Diwali 2023: जब दुनिया जलाती है दीये, इस गांव के लोग मनाते हैं मातम, क्या आप जानते हैं वजह?
Mirzapur News: चौहान समुदाय के लोग स्वयं को अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान का वंशज मानते हैं। उनका मानना है कि दिवाली के दिन ही उनके राजा पृथ्वीराज चौहान की हत्या मोहम्मद गोरी ने की थी।
Diwali 2023 : देश में दिवाली बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। दीपों का त्योहार अपने साथ खुशियां लेकर आता है। लेकिन, यूपी के मिर्जापुर में दिवाली के दिन सैकड़ों घरों में अंधेरा रहता है। गांव वाले इसकी वजह मोहम्मद गोरी (Muhammad Ghori) द्वारा अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान (Prithvi Raj Chauhan) हत्या बताते हैं। इसी कारण उनके वंशज दिवाली नहीं मनाते हैं। दिवाली के दिन पृथ्वीराज चौहान के वंशज अपने घरों में शोक मनाते हैं। परिवार के लोग एकादशी को दीया जलाते हैं। मिर्ज़ापुर के मड़िहान तहसील के अटारी और आसपास के गांव में चौहान समुदाय के लोग बसे हैं।
दिवाली के दिन मनाते हैं शोक
दिवाली के दिन जहां पूरा देश खुशियां मनाता है और दीया जलाता है। भगवान की पूजा होती है। वहीं, मिर्जापुर का एक ऐसा समुदाय है जो न तो दिवाली के दिन खुशियां मनाता है न ही दीया जलाता है। न ही किसी देवी-देवता की पूजा करता है। बल्कि, इस दिन मातम मनाते हैं। मिर्जापुर जिले के मड़िहान तहसील के अटारी और उसके आसपास के गांव जहां पृथ्वीराज चौहान के वंशज रहते हैं, दिवाली के दिन खुशियां नहीं बल्कि शोक मनाते हैं।
दिवाली के दिन क्यों मनाते हैं शोक?
दरअसल, चौहान के वंशजों का मानना है कि दिवाली के दिन ही मोहम्मद गोरी ने धोखे से पृथ्वीराज चौहान की हत्या की थी। हम उनके वंशज हैं, इसलिए दिवाली के दिन नहीं, बल्कि एकादशी के दिन दिया जलाते हैं। उसी दिन ये खुशियां मनाते हैं। दिवाली के दिन घरों में शोक और मातम का माहौल रहता है।
एकादशी को मनाई जाती है दिवाली
इस गांव के लोगों का कहना है कि दिवाली के दिन हम अपने घरों में रोशनी नहीं करते। उस दिन हम शोक मनाते हैं। दिवाली की बजाय हम एकादशी (देव दिवाली) के दिन दिवाली मनाते हैं। उस दिन घरों में रोशनी करते हैं। अटारी गांव में अधिकांश चौहान समुदाय के लोग रहते हैं। यहां के स्थानीय लोग आज भी अपने पूर्वजों की इस परंपरा को निभा रहे हैं।