UP News: श्रीराम जन्मभूमि मामले में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं का जताया आभार

अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने अधिवक्ताओं की निःस्वार्थ समर्पण और सेवा भाव की भी प्रशंसा की। जिसके लिए उन्होंने अपनी सेवा के लिए किसी भी प्रकार की सुविधा या शुल्क का त्याग तक कर दिया।

Newstrack :  Network
Update: 2024-01-18 13:29 GMT

अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने अधिवक्ताओं का जताया आभार (न्यूजट्रैक)

UP News: श्रीराम जन्मभूमि मामले में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं का अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने आभार व्यक्त किया। इन वकीलों में मृदुल राकेश वरिष्ठ अधिवक्ता, मदन मोहन पांडेय, अजय कुमार पांडेय, विमल श्रीवास्तव और रंजना अग्निहोत्री शामिल हैं। अधिवक्ता परिषद प्रतिनिधिमंडल ने उनकी असाधारण प्रतिबद्धता और अद्वितीय कानूनी योग्यता की प्रशंसा की। जिनसे उन्होंने इस ऐतिहासिक मामले में न्याय और कानून का राज बनाए रखा है।

प्रतिनिधिमंडल ने उनके निःस्वार्थ समर्पण और सेवा भाव की भी प्रशंसा की। जिसके लिए उन्होंने अपनी सेवा के लिए किसी भी प्रकार की सुविधा या शुल्क का त्याग तक कर दिया। परिषद ने अधिवक्ताओं के अभूतपूर्व प्रयासों की भी सराहना की। जिसके फलस्वरूप उन्होंने इस मामले की जटिलताओं और ऐतिहासिक महत्व को संभाला और संजोय रखा है, जिसमें दशकों की धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भावनाओं का समावेश है।

परिषद ने समस्त सम्मानित अधिवक्ताओं से यह व्यक्त किया कि राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवस्था की गहरी समझ का प्रदर्शन और राष्ट्रीय सद्भाव के प्रति गहन जिम्मेदारी का भाव सभी ने रखा जो अत्यंत सराहनीय है। प्रतिनिधिमंडल ने आगे कहा कि सभी सम्मानित अधिवक्ताओं का आचरण इस मामले में सदैव कर्मनिष्ठता और कानून के प्रति सम्मान से परिपूर्ण रहा है और उनके योगदान ने ऐसे समाधान की ओर अग्रसर होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जो कानून का राज और हमारे समाज के विविध तंत्र का सम्मान करता है। मंडल ने अंत में सम्मानित अधिवक्ताओं की निःस्वार्थ सेवा और देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण कानूनी युद्धों में से एक में उनके अद्भुत योगदान के लिए अपना अत्यंत आभार व्यक्त किया है। प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि वकीलों का श्रीराम जन्मभूमि मामले का अद्भुत सफर आने वाली पीढ़ियों द्वारा स्मरण कर गौरांवित महसूस करेंगी।

क्या था श्रीराम जन्मभूमि विवाद

श्रीराम जन्मभूमि मामला अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन के मालिकाना हक का एक विवाद था, जहां 1992 में तोड़े गए विवादित ढांचे का स्थान था। इस मामले का फैसला भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 9 नवंबर 2019 को किया था, जिसमें आदेश दिया गया था कि विवादित जमीन को एक ट्रस्ट को सौंप दिया जाए, जो हिन्दू देवता राम के लिए एक मंदिर बनाएगा और सुन्नी केंद्रीय वक्फ़ बोर्ड को एक मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए।

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