West UP: वेस्ट यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग पर केंद्रीय मंत्री के विरोध में भाजपाई और समर्थन में विपक्षी
West UP: केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फनगर सीट से दो बार के लोकसभा सांसद बालियान ने वेस्ट यूपी को अलग प्रदेश बनाने की मांग उठाई है, जिसकी राजधानी मेरठ होगी।
West UP: पश्चिमी उत्तर प्रदेश को पृथक राज्य बनाने का मुद्दा एकबार फिर से खबरों में है। अबकी बार इस मुद्दे पर बहस की शुरूआत केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के बयान पर हुई है। केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फनगर सीट से दो बार के लोकसभा सांसद बालियान ने वेस्ट यूपी को अलग प्रदेश बनाने की मांग उठाई है, जिसकी राजधानी मेरठ होगी। उनकी इस मांग का तमाम विपक्षी नेताओं ने दिल खोलकर समर्थन किया है। लेकिन संजीव बालियान को इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी से कोई समर्थन नहीं मिला।
पश्चिमी यूपी के दिग्गज भाजपा नेताओं ने केंद्रीय मंत्री के इस मांग का विरोध तक किया है। उनमें सबसे मुखर विरोध अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले पूर्व विधायक संगीत सोम हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश भारत के अंदर नया राज्य नहीं बल्कि मिनी पाकिस्तान बनेगा, जो देश की डेमोग्राफी को बदलकर रख देगा। वहीं, सपा, बसपा, रालोद और जदयू जैसी विपक्षी पार्टियों ने केंद्रीय मंत्री के बयान का समर्थन किया है।
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क्या कहा था केंद्रीय मंत्री बालियान ने ?
दरअसल, बीते रविवार को मेरठ में अंतरराष्ट्रीय जाट संसद का आयोजन किया गया था। जिसमें केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी शामिल हुए, जिन्हें वेस्ट यूपी में बीजेपी का बड़ा जाट चेहरा माना जाता है। बालियान ने इस कार्यक्रम में पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की बात को जोर-शोर से रखी। उन्होंने तर्क दिया कि वेस्ट यूपी की आबादी 8 करोड़ है। जिस दिन पश्चिमी यूपी अलग राज्य बन जाएगा तो यह देश का सबसे अच्छा और समृद्ध प्रदेश होगा। यह मेरा अपना विचार है कि पश्चिमी यूपी को एक अलग राज्य बनाया जाए। मेरठ इसकी राजधानी होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अपनी इस मांग को वे पार्टी हाईकमान तक पहुंचाएंगे।
बालियान के बयान का बीजेपी में विरोध
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के इस बयान का उनकी पार्टी यानी बीजेपी में ही विरोध शुरू हो गया है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी और पूर्व विधायक संगीत सोम सरीखे नेताओं ने उनकी मांग से असहमति जताई है। मुजफ्फनगर जिले की सरधना सीट से विधायक रहे संगीत सोम ने तो यहां तक कह दिया कि अगर वेस्ट यूपी अलग राज्य बना तो ये मिनी पाकिस्तान बन जाएगा। इसकी मांग करना सही नहीं है। बालियान का ये बयान उनका निजी हो सकता है। पश्चिमी यूपी के बनने का मतलब है कि मिनी पाकिस्तान।
वेस्ट यूपी में बीजेपी के बड़े चेहरे के तौर पर देखे जाने वाले संगीत सोम ने कहा कि वेस्ट यूपी की डेमोग्राफी किस तरीके से बदलती जा रही है। सब देख रहे हैं। नगर निकायों में एक वर्ग की 80 प्रतिशत तक आबादी हो गई है। ये लोकदल का शिगूफा है, वह हरित प्रदेश नहीं यहां एक पाकिस्तान बनाना चाहते हैं। बीजेपी नेता ने कहा कि वेस्ट यूपी को अलग राज्य बनाने का मतलब है कि हिंदू अल्पसंख्यक हो जाएगा। एक वर्ग की आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर यूपी को छोटा ही करना है तो इसे दिल्ली से जोड़ दें, न अलग विधानसभा और न हाईकोर्ट बनाने की जरूरत पड़ेगी, सरकार का खर्चा भी नहीं होगा।
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वहीं, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी कहा कि मैं वेस्ट यूपी को अलग राज्य बनाने जाने की मांग का समर्थन नहीं करता। बालियान पार्टी के सम्मानित नेता और जनप्रतिनिधि हैं। अलग राज्य बनाने की मांग उनकी अपनी हो सकती है। लेकिन ये पार्टी की राय या भाजपा के बयान नहीं है।
विपक्ष ने केंद्रीय मंत्री का किया समर्थन
पश्चिमी यूपी को अलग प्रदेश बनाने की मांग करने वाले केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को भले अपनी पार्टी में समर्थन के लाले पड़ रहे हों लेकिन विपक्ष उनका भरपूर साथ दे रहा है। वरिष्ठ जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि मैं इसका समर्थन करता हूं। लेकिन बालियान सुझाव क्यों दे रहे हैं। उनको चाहिए वह पीएम से ऑल पार्टी डेलिगेशन लेकर मिलें। हम उनकी मांग का समर्थन करते हैं।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव हरेंद्र मलिक ने कहा कि हम केंद्रीय मंत्री के बयान का स्वागत करते हैं। वह संवैधानिक पद पर हैं। हम अपेक्षा करते हैं कि वो विशेष सत्र बुलाएं, विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराकर लोकसभा,राज्यसभा में भेजें। ऐसा करने पर 2024 से पहले ही अलग प्रदेश बन जाएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ तो ये मंत्री की झूठी बात होगी।
वेस्ट यूपी की बिजनौर सीट से बीएसपी सांसद मलूक नागर ने कहा कि मैं केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की मांग का आंख मूंदकर समर्थन करता हूं। आजादी के बाद 1953 में दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री ने भी वेस्ट यूपी को दिल्ली में मिलाने की मांग की थी। भीमराव आंबेडकर ने भी इसे तीन हिस्सों में बांटने की वकालत की थी। 2012 में मायावती ने भी मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराकर केंद्र सरकार को भेजा था। जो आज तक लंबित पड़ा है। इसके अलावा मैंने खुद कई बार संसद में पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने का मुद्दा उठाया है।
पश्चिमी यूपी में मजबूत दखल रखने वाली राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) लंबे समय से इस मांग को उठाती रही है। रालोद प्रवक्ता रोहित जाखड़ ने कहा कि दिवगंत चौधरी अजीत सिंह की पहली मांग थी कि वेस्ट यूपी को अलग राज्य का दर्जा दिया जाए। उन्होंने संजीव बालियान पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश और केंद्र में उनकी सरकार है। वह इसे ओवरनाइट करा सकते हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री विपक्षियों की तरह दलील न दें।
पश्चिमी यूपी के सियासी समीकरण ?
2011 के जनगणना के मुताबिक, पश्चिमी यूपी में 72.29% हिन्दू और 26.21% मुसलमान हैं। यहां की राजनीति में जाट, दलित और मुस्लिम मतादाताओं का खासा दखल रहा है। बीते साल यानी 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में वेस्ट यूपी की कुल 136 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 94 पर जीत हासिल की थी। जाट-मुस्लिम समीकरण के बावजूद बीजेपी ने 22 जाट बहुल सीटें में से 16 पर जीत हासिल की थी। इसी तरह पश्चिमी यूपी में लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं। 2019 के आम चुनाव में सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन होने के बावजूद बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, सपा-बसपा के खाते में 4-4 और रालोद खाता तक न खोल पाई। दिवगंत चौधरी अजीत सिंह को 2014 में बागपत के बाद 2019 में मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था।