Gandhi Jayanti Special: ये हैं गाँधी के सबसे बड़े फैन, आपने कभी नहीं देखा होगा ऐसा दुर्लभ संग्रह
Gandhi Jayanti Special Report: अशोक कुमार ने एक अगूंठी दिखाई जोकि जेम स्टोन से बनी थी, जिस पर महात्मा गांधी का चित्र बनाया गया था...
Gandhi Jayanti Special Report: मोहनदास करमचंद गाँधी ये नाम आप सभी की ज़िन्दगी में कई बार सामने आया होगा, और शायद ही पूरे हिन्दुस्तान में कोई ऐसा हो जो रोज इनके दर्शन न करता हो, भारत के ज्यादातर नोटों पर गाँधी जी का मुस्कुराता चेहरा छपा हुआ है, लेकिन बावजूद इसके आपको बहुत कम लोग ऐसे मिलेंगे जो महात्मा गाँधी की सोच और बताये हुए रास्ते को अपनाते हैं। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि आज के समय में एक ऐसा शख़्स है, जो न सिर्फ महात्मा गाँधी के विचारों से प्यार करता है बल्कि उनसे जुडी हर छोटी-छोटी चीजों से भी प्यार करता है… आइये हम आपको मिलाते हैं लखनऊ निवासी अशोक कुमार से जो महात्मा गाँधी से जुड़ी भिन्न-भिन्न व दुर्लभ चीजों को संजोकर कर रखते हैं।
73 वर्षीय अशोक कुमार लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में रहते हैं और जलनिगम के अधिशासी अभियंता पद से रिटायर हुए हैं, उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी हमेशा उनके लिए प्रेरणा के प्रतीक रहे हैं और उनके विचारों ने उन्हें शुरुआती जीवन से ही प्रभावित किया है, धीरे-धीरे उनके विचारों का प्रभाव मेरे जीवन पर इस कदर पड़ा कि मैंने उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाना शुरू कर दिया, उन्होंने बताया कि कब उनका ये शौक समय के साथ जूनून बन गया उन्हें पता ही नहीं चला। वे लगभग 50 वर्षों से महात्मा गाँधी पर दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह कर रहे हैं, अशोक कुमार ने अपने घर की छत पर महात्मा गाँधी को एक छोटा सा संग्रहालय समर्पित कर दिया है, जहाँ उन्होंने गाँधी जी से कई दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित की हैं।
कैसे हुए संग्रह की शुरुआत
अशोक कुमार ने बताया कि उनके पिता वेद प्रकाश गुप्ता लखनऊ सचिवालय में स्टेनोग्राफर के पद पर कार्य करते थे, उन्होंने तब काम किया था जब देश गुलाम हुआ करता था, आज़ादी की लड़ाई उन्होंने काफी करीब से देखी थी, वो हमेशा हम सभी भाई-बहनों को महात्मा गाँधी के बारे बताया करते थे।
उन्होंने मेरी 14 वर्ष की उम्र में मुझे महात्मा गाँधी की एक पुस्तक दी थी, जिसे पढ़ने के बाद से ही मेरा रुझान महात्मा गाँधी के प्रति काफी बढ़ गया और मैं उसके बाद से ही उनसे जुडी चीजें को अपने पास रखने लगा।
जेम स्टोन और लकड़ी की मूँगफली पर बने गाँधी