औरैया: स्वास्थ्य केंद्रों पर चलेगा हस्ताक्षर अभियान, दिलायी जाएगी शपथ
डॉ पुरी बताते है सेकंड हैंड स्मोकिंग से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है क्योंकि उनके फेफड़े और अंग नाजुक होते हैं और प्रदूषण, धुंए या धूम्रपान के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
औरैया। कई बार लोग खुद धूम्रपान नहीं करते हैं मगर धूम्रपान करने वाले दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवारजनों के बीच रहकर सेकंड हैंड स्मोकिंग यानि दूसरों के धूम्रपान के धुंए का सेवन कराते हैं। ऐसे लोगों को भ्रम हो सकता है कि उन्हें कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा इसलिए नहीं है क्योंकि वह तो सिगरेट पीते ही नहीं। मगर सेकंड हैंड स्मोकिंग भी उतनी ही खतरनाक है जितनी कि खुद सिगरेट पीने वाले को। इससे आपके दिल को भी नुकसान हो सकता है। यह कहना है एसीएमओ और तम्बाकू नियन्त्रण प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ शिशिर पुरी का है। यह बातें उन्होंने मार्च माह के दूसरे बुधवार को मनाये जाने वाले "नो स्मोकिंग डे" की पूर्व संध्या पर कहीं।
नो स्मोकिंग डे पर सभी को दिलाई जाएगी शपथ
डॉ शिशिर पुरी ने बताया कि नो स्मोकिंग डे पर जिला चिकित्सालय सहित जनपद की सभी सीएचसी पर “धूम्रपान न करना है, न करने देना है” के लिए शपथ दिलाई जाएगी। साथ ही हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जायेगा। उन्होंने उन्होंने बताया कि हर साल मार्च माह के दूसरे बुधवार को नो स्मोकिंग डे के तौर पर मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरुआत 1984 में हुई थी। इस दिन दुनिया भर में लोगों को स्मोकिंग के प्रति अधिक जागरुक करने का प्रयास किया जाता है, जिससे लोग धूम्रपान छोड़ें।
सेकंड हैंड स्मोकिंग से कई बीमारियों की संभावना बढ़ जाती
डॉ पुरी बताते है सेकंड हैंड स्मोकिंग से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है क्योंकि उनके फेफड़े और अंग नाजुक होते हैं और प्रदूषण, धुंए या धूम्रपान के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इसका खामियाजा सबसे ज्यादा उन बच्चों को भुगतना पड़ता है जिनके मां-बाप या इनमें से कोई एक स्वयं धूम्रपान करता है। धूम्रपान के संपर्क में रहने से बच्चों को दांतों संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसके बच्चों में कैंसर, शुगर, सांस संबंधी कई बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि धूम्रपान से तात्पर्य सिर्फ सिगरेट पीने से नहीं है बल्कि इसके अंतर्गत बीड़ी, तम्बाकू युक्त पदार्थ, सिगार और पाइप भी शामिल हैं। तम्बाकू में लगभग 4000 केमिकल कंपाउंड होते हैं जिनमें से लगभग 250 केमिकल्स आपकी जान ले सकते हैं।
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धुंआ छोटे बच्चों व गर्भवती के लिए है खतरनाक
100 शैय्या जिला संयुक्त चिकित्सालय में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अस्मिता ने बताया कि गर्भवती के लिए सेकंड हैंड स्मोकिंग उसके और उसके बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। स्मोकिंग के धुंए के प्रभाव से बच्चे का विकास रुक सकता है और गर्भपात भी हो सकता है। धूम्रपान के धुंए की वजह से SIDS (सडेन इंफैंट डेथ सिन्ड्रोम) का खतरा बढ़ जाता है। इस रोग में पैदा हुए बच्चों की एक साल के अंदर बिना किसी कारण के मौत हो सकती है। कई बार बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है यानि प्री-मेच्योर डिलिवरी हो सकती है। बच्चे का वजन सामान्य से कम हो सकता है।
रिपोर्ट : प्रवेश चतुर्वेदी
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