UP Election 2022: सतीश महाना की हार-जीत पर नहीं, जीत के अंतर पर लगी है बाजी
UP Election 2022 : भाजपा के सतीश महाना (Bjp Satish Mahana) को लेकर इस बार के चुनाव में रिकार्ड वोटों से जिताने को लेकर बहस चल रही है।
Up Election 2022 : यूपी की राजनीति के गढ और गंगा किनारे बसे कानपुर जिले में एक ऐसे विधायक भी है, जिनकी हर विधानसभा चुनाव (Up Election news) में जीत- हार पर नहीं, बल्कि जीत के अंतर पर शर्त लगती है। फिर चाहे वह छावनी विधानसभा (Chawni Assembly Seat) हो, या परिसीमन के बाद बनी महाराजपुर विधानसभा (Maharajpur Assembly Seat) सीट हो। हर विधानसभा चुनाव में इस प्रत्याशी की जीत का अंतर बढ़ता ही रहा है। पिछले चुनाव में दूसरे नम्बर पर रहे भाजपा के सतीश महाना (Bjp Satish Mahana) को लेकर इस बार के चुनाव में रिकार्ड वोटो से जिताने को लेकर बहस चल रही है।
सतीश महाना अपने पिता की मदद किया करते थें
भाजपा प्रत्याशी सतीश महाना के पहले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो संघ पृष्ठभूमि से जुडे सतीश महाना के पिता रामअवतार महाना आरएसएस के बडे पदाधिकारी थे। जिसके कारण सतीश महाना भी संघ कार्य में अपने पिता की मदद किया करते थें। तब सतीश महाना 1989-1990 में एक बिजनेस मैन होतेे हुए बजरंग दल में संयोजक की भूमिका निभा रहे थें। पर कार्यकर्ताओं में उनकी बढती लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें 1991 में संघ-भाजपा नेतृत्व ने छावनी विधानसभा से पार्टी का टिकट दे दिया। यह टिकट एक प्रयोग के तौर पर दिया गया था क्योंकि यह सीट जनसंघ काल से भाजपा तक के नए सफर में एक 'रेगिस्तान' से कम नहीं थी। पर अपने पहले ही चुनाव में सतीश महाना ने चुनाव जीतकर भाजपा को बड़ा तोहफा दिया।
1996 में सतीश महाना ने तीसरी जीत दर्ज की
इसके बाद 1993 के विधानसभा चुनाव में जब प्रदेश में भाजपा की सीटे 221 से घटकर 177 हो गयी। तब भी सतीश महाना ने श्रीप्रकाश जायसवाल जैसे कद्दावर नेता को पटकनी देने का काम किया। यहां तक कि उनको मिले अपार वोटों के कारण श्रीप्रकाश जायसवाल की जमानत जब्त हो गयी। इसके बाद 1996 में सतीश महाना ने तीसरी जीत दर्ज की। इसका उन्हे भाजपा में ईनाम मिला और भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री लाल जी टंडन के साथ नगर विकास राज्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 27 अक्टूबर 1997 से 8 मार्च 2002 तक आवास और शहरी विकास राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया लेकिन उनके अच्छे काम के कारण उन्हें फिर से आवास राज्य मंत्री का पद दिया गया। ।
फिर 2002 में जब विधानसभा के चुनाव हुए। तो इस चुनाव मे भाजपा को मात्र 87 सीटे मिली। तब भी सतीश महाना पर छावनी की जनता ने विष्वास व्यक्त करते हुए लगातार चौथी बार चुनाव जिताकर विधानसभा भेजने का काम किया। फिर बसपा लहर के बीच 2007 मे उन्होंने पांचवी बार छावनी विधानसभा से चुनाव जीता।
बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मनोज कुमार को हराया
इस बीच जब 2009 में विधानसभा सीटों का परिसीमन हुआ तो छावनी विधानसभा सीट का अधिकतर क्षेत्र बदल गया लेकिन उन्होंने इस चुनौती का भी सामना किया और गठित हुई नई विधानसभा महाराजपुर से चुनाव लडा। इसमे पुरानी विधानसभा सरसौल का अधिकतर हिस्सा था जो देहात क्षेत्र में आता है और हमेशा से समाजवादी पार्टी का गढ रहा।
काफी आशंकाओं के बीच 2012 के चुनाव में सतीश महाना ने बसपा की प्रत्याशी और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अंटू मिश्रा की पत्नी शिखा मिश्रा 30 हजार वोटों से हराने का काम किया। महाराजपुर विधानसभा का अधिकतर क्षेत्र सोसाइटी की जमीनों पर बने अनियोजित आवासों के चलते यहां समस्याओं का अंबार हुआ करता था लेकिन सतीश महाना ने समाजवादी पार्टी सरकार होने और विपक्ष में भाजपा की केवल 47 विधायकों के बावजूद विकास कार्यो को कराने का काम किया। इसके बाद 2017 के चुनावों में, उन्होंने अपने बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मनोज कुमार शुक्ला को 91,826 मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया। इसके बाद प्रदेश मे बनी भाजपा सरकार मे उन्हे औद्योगिक विकास मंत्री बनाया गया।
अब एक बार फिर वह महाराजपुर विधानसभा से चुनाव लड रहे हैं। सतीश महाना के पास लगातार 7 बार जीतने का रिकार्ड हैं । हाल यह है कि यहां की जनता उनके लिए पूरे प्रदेश में रिकार्ड मतों के अंतर से जिताकर भेजने की तैयारी में है।