Lok Sabha Elections: क्या बीजेपी को उसी की चाल से मात दे पाएगी सपा? 2024 के लिए अखिलेश बनाया है खास प्लान
Lok Sabha Elections 2024: कार्यक्रम के संयोजक पूर्व विधायक रामपाल यादव ने भारतीय जनता पार्टी के अंत के लिए समाजवादी पार्टी नैमिषारण्य से चुनावी अभियान का आगाज करने जा रही है।
Lok Sabha Elections 2024: समाजवादी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए ट्रिपल प्लान बनाया है। रणनीति के तरह सपा इस बार लोहियावाद, आंबेडकरवाद और सॉफ्ट हिंदुत्व की सियासी चौसर बिछाएगी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव 09 जून को सीतापुर के नैमिषारण्य से लोकसभा चुनाव का आगाज करेंगे। राजनीतिक जानकार इसे भाजपा के अयोध्या वाले हिंदुत्व के काट के तौर देख रहे हैं।
नौ जून को हिंदुओं की आस्था के बड़े तीर्थस्थल नैमिषारण्य में अखिलेश और शिवपाल यादव सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बड़ी संख्या में सपाई जुटेंगे। 151 वेदी पर बैठकर अखिलेश यादव वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन पूजन करेंगे। प्रसिद्ध पीठ ललिता देवी के मंदिर के साथ ही अन्य देवी-देवताओं का भी दर्शन-पूजन करेंगे। इसके बाद दो दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण का आगाज करेंगे।
भाजपा के अंत के लिए चुनाव नैमिषारण्य- पूर्व विधायक
कार्यक्रम के संयोजक पूर्व विधायक रामपाल यादव ने कहा कि पुराणों के मुताबिक, यहां भगवान द्वारा निमिष मात्र में दानवों का संहार किया गया था। इसीलिये इस क्षेत्र का नाम नैमिषारण्य है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के अंत के लिए समाजवादी पार्टी नैमिषारण्य से चुनावी अभियान का आगाज करने जा रही है।
क्या होगा कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर में?
09 जून से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं यहां दो दिनों तक प्रशिक्षित किया जाएगा। इस दौरान कार्यकर्ताओं को डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों से अवगत कराया जाएगा। साथ ही सॉफ्ट हिंदुत्व का संदेश देने की भी कोशिश होगी। लोकसभा चुनाव में किस तरह से बीजेपी का मुकाबला करना है, पार्टी के दिग्गज नेता कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे। इसके अलावा मतदाता सूची सत्यापन, मतदाताओं को बूथ तक ले जाने सहित बूथ प्रबंधन का मंत्र दिया जाएगा। नीमसार के बाद प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में समाजवादी पार्टी ऐसे ही कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेगी।
नैमिषारण्य ही क्यों
समाजवादी पार्टी ने शुरुआत के लिए नैमिषारण्य ही क्यों चुना? इस पर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि भाजपा अयोध्या के जरिये हिंदुत्व के एजेंडो को धार देती रही है, ऐसे में सपा की कोशिश नैमिषारण्य के जरिये उसकी धार कम करने की कोशिश है। ताकि हिंदुत्व के नाम पर बिदकने वाले मतदाता सपा के साथ जुड़ सकें। बीते विधानसभा चुनाव में 38 फीसद मत हासिल करने वाली सपा की कोशिश आम चुनाव में 40-45 फीसदी मत लेना है।
बीजेपी का भी नीमसार पर फोकस
नैमिषारण्य को लेकर मुख्ममंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही घोषणा कर चुके हैं। निकाय चुनाव के दौरान वह कह चुके हैं कि काशी, अयोध्या और मथुरा की तरह अब इस तीर्थस्थल का भी कायाकल्प किया जाएगा। इससे यहां धार्मिक पर्यटन तो बढ़ेगा ही, रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। ऐसे में बीजेपी नैमिषारण्य को लेकर सचेत है। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले योगी के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी यहां जनसभा हो सकती है।
2019 में समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी ने कट्टर प्रतिद्वंदी पार्टी रही बसपा के साथ मिलकर 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में बसपा को 10 सीटें मिलीं जबकि सपा को 05 पर ही सीमित रही। आपको बता दें कि 2014 में भी सपा ने 5 सीटें जीती थीं जबकि तब बसपा को एक सीट भी नहीं मिली थी। ऐसे में कहा जा सकता है कि गठबंधन का फायदा मायावती की पार्टी को मिला। सपा की स्थिति जस की तस रही। इस बार पार्टी छोटे दलों के साथ मिलकर बड़ी जीत दर्ज करने की रणनीति तैयार कर रही है।