कुंभ: माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाकर पूर्ण किया कल्पवास
धर्म, आध्यात्म, मोक्ष की नगरी में भौतिक सुखों का परित्याग कर एक माह के कठोर तप में रमें कल्पवासी आज माघी पूर्णिमा पर पुण्य की डुबकी लगाकर अपना तप पूरा कर हर हर गंगे का उदघोष कर रहे हैं। कलपवासियों के प्रस्थान का सिलसिला आज से शुरू हो गया है। कल्पवासियों के इन्तजार में उनका स्वागत करने के लिए पूरा परिवार पलके बिछाए हुए है।
कुम्भ नगर: धर्म, आध्यात्म, मोक्ष की नगरी में भौतिक सुखों का परित्याग कर एक माह के कठोर तप में रमें कल्पवासी आज माघी पूर्णिमा पर पुण्य की डुबकी लगाकर अपना तप पूरा कर हर हर गंगे का उदघोष कर रहे हैं। कलपवासियों के प्रस्थान का सिलसिला आज से शुरू हो गया है। कल्पवासियों के इन्तजार में उनका स्वागत करने के लिए पूरा परिवार पलके बिछाए हुए है।
एक माह तक संगम की रेती पर एक वक्त भोजन और हर समय भजन वास्तव में यह अदभुत है। चारों तरफ भजन, कीर्तन, कहीं रामलीला तो कहीं रासलीला का मंचन हो रहा था। उक्त भक्ति रस से परिपूर्ण कार्यक्रमों को देखने के लिए भीड़ भी खचाखच भरी रहती थी। अब धीरे धीरे एक बार फिर संगम नगरी सूनी हो जाएगी। यहां सिर्फ गिने चुने लोगों का ही डेरा रहेगा जो महाशिवरात्रि पर संगम में स्नान के बाद यहां से प्रस्थान करेगा।
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हर तरफ संध्या आरती का घण्टा और संख की गर्जना अदभुत है
पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ एक माह का कठोर तप माघी पूर्णिमा स्नान पर आकर समाप्त हो गया। लेकिन संगम की रेती पर एक माह का तप करने वाले कल्पवासी शायद संगम पर अपने प्रवास को भूल ही न सकें। सुबह शाम आरती, उसमें भारी भीड़ के बीच घण्टा और संख की गर्जना वास्तम में बड़ा ही मनोहारी था। हर कोई इसकी गूंज सुन आरती में शरीक होने के लिए पहुंचता था।
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श्रद्धालुओं को खूब बंटा महाप्रसाद, खूब खिलाए गए लंगर
पौष पूर्णिमा से शुरू हुए कुम्भ में शुरू से ही श्रद्धालुओं का भारी सैलाब कुम्भ में स्नान को उमड़ रहा था। संगम में स्नान कर संतो, नागा सन्यासियों का आर्शिवाद लेने के लिए हर कोई आतुर था तो वहीं संतों के सानिध्य में महाप्रसाद भी ग्रहण करते थे। सुबह की चाय से लेकर शाम को भोजन तक श्रद्धालुओं को मिलती थी सुविधाएं। आरती में भी बटता था कभी हलवा चना, तो कभी रेवड़ी। भक्त तो भक्त हैं जो मिला उसे माथे पर टिकाया और जय गंगा मैया बोलकर खा लिया। शायद यह आस्था और श्रद्धा का ही संगम है जहां श्रद्धालुओं को रेत में बैठकर खाने में भी कोई गुरेज नहीं था।
माघी पूर्णिमा पर सुगम स्नान के लिए किये गये है व्यापक प्रबंध
माघी पूर्णिमा पर स्नान के लिए आज सुबह से ही रेला उमडऩे लगा। संगम जाने वाली सड़कों पर देश के कोने-कोने से आस्थावानों का कारवां निकल पड़ा। किला रोड तो दिन भर खचाखच भीड़ से भरी रही। बेनी बांध को या काली रोड से कुंभ में जाने वाला रास्ता, सिर्फ झोला, गठरी लेकर संगम की ओर बढ़ते लोगों का रेला ही दिखाई पड़ा। संगम पर तो आस्था हिलोरें मारती रही। पुण्य की डुबकी के साथ कहीं महिलाएं दीप जलाती रहीं तो कहीं पूजा-ध्यान और जप का सिलसिला चल रहा था।
कुंभ मेला प्रशासन ने माघी पूर्णिमा पर सुगम स्नान के व्यापक प्रबंध किए हैं।हर घाटों पर मजिस्ट्रेट के साथ भारी मात्रा में पैरा मिलिट्री, पुलिस, पीएसी और होमगार्ड लगा दिए गए हैं। जल, थल, नभ से निगरानी की जा रही है। मान्यता है कि माघ माह की पूर्णिमा तिथि को बहुत पवित्र माना जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन स्वंय भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन गंगास्नान करने से विष्णु की कृपा मिलती है।
जातक को धन, यश, सुख-सौभाग्य संतान की प्राप्ति होती है।इस दिन सुबह उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय ओम नम: भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करें।इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में केले, केले के पत्ते, सुपारी, पान, शहद, तिल, पंचांमृत, किल, मौली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग करें।
इस दिन भगवान शंकर की पूजा भी लाभदायक होती है। इससे परिवार में निरोगिता और दीर्घ आयु का आशीर्वाद मिलता हैइस दिन तिल, कंबल, पुस्तक, पंचांग, वस्त्र, घी अन्न के दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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