एशिया में शीर्ष स्थान पर काबिज रेलवे है फिसड्डी, कार्रवाई के नाम पर केवल लीपापोती

भारतीय रेलवे भले ही एशिया में पहले पायदान पर आता हो लेकिन अगर इसके बुनियादी ढांचों पर नजर डाला जाय तो यह पूरी तरह से नकारा है। पिछले कई सालों में रेल हादसों

Update: 2017-12-21 13:15 GMT
एशिया में शीर्ष स्थान पर काबिज रेलवे है फिसड्डी, कार्रवाई के नाम पर केवल लीपापोती

लखनऊ: भारतीय रेलवे भले ही एशिया में पहले पायदान पर आता हो लेकिन अगर इसके बुनियादी ढांचों पर नजर डाला जाय तो यह पूरी तरह से नकारा है। पिछले कई सालों में रेल हादसों में इजाफा होने के साथ-साथ स्टॉफ की लापरवाही सामने आती रही है। हर बार जब भी दुर्घटनाएं होती हैं तो रेलवे के आला अफसरों पर जांच तो बैठ जाती है लेकिन केवल कागजों पर। बहुत कम ही केस में किसी अधिकारी पर कार्रवाई होती है। जांच के नाम पर निचले पायदान पर आने वाले कर्मचारियों पर गाज गिरती है। अधिकांश मामलों में काफी समय से पड़ताल चलती रहती है और फिर मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है।

केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) के आंकड़े भी चीख-चीखकर यह बता रहे हैं। रेलवे में अभी 730 मामलों की जांच चल रही है। मजे की बात तो यह है कि इसमें 350 केस सीनियर अफसरों के ही हैं। इसके अलावा अभी हाल में ही यूपी में नजर डाला जाय तो यहां पिछले 15 दिनों में कई बड़े हादसे होने से बचे हैं। बाकी शहर का हाल छोड़िये सूबे की राजधानी में ही पैंड्राल क्लिप चोरी हो रहे हैं। जैसे ही मामला रेलवे के आला अधिकारियों को पता चलता है वे मौके पर पहुंचकर मरम्मत कार्य करवा देते हैं। लेकिन आखिर ये क्लिप चोरी कौन कर रहा है,इन सवालों का जवाब कोई भी रेलवे का अफसर नहीं दे पा रहा है।

केस नंबर-1 (3 दिसंबर)

3 दिसंबर को ही बादशाह नगर- डालीगंज रेलवे ट्रैक पर 308 पैंड्राल क्लिप निकालने की जानकारी मिली थी। रेलवे स्टॉफ की सूझबूझ से पटरी से छेड़खानी करने का मामला समय रहते पता चल गया और एक बड़ा हादसा होने से बच गया था। इस घटना को एक बार फिर आतंकी साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं स्लीपर्स के बीच से बड़ी मात्रा में ज्वाइंट प्लेट भी गायब मिली थी। इन स्लीपर्स को कौन चुरा ले गया, इसकी अभी जानकारी हासिल नहीं हो पाई है। अभी तक इस मामले में किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है।

केस नंबर-2 (15 दिसंबर)

एनईआर रेलवे के बादशाह नगर- डालीगंज रेलवे ट्रैक पर एक बार फिर 15 दिसंबर को क्लिप गायब होने की खबर से रेलवे के अधिकारियों में हड़कंप मंच गया। इस बार 6 स्लीपर की 25 पैंड्राल क्लिप गायब हुई थी। घटना की जानकारी स्थानीय नागरिक ने रेलवे को दी और फिर किसी तरह से क्लिपों को सेट कर रूट पर ट्रेनों का आवागमन चालू कराया गया। फिलहाल इस घटना की जांच एटीएस कर रही है।

केस नंबर-3 (8 दिसंबर)

यूपी के आजमगढ़ रेलवे स्टेशन पर 8 दिसंबर को एक बड़ा रेल हादसा टल गया। सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर तमसा पैसेंजर ट्रेन का इंजन पटरी से उतर गया। यह हादसा उस समय हुआ है, जब तमसा ट्रेन यार्ड से स्टेशन जा रही थी। राहत की बात यह है कि दुर्घटना के समय ट्रेन खाली थी। इंजन डिरेल होने की सूचना मिलते ही पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल में हड़कंप मच गया। डीआरएम सुनील झां की सर्तकर्ता से 3 घंटे में ट्रेन को फिर से ट्रैक पर लाया जा सका।

आपको बता दें कि इन तीनों मामलों में अभी तक ये नहीं पता चल पाया है कि इन हादसों के जिम्मेदार कौन हैं।

 

पीआरओ एनईआर, लखनऊ मंडल आलोक श्रीवास्तव

इस बारे में जब लखनऊ मंडल के पीआरओ, एनईआर, आलोक श्रीवास्तव से बात हुई तो उन्होनें कहा, मामले की जांच एटीएस को सौंप दिया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहना संभव होगा।

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