मजदूरों की लगी ल़ॉटरीः अब आ गई लग्जरी बस, खत्म हुई परेशानी

फिलहाल मजदूर मुंबई जाने से तो बच रहे हैं लेकिन अहमदाबाद और सूरत जाने वाली ट्रेनों से प्रवासी मजदूरों की वापसी होने लगी है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन से रवाना होने वाली अवध एक्सप्रेस से ठीक ठाक संख्या में मजदूरों की वापसी हो रही है।

Update:2020-06-13 11:53 IST
pravasi majdur

गोरखपुर: मुंबई, सूरत और बंगलूरू जैसे शहरों से निराश, हताश होकर घर लौटे प्रवासी मजदूर वापस जाएंगे या नहीं इसे लेकर लोगों की अलग-अलग राय थी। कुछ लोग दावा कर रहे थे कि मालिकों से धोखा खाकर ये मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर वापस लौटे हैं, ये कतई वापस नहीं जाएंगे। हालांकि कई ऐसे भी थे जो दबी जुबान में ही सही कह रहे थे, पेट की भूख इन्हें वापस जाने को मजबूर करेगी।

अब अनलॉक 1.0 में ही स्थितियां बदलती दिख रहीं हैं। फैक्ट्री मालिकों की तरफ से जैसी उम्मीद की जा रही थी, वैसा ही हो रहा है। अब सूरत, अहमदाबाद से लेकर हैदराबाद सरीखे शहरों के फैक्ट्री मालिक प्रवासी मजदूरों पर ऑफरों की बरसात कर रहे हैं। इनके लिए लग्जरी बस भेजी जा रही है तो कहीं ट्रेन की आरक्षित टिकट भेजकर भरोसा दिया जा रहा है कि उनका बकाया वेतन भी दे दिया जाएगा। गोरखपुर रेलवे स्टेशन की तस्वीर से साफ हो गया है कि कम संख्या में ही सही प्रवासी मजदूरों की वापसी शुरू हो गई है।

12 प्रवासी मजदूरों को लेकर रवाना हुई बस

फिलहाल मजदूर मुंबई जाने से तो बच रहे हैं लेकिन अहमदाबाद और सूरत जाने वाली ट्रेनों से प्रवासी मजदूरों की वापसी होने लगी है। गोरखपुर रेलवे स्टेशन से रवाना होने वाली अवध एक्सप्रेस से ठीक ठाक संख्या में मजदूरों की वापसी हो रही है। चौरीचौरा के दिनेश सूरत में हीरे तराशने के कारीगर हैं। वह ट्रेन से वापसी पर दलील देते हैं कि सूरत में तीन हीरे तराशने पर 1200 रुपये मिल जाते थे, अब यहां मनरेगा में काम करने पर क्या मिलेगा? प्रधान की सौदेबाजी अलग से। हीरे तराशने वाले हाथ से फावड़ा नहीं उठता है। दिनेश की तरह से ही जगतबेला के सीताराम निषाद, बाल्मिकी का कहना है कि सेठ का फोन आया था।

उसने कहा कि पुराना बकाया ले लो। नया काम शुरू करना है तो स्वागत है। अब गांव में क्या मिलेगा। अभी सिर्फ सरकार का दावा ही हो रहा है। हकीकत में कुछ नहीं दिख रहा है। इतना ही नहीं गांवों में हैदराबाद और बंगलुरू से लग्जरी बसें प्रवासी मजदूरों को वापस बुलाने के लिए पहुंच रही हैं। बीते शुक्रवार को बांसगांव तहसील में वायनाड से लग्जरी बस पहुंची तो सभी अचंभित हो गए। बस यहां से 12 प्रवासी मजदूरों को लेकर रवाना हुई।

तो इसलिए नहीं पसीजे धरती के भगवान, निकल गई प्रसव पीड़िता का जान

काम देने का भरोसा दिया

रामकिशुन बताते हैं कि पेंटिंग का काम करते हैं। आसपास के गांव में करीब 40 लोग हैं। ठेकेदार ने पुराना बकाया के साथ वेतन बढ़ाकर काम देने का भरोसा दिया है। वहां 800 रुपये मिलते हैं, यहां 300 रुपये भी नहीं मिल रहे हैं। पिपराइच की राम प्रवेश पिछले महीने 19 मई को गोरखपुर आया था। पेंटर का काम करने वाला राम प्रवेश बताता है कि पेट की खातिर सब्जी बेचा लेकिन आय नहीं हुई। कंप्टीशन में सब्जियां सस्ती बिक रही हैं। सेठ ने फोन का कहा है कि सूरत में काम शुरू हो गया है। वापस आ जाओ। परिवार और पेट से मजदूर था इसलिए वापस जाने का मन बना लिया। ट्रेन के टिकट का पैसा भी सेठ देगा।

इस मंदिर में टूटेगी 500 साल पुरानी परम्परा, तंत्र और अघोर विद्या का है सबसे बड़ा केंद्र

गीडा के उद्यमी भी भेज रहे बस

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में काम करने वाले सैकड़ों मजदूर बिहार और बंगाल के हैं। फैक्ट्री क्षमता से काम शुरू हुआ तो मजदूरों की कमी का अहसास हो रहा है। फैक्ट्री मालिक नवीन अग्रवाल का कहना है कि पुराने कामगारों को मालूम है कि कैसे काम करना है। ऐसे में बंगाल बस भेजा था। कुछ लौट आए हैं तो कुछ ने 20 जून के बाद आने का भरोसा दिया है। इसी तरह सरिया बनाने वाली फैक्ट्री ने भी बिहार बस भेजकर मजदूरों को बुलाया है। चेम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज के एसके अग्रवाल का कहना है कि बड़े शहरों से आने वाले मजदूरों को चार कटेगरी में बांटना होगा।

पहला, ऐसे जो शायद अब कभी वापस नहीं जाएंगे। दूसरा, ऐसे मजदूर जो गांव और कस्बे में ही अपने हुनर के मुताबिक काम शुरू करेंगे। तीसरी कटेगरी में ऐसे मजदूर आएंगे जो अपने आवास के 50 से 100 किलोमीटर के दायरे में रोजगार की तलाश करेंगे। चौथी श्रेणी में ऐसे मजदूर रखे जा सकते हैं जो थक हारकर वापस महानगरों को जाएंगे। अब जिम्मेदारी सरकार की है कि वह मजदूरों को वो काम दे जिसकी उनमें क्षमता है। हीरे तराशने वाला मजदूर फावड़ा तो नहीं चलाएगा।’

रिपोर्टर - पूर्णिमा श्रीवास्तव, गोरखपुर

कोरोना संकट में महंगाई का झटका, लगातार 7वें दिन बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम

Tags:    

Similar News