सुमैया की साइकिल सवारी, अखिलेश का सीएए मुकदमा वापसी का दांव

पिछले एक साल से शायरी के बजाय राजनीतिक बयानबाजी से चर्चा में रहे शायर मुनव्वर राना की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का केंद्र समाजवादी पार्टी बनने के लिए तैयार हो गई है।

Update:2020-12-29 16:53 IST
सुमैया की साइकिल सवारी और अखिलेश का सीएए मुकदमा वापसी का दांव Photo By Ashutosh Tripathi (newstrack.com)  

लखनऊ: सीएए और एनआरसी आंदोलन के दौरान पिछले साल यह बात कई बार चर्चा में आई कि यह आंदोलन आने वाले दिनों के राजनीतिक चेहरों को जन्म देने जा रहा है। मंगलवार को समाजवादी पार्टी का झंडा थामकर मशहूर शायर मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने अपने सफर को एक मुकाम दे दिया। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी सीएए - एनआरसी मुकदमा वापसी का राजनीतिक दांव चलकर मुसलमानों को सीधा संदेश दे दिया है।

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उनके हर मसले और मामले में सपा उनके साथ खड़ी है

akhilesh yadav and sumaiya rana Photo By Ashutosh Tripathi (newstrack.com)

पिछले एक साल से शायरी के बजाय राजनीतिक बयानबाजी से चर्चा में रहे शायर मुनव्वर राना की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का केंद्र समाजवादी पार्टी बनने के लिए तैयार हो गई है। उनकी बेटी सुमैया राना अब समाजवादी पार्टी का झंडा उठाकर राजनीति करेंगी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुनव्वर की बेटी को न केवल अपनी पार्टी में शामिल कराया बल्कि उन्होंने अल्पसंख्यक मतदाताओं को भी यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनके हर मसले और मामले में सपा उनके साथ खड़ी है। सीएए और एनआरसी आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमों को भी उन्होंने प्रदेश में सपा सरकार बनने पर वापस लिए जाने का ऐलान कर दिया है।

सुमैया राना की राजनीति में कोई अपनी पहचान नहीं है

इस ऐलान का कितना फायदा समाजवादी पार्टी को चुनाव के दौरान मिलेगा या अभी तय नहीं है लेकिन समाजवादी पार्टी के जानकारों का मानना है कि सुमैया राना के सपा में आने का फायदा केवल मुनव्वर राना परिवार को ही मिलने वाला है। सुमैया राना की राजनीति में कोई अपनी पहचान नहीं है। वह अब तक केवल मुनव्वर राना की बेटी की वजह से जानी जाती हैं। यह अलग बात है कि मुनव्वर राना के करीबी भी मानते हैं कि पिछले साल भर के दौरान मुनव्वर राना ने फ्रांस के मुस्लिम प्रदर्शन व हिंसक घटनाओं से लेकर भारत में मुसलमानों की स्थिति पर भी जो भी बयान जारी किए हैं उनके पीछे सुमैया राना और उनकी बहन की भूमिका अहम है। सुमैया राना की बहन उरु सा राना इससे पहले कांग्रेस की सदस्यता ले चुकी हैं।

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सीएए-एनआरसी आंदोलन से चर्चा में आईं सुमैया राणा

सुमैया राणा को सबसे पहले दिसंबर 2019 में चर्चा मिली जब वह देश की संसद में नागरिकता से जुड़े नए कानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों का समर्थन करने पहुंची। तब उन्हें शायर मुनव्वरराणा की आवाज माना गया। उन्होंने केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार के खिलाफ लगातार बयान दिए। हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हुआ तो सुमैया राणा के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हुए. इसी साल नवंबर महीने में उन्हें घर में नजरबंद भी किया गया था।

रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी

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