Lucknow News: आईसीयू के मरीजों को अधिक संक्रमण की आशंका...SGPGI में आयोजित क्रिटिकांन में बोले डॉ. तनमय

Lucknow News: डॉ. तनमय घटक ने कहा कि आईसीयू-वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों को संक्रमण की आशंका अधिक रहती है। करीब 30 से 40 प्रतिशत वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इन मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-09-27 18:15 IST

Lucknow News: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन की ओर से शुक्रवार को क्रिटिकांन-2024 का आयोजन हुआ। यहां इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉ. तनमय घटक ने छात्र व छात्राओं को संबोधित किया। उन्होंने सभी को आईसीयू- वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों के बारे में जानकारी दी।

आईसीयू के मरीजों को अधिक संक्रमण की आशंका

इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के डॉ. तनमय घटक ने कहा कि आईसीयू-वेंटिलेटर पर भर्ती मरीजों को संक्रमण की आशंका अधिक रहती है। करीब 30 से 40 प्रतिशत वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इन मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि मरीज को छूने से पहले साबून से हाथ धोएं। यह नियम डॉक्टर व पैरामेडिकल समेत अन्य सभी पर लागू है। ऐसा कर हम मरीज को संक्रमण से काफी हद तक बचा सकते हैं।

वेंटिलेटर पर मरीजों को होते ये इंफेक्शन

क्रिटिकांन-2024 कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. तनमय घटक ने कहा कि आईसीयू में जिंदगी बचाने के लिए मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा जाता है। इनमें से 30 से 40 फीसदी में मरीजों को वेंटिलेटर एसोसिएटेड निमोनिया (Ventilator Associated Pneumonia), सेंट्रल लाइन एसोसिएटेड इंफेक्शन (Central Line Associated Infection), यूटीआई (Urinary Tract Infection) हो जाता है। नतीजतन मरीजों को अस्पताल में अधिक समय तक भर्ती रखने की जरूरत पड़ती है। संक्रमण रोकने के लिए मरीजों को छूने से पहले हाथ धोएं। गैस्ट्रिक अल्सर और डीप वेन थ्रोम्बोसिस को रोकने के लिए पहले इलाज शुरू करना चाहिए। इसे प्रोफाइलेक्सिस कहते हैं। सुई जहां लगती है उस जगह को स्प्रिट आदि से साफ करें। बेड का सिरहाना 30 डिग्री तक ऊंचा होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इन सलाह को अपनाकर मरीजों को संक्रमण से काफी हद तक बचा सकते हैं। कार्यशाला में 600 से अधिक डॉक्टर व छात्र-छात्राओं ने संक्रमण से बचाव के तौर-तरीके सीखे।

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