आरोपो से सुरक्षा के उचित प्राविधान मौजूद नहीं हैं। आज भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 का दुरुपयोग भी चिन्ता का विषय है।
डा शर्मा का कहना था कि इन परिस्थितियों के संदर्भ में घरेलू हिंसा कानूनों को जेन्डर न्यूट्रल बनाना आवश्यक हो गया है। महिला का उत्पीड़न किसी कीमत पर ना हो यह सुनिश्चित हो लेकिन किसी निर्दोष पुरुष या उसके रिश्तेदार को झूठे आरोपों में ना फसाया जा सके इसकी चिंता भी आवश्यक है। डॉ शर्मा आज राज्यसभा की जीरो आवर में उपरोक्त विचार व्यक्त कर रहे थे।