हे राम! सड़क हादसों में UP में इतने लोगों की मौत, इस मामले में है देश में नंबर वन

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा गत वर्ष 31 अगस्त को जारी किए गए आंकड़ों पर गौर करें तो यह साफ हो जाता है कि सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों का 15% हिस्सा उत्तर प्रदेश का है।

Update: 2021-03-12 06:24 GMT
एटा दर्दनाक हादसा: बारात के लिए सजने आई कार पलटी, 3 की दर्दनाक मौत photos (social media)

रामकृष्ण वाजपेयी

हाल के दिनों में देखा जाए तो यूपी में सड़क हादसों की बाढ़ सी आ गई है। मुरादाबाद में 3 गाड़ियों की जबरदस्त टक्कर, 10 की मौत, कौशांबी में SUV पर बालू लदा ट्रक पलटने से 8 की मौत, बड़ा सड़क हादसा, 14 लोगों की दर्दनाक मौत, सड़क हादसे में 9 लोगों की मौत ये तो कुछ बानगी हैं। वास्तविक आंकड़े उत्तर प्रदेश की भयानक तस्वीर बयां करते हैं। इसकी मूल वजह लोगों की लापरवाही और सड़क सुरक्षा के नियमों का न मानना है।

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15% हिस्सा उत्तर प्रदेश का

अगर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा गत वर्ष 31 अगस्त को जारी किए गए आंकड़ों पर गौर करें तो यह साफ हो जाता है कि सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों का 15% हिस्सा उत्तर प्रदेश का है। यह एक बड़ी संख्या है। सभी राज्यों में, यूपी ने 2019 में सबसे ज्यादा मौतें सड़क दुर्घटनाओं में दर्ज की हैं। 2019 में उत्तर प्रदेश में 23,285 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद महाराष्ट्र 14,608 (9.4%) और मध्य प्रदेश 11,856 (7.7%) के साथ हिस्सेदारी थी।

हर घंटे सड़क दुर्घटना में तीन लोगों की मौतें

तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों की तुलना में दुर्घटनाओं की संख्या कम दर्ज करने के बावजूद, आवारा पशुओं की एक्सप्रेस वे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर बेखौफ आवाजाही और नशे में ड्राइविंग उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण बनते हैं। यूपी में हर घंटे सड़क दुर्घटनाओं में औसतन तीन लोगों की मौतें होती हैं। जहां राज्य ने 2019 में 37,537 दुर्घटनाओं में 23,285 मृत्यु दर्ज की, वहीं तमिलनाडु में 57,228 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, लेकिन केवल 10,525 मौतें हुईं। इसी तरह, मध्य प्रदेश में 51,641 दुर्घटनाओं में 11,856 मौतें हुईं। साथ ही, कर्नाटक में सड़क दुर्घटनाओं के 40644 मामले दर्ज किए गए, लेकिन 10,951 मौतें हुईं।

ये है सड़क दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण

नशे में गाड़ी चलाना सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों के पीछे एक समान रूप से शक्तिशाली कारक है। डेटा से पता चलता है कि शराब और ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग के कारण दुर्घटनाओं में 849 लोग मारे गए। पिछले साल आवारा पशुओं के खतरे के कारण राज्य में 442 मौतें हुईं। 2018 की तुलना में, यूपी में सड़क दुर्घटनाओं में 1.3% की राष्ट्रीय वृद्धि के मुकाबले 4% की वृद्धि हुई थी और सड़क हादसों में बेतहाशा वृद्धि देखते हुए इसके और बढ़ने का अनुमान है।

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2019 में, देश में 2018 में 1,52,780 के मुकाबले 1,54,732 सड़क दुर्घटनाएं देखी गईं। यूपी में, 2018 में कुल 40,783 दुर्घटनाएं हुईं और 2019 में यह आंकड़ा 42,368 हो गया। राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 7,187 मौतों के साथ अधिकतम मृत्यु दर दर्ज की गई, जबकि राज्य राजमार्गों पर 6,385 और एक्सप्रेसवे पर 761 मौतें हुईं।

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