Lucknow News: टीबी के इलाज के बाद भी बढ़ रही समस्याओं को न करें नजरअंदाज, KGMU के डॉक्टर बोले- 'दो साल तक रखना होगा विशेष ध्यान'
Lucknow KGMU News: डॉ० सूर्यकांत बताते हैं कि टीबी से संबंधित दवाओं के सेवन के दौरान कुछ लोगों में देखने में समस्या, लीवर, सुनने में समस्या, मानसिक स्वास्थ्य समस्या आदि देखने को मिलती हैं। मरीज को इन सभी समस्याओं को समय से पहचान करके बिना किसी से छिपाए इसके इलाज के प्रयास करने चाहिए।;
Lucknow News: TB जैसी बीमारी से जूझ रहे मरीजों की पहचान और उनके इलाज के लिए 100 दिवसीय सघन टीबी उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है। इन सबके बीच देखा गया है कि टीबी के इलाज के बाद भी लोगों में कुछ समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इन समस्याओं को लेकर KGMU रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के नार्थ जोन टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त बताते हैं कि टीबी का इलाज पूरा हो जाने के बाद भी करीब दो साल तक फॉलोअप लेना जरूरी होता है क्योंकि उसके बाद भी मरीजों में परेशानियाँ बनी रहती हैं।
TB की दवाओं के सेवन के दौरान होती हैं कई समस्याएं
डॉ० सूर्यकांत बताते हैं कि टीबी से संबंधित दवाओं के सेवन के दौरान कुछ लोगों में देखने में समस्या, लीवर, सुनने में समस्या, मानसिक स्वास्थ्य समस्या आदि देखने को मिलती हैं। मरीज को इन सभी समस्याओं को समय से पहचान करके बिना किसी से छिपाए इसके इलाज के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और यदि TB की दवाओं के सेवन के दौरान कुछ भी असामान्य जैसा लगे तो तत्काल ही विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सांस से जुड़ी समस्या लग रही है तो सांस रोग से जुड़े विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या लग रही है तो मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। ऐसे ही दिखने वाले किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
TB से उबरने के बाद 23.1 प्रतिशत लोगों में दिखी मानसिक समस्या
डॉ० सूर्यकांत बताते हैं कि ट्यूबरक्लोसिस, रैपिड असेस्मेंट इंडिया- 2023 के मुताबिक, 49 देशों में TB से उबरने वाले मरीजों पर एक रिसर्च हुआ। रिसर्च में यह निष्कर्ष सामने आया कि टीबी जैसी बीमारी से निजात पाने के बाद 23.1 प्रतिशत लोगों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं देखने को मिलीं। इतना ही नहीं, 20.7 फीसदी लोगों में सांस से जुड़ी समस्या, 17.1 प्रतिशत लोगों में मस्कुलोस्केलेटल की समस्या, 14.5 फीसदी लोगों में कान यानी सुनने की समस्याएं, 9.8 प्रतिशत लोगों में आंख यानी देखने में समस्या, 5.7 प्रतिशत लोगों में किडनी से जुड़ी समस्या देखने को मिली। इसके साथ ही 1.6 प्रतिशत लोगों में न्यूरोलोजिकल समस्या भी देखी गई।