कब खत्म होगा ये सफर, पैदल चले मासूमों का दर्द दिल झकझोर देगा
सफर है कि खत्म नहीं होता। आप देख सकते हैं कि रात के सन्नाटे मे कुछ पुरूष महिलाएं और मासूम बच्चे आराम कर रहे हैं। इनको देखने से साफ लगता है कि ये प्रवासी मजदूर है जो सैंकड़ों किलोमीटर का सफर करके अपने वतन लौट रहे हैं।
आसिफ अली
शाहजहांपुर: सफर है कि खत्म नहीं होता। हम ऐसा इसलिये बोल रहे हैं क्योंकि आप देख सकते हैं कि रात के सन्नाटे मे कुछ पुरूष महिलाएं और मासूम बच्चे आराम कर रहे हैं। इनको देखने से साफ लगता है कि ये प्रवासी मजदूर है जो सैंकड़ों किलोमीटर का सफर करके अपने वतन लौट रहे हैं। लेकिन रात में जब newstrack.com की टीम शहर में घूमी तो कई जगहों पर दर्द कहराते हुए लंगड़ाते हुए बच्चे और महिलाएं बस चलती ही जा रही थी। आराम कर रहे लोगों से बात की तो पता चला कि वह सभी दिल्ली और गुडगांव से वापस अपने घर लखीमपुर जा रहे हैं। अभी उनका घर बहुत दूर है लेकिन बच्चों के पैरों मे बहुत दर्द हो रहा है इसलिये आराम कर रहे हैं। सरकार से ये प्रवासी मजदूर बेहद नाराज दिखे।
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सफर खत्म ही नहीं होता
रात करीब 11 बजे शहर मे सन्नाटा था। कुछ कुछ जगह पर लोग दिख रहे थे। उनके सिर पर बड़े बड़े बैग थे। चौक कोतवाली के जनता स्कूल के पास रोड के किनारे कुछ प्रवासी मजदूर और उनके साथ कुछ मासूम बच्चे बैठे थे। सभी लोग लखीमपुर के रहने वाले हैं। ये लोग दिल्ली और गुड़गांव में रहकर मेनहत मजदूरी करके अपने परिवारों का पेट पालते है। लेकिन कोरोना महामारी फैलने के बाद लाॅक डाउन की घोषणा हुई। उसके बाद देश मे अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
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सरकार की बातों पर विश्वास करने को राजी नहीं मजदूर
पीएम मोदी और सीएम योगी ने कहा कि जो जहां है वहां पर ठहर जाएं। सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। सभी प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक सरकार पहुंचाएगी। लेकिन ये शब्द जब इन मजदूरों से कहे तो वह इस पर विश्वास करने को राजीं नही थे। खास बात ये है कि शाहजहांपुर मे ग्रीन जोन मे है। इसलिये जिला प्रशासन ने शाम 7 बजे तक की ही छूट दी थी। लेकिन उसके बाद लाॅक डाउन का सभी पालन करना था। इसकी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को दी गई थी।
लेकिन ये मजदूर रोड के किनारे बैठे थे। इनके उपर किसी की नजर नही पङी। जबकि जिस जगह पर ये मजदूर बैठे थे। वहां तक पहुचने के लिए दो पुलिस चौकियों से गुजरना पड़ता है। जिनमें से अजीजगंज पुलिस चौकी नैशनल हाईवे 24 से लगी हुइ है। लेकिन फिर भी इनको रास्ते मे किसी ने नही रोका और इनकी किसी तरह की जांच भी नही कराई गई। ऐसे में इन मजदूरों के कारण जनपद वासियों को बङा नुकसान उठाना पङ सकता है। इसे सिर्फ पुलिस प्रशासन की लापरवाही और नाकामी ही कहेंगे।
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पैदल ही दिल्ली से रास्ता नाप रहे मजदूर
इन मजदूरों के साथ आये मासूम बच्चों की बात करें तो आप उनकी जुबान से निकले शब्द सुनकर दिल झकझोर देगा। newstrack.com को बताया कि दिल्ली से पैदल आ रहे हैं। पैरों मे बहुत दर्द हो रहा है। कुछ जगहों पर ट्रकों पर बैठ गए कुछ रास्ता आराम से कट गया। लेकिन उसके बाद फिर पैदल चलना पड़ा। अब पैदल चलने का बिल्कुल भी दिल नहीं कर रहा है।
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काफी नहीं पड़ रहे सरकार की व्यवस्था
वैसे तो लाॅक डाउन मे फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई है। उन ट्रेनों से उन मजदूरों को लाया जा रहा है। जिनका रजिस्ट्रेशन हो गया है। लेकिन सवाल ये उठता है कि जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। या फिर रजिस्ट्रेशन रद्द हो गया तो वह अपने घर वापस कैसे जाएंगे। रात के सन्नाटे मे पैदल चल रहे मजदूरों और बच्चों को देखकर लगता है कि सरकार द्वारा किये इंतजामात अभी भी काफी नहीं है।
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