Kanpur Dehat News: बच्चों को चार और सात रुपये में पोषण की थाली, अफसर कहते राशि पर्याप्त है

Kanpur Dehat News: बच्चों को दोपहर के भोजन को उपलब्ध कराने के लिए सरकार काम कर रही है तो वहीं स्कूलों में चलने वाली मिड डे मील की रसोई महंगाई के चलते खाली होती जा रही है।

Report :  Manoj Singh
Published By :  Shraddha
Update:2021-10-28 18:55 IST

बच्चों को चार और सात रुपये में पोषण की थाली

Kanpur Dehat News: महंगाई की मार (manhgai ki maar) का दंश जहां पूरा देश झेल रहा है वहीं इसकी हद से कोई अछूता नहीं है। रोजमर्रा में इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज आसमान छू रही है। जहां एक ओर आम इंसान के लिए अपना घर चला पाना इस महंगाई के दौर में मुश्किल हो रहा है तो वहीं सरकारी स्कूलों (up government schools list) में पढ़ने वाले बच्चों के पोषण पर भी महंगाई की मार का असर दिख रहा है।

कानपुर देहात में सरकार जूनियर और प्राथमिक विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन योजना (up midday meal plan) के माध्यम से बच्चों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन स्कूलों में चलने वाली मिड डे मील (Mid Day Meal) की रसोई महंगाई के चलते खाली होती जा रही है लेकिन सरकार के सख्त आदेश पर बच्चों की थाली में पौष्टिक आहारों (nutritious foods) से कोई भी समझौता ना करने की बात कही जा रही है।

अब सवाल यह उठता है कि इतनी महंगाई में जहां खाद्य पदार्थों के दाम जमीन से आसमान की बुलंदियों को छू रहे हैं वहीं बच्चों को पौष्टिक आहार दे पाना शिक्षकों के लिए और स्कूल प्रशासन के लिए एक मुसीबत बन गया है, कहीं बच्चों की थाली से पौष्टिक आहार कम होते जा रहे हैं, तो कुछ जगह पर बच्चों को पौष्टिक आहार पहुंचाने के लिए शिक्षक अपनी जेबें खुद ढीली कर रहे हैं।

स्कूलों में मिल रही मिड डे मील की थाली 

 महंगाई की मार से जहां पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है वहीं शिक्षा विभाग भी इस मार का हिस्सा बन गया है। शासन द्वारा चलाई जा रही मध्यान्ह भोजन योजना जिसके अनुसार परिषदीय मान्यता प्राप्त स्कूलों में जनपद के अंदर लगभग 1,70,000 बच्चे पढ़ रहे हैं और शासन की चलाई जा रही मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत 4 रुपए 70 पैसे प्राइमरी स्कूल के प्रति बच्चे के हिसाब से और उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लिए 7 रुपए 45 पैसे प्रति बच्चे के हिसाब से भोजन की कॉस्ट निर्धारित की गई है, लेकिन देश में बढ़ी महंगाई के चलते अब शासन द्वारा स्कूलों में उपलब्ध कराई जा रही कन्वर्जन कॉस्ट से बच्चों को उपलब्ध कराए जाने वाले मध्यान्ह भोजन की थाली खाली होती नजर आ रही है।

जनपद के तमाम स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की मानें तो इतनी महंगाई में इतने कम पैसे की लागत से बच्चों को पौष्टिक आहार व भोजन उपलब्ध करा पाना नामुमकिन हो गया है, शिक्षकों का साफ कहना है कि दाल पहले 70 से 80 किलो के भाव में और सरसों का तेल 100 सवा सौ के भाव में उपलब्ध हो जाता था लेकिन वर्तमान की स्थिति में अरहर की दाल 100 के पार हो गई है और सरसों का तेल 200 के आंकड़े को पार कर चुका है वहीं प्याज और टमाटर भी आसमान छू रहे हैं। ऐसे में सरकार द्वारा दी जा रही कन्वर्जन कॉस्ट में बच्चों की थाली में पौष्टिक आहार कैसे उपलब्ध कराया जाए।

जूनियर और प्राथमिक विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन योजना

कुछ शिक्षकों का तो यह भी कहना है कि वह सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि सरकार या तो महंगाई को कम करें या फिर बच्चों को उपलब्ध कराए जाने वाले मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत दी जाने वाली कन्वर्जन कॉस्ट की कीमत बढ़ा दी जाए। इस महंगाई में टीचर अपने परिवार का भरण पोषण करने में ही असमर्थ हैं उसके साथ शासनादेश के अनुसार बच्चों की थाली से पौष्टिक आहार में किसी भी प्रकार का समझौता ना किए जाने की बात कही जा रही है लेकिन बच्चों को पौष्टिक आहार दिलाने के लिए कुछ विद्यालयों में मिड डे मील की रसोई से पौष्टिकता कम हो रही है तो कहीं पौष्टिकता को बरकरार रखने के लिए शिक्षक अपने वेतन से पैसे खर्च करके मिड डे मील का संचालन कर रहे हैं।

कानपुर देहात के बेसिक शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त की बात मानें तो महंगाई की मार मध्यान्ह भोजन योजना पर बिल्कुल भी नहीं पड़ रही है और सरकार द्वारा जो राशि बच्चों के भोजन के लिए निर्धारित की गई है वह पर्याप्त है और उस राशि में बच्चों की थाली से पौष्टिक आहार पूरी तरीके से मौजूद हैं।

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